** दुख सुख में जो साथ है देती
और नहीं कोई, नारी है
मुश्किल से जो जूझ है जाती
और नहीं कोई, नारी है
** रोने कभी नहीं देती वो
खुद सहती खुद रोती है
ममता देती पीड़ा सहती
मुँह से कुछ नहीं कहती है
**दया नहीं ये चाहती है
दयाभाव की देवी यह
दयाशील बनकर के ही
जीवन पार लगाती है
** पुरुष प्रधान समाज में रहती
फिर भी अस्तित्व बना लेती
अपने को नहीं मिटने देती
साख अपनी बना लेती
** रोज सुबह उठकर के भी यह
काम सभी कर लेती है
देख-रेख के साथ-साथ
रोजगार कर लेती है
** देवों ने भी माना लोहा
नारी ही वह शक्ति है
जिसके आगे नर मानव की
स्वयं अपनी अधूरी हस्ती है
** नारी से ही पूर्ण है नर
नारी से ही संपूर्ण शक्ति है
नारी से ही बना है नर
नारी से ही बल और बुद्धि है
** नीरु की वाणी ऐ मानव
रखना तुम हमेशा याद
नारी का अपमान न करना
देना इसे भरपूर सम्मान
**भरपूर सम्मान जो दोगे इसको
यश और मान तुम पाओगे
दया करूण की देवी से
प्यार ही प्यार तुम पाओगे ।
** याद हमेशा रखना यह तुम
नारी है ,कमज़ोर नहीं ये
दुख-सुख की है एक ही साथी
नर नहीं है वह है सिर्फ नारी
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