Saturday 1 August 2020
मेरा जन्मदिन
Saturday 13 June 2020
कोरोना काल में सांस्कृतिक बदलाव
Thursday 4 June 2020
वर्तमान परिवेश में कबीर पंथ अति प्रासंगिक
Sunday 31 May 2020
ई - प्रमाणपत्र राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां
Wednesday 27 May 2020
Tuesday 26 May 2020
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की ऑनलाइन वेबगोष्ठी(वेबिनार) का हुआ सफल समापन:
मजदूरों का महानायक …सोनू
Friday 22 May 2020
हम मजदूर हैं … हमारे पास व्यवहार की दौलत है ।
Thursday 21 May 2020
Wednesday 20 May 2020
थोक के भाव … covid - 19 अवॉर्ड
Sunday 17 May 2020
ईर्ष्या… सोशल मीडिया वाली ( कहानी )
discription
Saturday 16 May 2020
बेटी … सिर्फ शब्द नहीं संसार है( कहानी )
बेटी … सिर्फ़ शब्द नहीं संसार है
आज तो चारों सड़क छाप आवारा लड़कों ने हद ही कर दी रोज़-रोज़ ऐसे कैसे चलेगा । मेरा तो आने-जाने का एक वही रास्ता है… सोचते हुए सोनाली अपनी बिल्डिंग की सीढ़ियां चढ़ ही रही थी यकायक उसका दुपट्टा सीढ़ियों पर अटक जाता है । सोनाली थोड़ा थमती है… डरते हुए पीछे देखती है… कोई नहीं है । जल्दी से रेलिंग से दुपट्टा छुड़ाया और सीधा अपने माले की ओर बिना रुके चढ़ती चली गई । कमरे का दरवाजा खोला और झट से बंद कर दिया । मां को याद करते हुए आने वाले कल के बारे में सोच रही है । किसी को कैसे कहे , कोई भी तो नहीं है इस अनजान शहर में अपना कहने के लिए । गांव में तो सभी एक दूसरे के सुख-दुख , हारी परेशानी साथ में रहते हैं । यह शहर है , यहां ऐसा नहीं है । यहां तो सभी …चाहे वह अपना है या अनजाना मजबूरी का फायदा उठाते हैं, मजाक उड़ाते हैं या डराते हैं । हौसला कोई नहीं बढ़ाता और न ही कोई मुसीबत में साथ देता है । सोनाली को मुंबई आए अभी सिर्फ़ 6 महीने ही हुए हैं । नौकरी से जो मिलता है उससे कॉलेज की फीस भर देती है और कुछ मां के पास गांव भेज देती है… घर में सबसे बड़ी जो है । दो छोटी बहनें हैं जो मां के साथ ही गांव में रहती हैं । बापू थोड़ा-सा खेती का टुकड़ा छोड़कर गए हैं । उनको परलोक सिधारे अभी एक ही साल हुआ है तब से घर की जिम्मेदारी मां और सोनाली दोनों ही उठाती हैं ।
अगले दिन ऑफिस में नंदिनी… सोनाली क्या सोच रही हो? कल भी तुम ऐसे ही खामोश बैठी थी । तुम्हारा कई दिनों से काम में भी मन नहीं लग रहा कोई परेशानी है तो बताओ । 7:00 भी बज गए हैं ऑफिस बंद होने का टाइम हो चला है । चलो साथ ही निकलते हैं । दोनों ऑफिस से बाहर साथ निकलती हैं । नंदिनी सोनाली से विदा लेते हुए… ठीक है सोनाली कल मिलते हैं ध्यान से जाना । सोनाली … आज न मिले वह चारों सड़क छाप । घबराहट तो हो रही है । डर भी लग रहा है । मुंबई है न किसी को मार भी दो तो पता भी न चले । मां ने बताया भी था कि शहरों का माहौल अच्छा नहीं होता और खासकर सर्दियों में तो 8 बजे से ही शहर की सड़कें सूनी हो जाती हैं सोचते हुए सोनाली अपनी ही धुन में चल रही है उसे पता ही नहीं चला कि कब उन चारों आवारा लड़कों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया । उसे कुछ आवाज सुनाई देती है पीछे मुड़कर जैसे ही देखती है तो चारों उसके बिल्कुल पीछे थे । वह सहमी – सी वही रुक जाती है । उसके होश हवास उड़
जाते हैं । वह लंबी – लंबी सांस लेने लगती हैं । चारों ओर अंधेरा है, सुनी सड़क है । चारों लड़के उसके नजदीक आते हैं और उसको घेरकर उसके आगे – पीछे चक्कर लगाने लगते हैं । कोई उसका दुपट्टा पकड़ता है तो कोई कुर्ती । आज तो मैडम जी का नाम पता करके ही रहेंगे । एक लड़का उसका दुपट्टा पकड़ कर… क्या मैडम जी, ज़रा बता दो न… नाम ही तो पूछ रहे हैं इतने दिन हो गए । कब तक तड़पाओगी । सोनाली घबराई हुई वहीं सड़क पर नीचे बैठ जाती है । चारों लड़के उसके चारों तरफ घूमते हुए कुछ भी अनाप-शनाप बोल रहे हैं । मैडम जी नाम बताओ , नाम क्या है , नाम ही तो पूछा है । सोनाली हिम्मत करते हुए उठती है । सभी चक्कर लगाना छोड़ देते हैं । सोनाली नीचे मुंह किए सिकुड़ी – सी, सहमी – सी खड़ी है । हां जी मैडम जी , नाम क्या है ? बता दो ज़रा । कहां से आई हो, कहां जाना है हम छोड़ देते हैं मगर …पहले नाम पता करना है । सोनाली कुछ सोचती है उनमें से एक लड़के के नजदीक जाती है और कान मे कहती है… बेटी । दूसरे के नजदीक जाती है कान में कहती है …मां । तीसरे के नजदीक जाती है और उसके भी कान में कहती है… बहन । जैसे ही चौथे लड़के के नजदीक जाने लगती हैं वह अपने कदम पीछे हटा लेता है । सोनाली उन चारों को देखती है और अपने कदम बड़ी निडरता से आगे बढ़ाती हुई अपनी मंज़िल की ओर चल पड़ती है ।
इस कहानी के माध्यम से मैं समाज के उन पंगु मानसिकता वाले लोगों को जो नारी का सम्मान नहीं करते यही संदेश देना चाहूंगी कि मां, बेटी और बहन इन शब्दों में असीम शक्ति है । इन शब्दों की शक्ति की सार्थकता को समझो । नारी सृष्टि को जन्म देती है, सभ्यता को पालती है, संस्कारों को पोषित करती है । नारी ही मां, बेटी, बहन, बहू के रूप में इस संसार को चलती है । बेटी शब्द में पूरा संसार छिपा है । बेटी शब्द नहीं पूरा संसार है ।
बेटियों का सम्मान करो ।
धन्यवाद
गुल्लू और बर्फ़ का गोला ( कहानी )
Friday 15 May 2020
रेल की पटरी से… खेत की मेड़ तक ( कहानी )
Thursday 14 May 2020
तेज़ाब (कहानी)
Saturday 2 May 2020
शिक्षा का माध्यम और हिंदी की स्थिति
हिंदी की स्थिति :
हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा की काली छाया का प्रकोप फैल रहा है जिससे राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का स्वरूप इतना बिगड़ गया है कि उसके नाम में भी परिवर्तन परिलक्षित होता है अर्थात आजकल हिंदी को हिंग्लिश बना दिया गया है । हिंदी पर अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी भावी पीढ़ी मातृभाषा का रसवाद नहीं कर पाएगी । हिंदी पर अंग्रेजी की कुहास चादर चढ़ गई है जो भारत देश के अस्तित्व पर एक गहरा प्रहार है । हमें हिंदी भाषा को विश्व में सिरमौर बनाना है तो आने वाली पीढ़ी के मन में हिंदी के प्रति आदर सम्मान की भावना पैदा करनी होगी । मैं स्वयं कुछ समय से यह अनुभव कर रही हूँ कि हर रोज हिंदी का विकृत रूप हमारे समक्ष प्रस्तुत हो रहा है ; कभी समाचार पत्र के माध्यम से, कभी पत्रिकाओं के माध्यम से और कभी चलचित्रों के माध्यम से हिंदी को इंग्लिश के साथ मिलाकर हिंग्लिश बनाकर हमारे समक्ष पेश कर देते हैं । मानो हिंदी भाषा भाषा नहीं एक मजाक हो । भाषा में बढ़ते प्रदूषण का कारण मीडिया से ज्यादा हम स्वयं हैं, समाज हैं, विद्यालय हैं और शिक्षक स्वयं हैं जो अपनी मातृभाषा को विखंडित होने से नहीं बचा पा रहे हैं । अभी भी हम औपनिवेशिक संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित हैं अगर हम अपने आस-पास नजर घुमाएँ तो पाते हैं कि माता- पिता स्वयं अपने बच्चों पर अंग्रेजी बोलने का दबाव डालते हैं और बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान न होने पर उन्हें हीनता का बोध कराते हैं । ऐसी मानसिकता और सोच के लिए समाज, राष्ट्र, माता-पिता और विद्यालय सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं क्योंकि हम इसका विरोध नहीं करते बल्कि और बढ़ावा देते हैं । आज की शिक्षा व्यवस्था हिंदी भाषा के ह्वास का कारण है जहाँ हिंदी मात्र एक विषय बन कर रह गया है और अंग्रेजी ने भाषा का रूप ले लिया है ।
आज हमारे आस पास ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि हम लोभ, लालचवश स्वेच्छा से अंग्रेजी को ग्रहण करते हैं । हमारी मानसिकता के अनुसार लाखों रुपयों का वेतन अंग्रेजी माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने से प्राप्त होता है । हम मानने लगे हैं कि सफलता अंग्रेजी जानने बोलने से प्राप्त होती है । आज हम गुलाम किसी देश के नहीं आज हम गुलाम स्वयं अपनी सोच के हैं …हम गुलाम स्वेच्छा से अंग्रेजी भाषा के हैं । आज ड्राइवर चपरासी की नौकरी के लिए भी अंग्रेजी का ज्ञान होना अनिवार्य है । माँ अपने बच्चों को चाँद की जगह 'मून' और बंदर की जगह 'मंकी' पढ़ाती है बच्चा अगर शब्दों को हिंदी में बोले तो माँ की प्रतिक्रिया होती है कि यह चाँद नहीं 'मून' है अर्थात् बच्चों को धरातल से ही हिंदी के ज्ञान से विमुख किया जाता है । आज शादी ब्याह, जन्मोत्सव इत्यादि की पत्रिका और निमंत्रण पत्र अंग्रेजी में छापे जाते हैं चाहे घर में किसी को अंग्रेजी आती हो या न आती हो मगर विवाह पत्रिका, निमंत्रण पत्र अंग्रेजी में ही होने चाहिए क्योंकि अंग्रेजी भाषा आज शान का प्रतीक मानी जाती है जिसके कारण हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोती जा रही है और इसका श्रेय हमारे देशवासियों को जाता है जो अपनी मातृभाषा की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं।
आज हम हिंदी दिवस मनाते हैं । साल में एक बार 14 सितंबर को पूरे देश में यह दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है । एक ही दिन हमें हिंदी की औपचारिकता क्यों करनी पड़ती है ? क्या हमारी मातृभाषा के सम्मान के लिए एक ही दिन है ? क्या हम हर दिन हिंदी दिवस के रूप में नहीं मना सकते ? क्या हम हर दिन अपनी मातृभाषा को सम्मान नहीं दे सकते हैं ? यह सभी प्रश्न हमें चिंता में डालते हैं । एक समय था जब हम अंग्रेजों के गुलाम थे मगर आज हम अंग्रेजी के गुलाम होते जा रहे हैं । किसने कहा एक माँ अपने बच्चे को हिंदी नहीं अंग्रेजी में सब कुछ सीखाए ? किसने कहा एक कर्मचारी को अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी है ? किसने कहा कि निमंत्रण पत्र अंग्रेजी में ही हो ? क्या सरकार ने …देश की शासन व्यवस्था … नहीं किसी ने नहीं …यह सब हमारे लोभ, लालच और अंग्रेजी भाषा की हवा ने कहा जो ऊँची तरक्की, ऊँचा वेतन और चका-चौंध की छवि को दर्शाता है । भारतीय हिंदी भाषी होना क्या हीनता की निशानी है ? अब आप ही बताइए… क्या यह स्वेच्छा से गुलामी स्वीकार करना है या नहीं …?
हम स्वयं हिंदी की इस स्थिति के जिम्मेदार हैं । जब हम अंग्रेजों के गुलाम थे तब भी अंग्रेजी का ऐसा और इतना बोल बाला नहीं था । अंग्रेजी थी मगर अंग्रेजी की गुलामी नहीं थी और न ही भारतीय भाषाओं के प्रति घृणा और तिरस्कार की भावना थी । हमारे देश के नेता अंग्रेजी जानते थे बोलते थे और बहुत विद्वान थे मगर सभ्यता और संस्कृति के सम्मान का ध्यान रखते थे । किंतु आज का नेता वोट तो हिंदी में माँगता है, नारे हिंदी में लगाता है, पर्चें हिंदी में बाँटता है किंतु लोकसभा और विधानसभा में शपथ ग्रहण अंग्रेजी में करता है । यह कहाँ तक सही है ? क्या उसे हिंदी में शपथ ग्रहण करने में शर्म आती है या अंग्रेज़ियत के भूत ने पूरे देशऔर उसके शासन को अपनी गिरफ्त में जकड़ रखा है । हिंदी भाषा के अस्तित्व पर यह गहरा आघात है ।
न जाने जो हिंदी; वह हिंदवासी नहीं,
अंग्रेज़ी का ज्ञान पाकर कोई देशवासी नहीं,
हिंदी में ज्ञान पाओ, हिंदी में गुनगुनाओ,
हिंदी में ही नेताओं को शपथ ग्रहण करवाओ ।।
यह एक भ्रम बुरी तरह से हमारे हिंद में फैलाया गया है और चल रहा है कि हिंदी माध्यम से पढ़ने लिखने वाले युवक सफलता प्राप्त नहीं कर सकते । इस का नतीजा यह हुआ है कि गरीब और आम आदमी अंग्रेजी भाषा की चक्की में पिसने को तैयार खड़ा हो गया है और वह स्वयं अपने बच्चों को बड़े से बड़े अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाना चाहता है जिससे उसकी संतान को सफलता प्राप्त हो सके । परंतु यह वास्तविकता नहीं है हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र-छात्राएँ भी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं और उच्च पद पर आसीन हो रहे हैं । हिंदी भाषा का सर्वस्व कायम रखना है तो हमें स्वयं की सोच में बदलाव लाना होगा अंग्रेजी जानना, पढ़ना और बोलना बुरा नहीं है परंतु अपनी भाषा को पीछे रख कर नहीं ……आज आधुनिकता और बदलते वातावरण के चलते हिंदी से हमारा नाता खत्म होता नजर आता है । आज लोग अपने बच्चों को प्राइवेट या कॉन्वेंट स्कूलों में शिक्षा देना चाहते हैं । आज का युवा उच्च शिक्षा तो ग्रहण कर लेता है परंतु दो लाईन शुद्ध हिंदी न लिख पाता है और न ही बोल पाता है । आज का विद्यार्थी हिंदी नहीं पढ़ना चाहता । बारहवीं के विद्यार्थियों को आज मात्राओं का ज्ञान नहीं है । बारहवीं में आकर भी ि , ी ु , ू े , ै की मात्राओं के प्रयोग में सक्षम नहीं है । इसका जिम्मेदार कौन है …?
हम, आप या विद्यार्थी स्वयं हम से तात्पर्य शिक्षक, आप से तात्पर्य…अभिभावक से है । आज हमें युवाओं के मन में नयी चेतना जगानी होगी । अंग्रेजी के संक्रमण को रोकना होगा ।
निष्कर्ष
भाषा चाहे कोई भी हो वह मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है क्योंकि मानव सभ्यता को विकसित और गतिमान बनाने के लिए संप्रेषण की आवश्यकता होती है और वह संप्रेक्षण भाषा से ही संभव है मुख से उच्चारित होने वाली ध्वनि की एक अनुपम व्यवस्था भाषा कहलाती है भाषा का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है हिंदी , संस्कृत की उत्तराधिकारिणी भाषा है । आज हिंदी के संरक्षण की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है ? क्यों आज हिंदी को बचाने के लिए प्रयास हो रहे हैं ? क्या भाषा भी किसी के संरक्षण की मोहताज है ? हम भारतवासी होकर हमारा क्या यह कर्तव्य नहीं कि हम अपनी भाषा का सम्मान करें और उसे विश्व पटल पर लाएं ।
इसके लिए अनेकों प्रयास बहुत सी स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से किए जा रहे है उनमें से हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के प्रयास अति सराहनीय है । संस्थान के माध्यम से प्रतिवर्ष दिल्ली और एनसीआर के सभी विद्यालयों से प्राप्त आवेदन के आधार पर सेकंडरी स्तर पर हिंदी विषय में 90 % और उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों भाषा प्रहरी सम्मान, और 100% अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भाषा दूत सम्मान से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाता है साथ - ही साथ संबंधित शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाता है । कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही वृहद स्तर पर किया जाता है जिसमें दिल्ली एनसीआर के 150 से अधिक विद्यालय के 2500 से अधिक विद्यार्थी सम्मानित होते हैं । हिंदी उत्थान हेतु हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के प्रयास यही तक सीमित नहीं हैं बल्कि संस्थान की मासिक पत्रिका भी भारतीय भाषाओं के प्रसार में मुख्य भूमिका निभा रही है । 2019 के मोरशियस अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में भी संस्थान के संस्थापक श्री सुधाकर पाठक जी भारत सरकार की ओर से आमंत्रित थे जो संस्थान के लिए एक गौरव का विषय है । हिंदी भाषा को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के अथक प्रयास जल्द ही अपने मुकाम पर पहुंच एक नया मील का पत्थर स्थापित करेंगे ।
अपनी भाषा में एक एहसास है ।
हिंदी देश का स्वाभिमान है ।
हिंदी से भविष्य और वर्तमान है ।
हिंदी भावों का महाजाल है ।
भावों का समंदर रहता है इसमें ।
एहसास से गुथा एक धागा है जिसमें ।
जोड़ देता है मन से मन को पल में कहीं भी ।
टूटते दिलों को जोड़ देता है दूर से ही ।
भावनाओं की भाषा सौहार्द बनाती है ।
लिपि भाषा को लिखना सिखाती है ।
भाषा से ही ज्ञान समृद्ध, विशाल मुमकिन है ।
भाषा नहीं तो शब्दों का महाजाल बुनना मुश्किल है ।
देश विदेश में भी इसका परचम लहराया है ।
सबने हिंदी को मन से अपनाया सौभाग्य हमारा है ।
अभिमान है हमें…हम हिंदुस्तानी हैं।
गौरवान्वित हैं हम… कि हम हिंदी भाषी हैं ।
डॉ. नीरू मोहन ' वागीश्वरी '
Wednesday 29 April 2020
पंच तत्व… जल सर्वत्र
Thursday 16 April 2020
शत शत नमन भारत के कर्मवीरों को ( कोरोना काल )
कोरोना महासंग्राम में आज की रचना उनको समर्पित है जो दिन रात अपनी सेवाओं के माध्यम से भूख प्यास त्याजकर देश की सेवा में अपना संपूर्ण योगदान दे रहे हैं और उनके लिए भी जो घर में रहकर देश को कोरोना से मुक्त कराने हेतु अपनी भूमिका निभा रहे है आज की कविता के माध्यम से उनको शत – शत नमन ।
शत – शत नमन उन कर्मवीरों को
जो अपना धर्म निभा रहे
कोरोना के इस महासंग्राम में
विशेषण भूमिका निभा रहे
शत-शत नमन उन कर्मवीरों को
परिवारों को छोड़कर अपने
डॉक्टर होने का फर्ज निभा रहे
शत – शत नमन उन कर्मवीरों को
मौत के मुंह में स्वयं को रखकर
मानवता का धर्म जो निभा रहे
शत – शत नमन उन कर्मवीरों को
अस्पतालों में 24 घंटे ड्यूटी निभा रहे
शत-शत नमन उन कर्मवीरों को
जो दूसरों को बचाने की खातिर
अपनी जान गवां रहे
शत-शत नमन उन कर्मवीरों को
भूखे स्वयं रहकर जो योद्धा
दूसरों का पेट पाल रहे
शत-शत नमन उन कर्मवीरों को
तपती धूप में जगह-जगह
नियमों का पालन करवा रहे
शत – शत नमन उन कर्मवीरों को
जो जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री पहुंचा रहे
शत-शत नमन उन कर्मवीरों को
जो अपना सर्वस्व लुटा रहे
इस महामारी के खिलाफ लड़कर
पूरे देश को बचा रहे
शत-शत नमन उन सभी कर्मवीरों को
जो डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, सैनिक, प्रेरक वक्ता, नेतागण, समाजसेवी, और साहित्यकार के रूप में अपनी – अपनी भूमिका निभा रहे ।
शत शत नमन उन कर्मवीरों को
जो कोरोना के इस महाकाल में जन – जन में जागरूकता फैला रहे
शत शत नमन उन कर्मवीरों को
जो घर के अंदर रहकर के
अपना फर्ज निभा रहे
देश के इस संक्रमण काल में
संपूर्ण भूमिका निभा रहे
संपूर्ण भूमिका निभा रहे
आप सभी से अनुरोध है कि सभी घर पर रहें और सुरक्षित रहें । घर से बाहर निकलकर स्वयं को और न ही दूसरों को नुकसान पहुंचाने की भूल करें । ध्यान रहे… घर में रहेगा इंडिया तभी तो बचेगा इंडिया आप अपना फर्ज निभाए और दूसरों को अपना फर्ज निभाने दीजिए । अगर हर परिवार यह ठान ले कि उसे अपने परिवार को बचाना है तो शायद कोई भी बाहर नहीं निकलेगा । आपको दूसरों की चिंता नहीं करनी तो मत चिंता कीजिए पर अपने परिवार वालों की जरूर चिंता कीजिए और अगर देश का हर व्यक्ति हर परिवार अपने परिवार को घर के अंदर ही रखेगा उसका ख्याल रखेगा उसे बाहर नहीं जाने देगा तो शायद हम इस महामारी पर काबू पा सकें । अपनी और अपने परिवार की चिंता अवश्य कीजिए तभी देश इस महामारी से बच पाएगा । याद रखिए देश है तो हम हैं हम हैं तो देश है एक सिक्के के दो पहलू हैं यह ।
डॉ. नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘
Wednesday 15 April 2020
वही सुबह फिर आएगी ( कविता )
Sunday 12 April 2020
Sunday 5 April 2020
5 अप्रैल नई उम्मीद का पर्वप्रकाश पर्व
Wednesday 18 March 2020
हॉकी के जादूगर… मेजर ध्यानचंद ( कविता )
गिल्ली डंडा, खेल कबड्डी
काना फूसी, पिट्ठू, गिट्टी ।
खेल – खेल में बड़े हुए सब
खेलों से मिल गई तरक्की ।
ध्यानचंद ने नाम कमाया
हॉकी को मशहूर बनाया ।
राष्ट्र के लिए है यही संदेश
हॉकी में वह सबसे श्रेष्ठ ।
हॉकी के जादूगर एक
स्वर्ण पदक पाए अनेक ।
जन्मदिवस इनका सार्थक है
अगस्त २९ ‘खेल दिवस’ है ।
ध्यान सिंह था इनका नाम
चन्द्र ने दिया इनको प्रकाश ।
रात में अकसर खेला खेल
‘ चंद ‘ नाम मित्रों की भेंट।
ध्यानचंद पड़ गया था नाम
एम्स्टर्डम में किया कमाल।
किए थे १४ गोल वहां पर
हॉकी के जादूगर ने ।
हिटलर को दिया कड़ा जवाब
भारत के प्रति रखा मान ।
हिटलर का प्रस्ताव ठुकराया
भारत का सम्मान बढ़ाया ।
Tuesday 17 March 2020
जन्मदिन संदेश
सरल सहृदय, सहयोगी व्यक्तित्व
ज्ञान ज्योति की गागर शीत
बच्चों की प्रिय सदैव
चांदनी को लिए समेट
सार्थक करता आपका नाम
जन्मदिन मुबारक हो आज
🌹🌹जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!🌹🌹
🌻🌻🌻
परियों की जो सुनी कहानी
नानी, दादी, बचपन वाली ।
तुम गुड़िया हो वही सुहानी
प्यारी, कोमल, पारियों वाली ।
मृदुवाणी, सुंदर, कोमल मन
बच्चों का मन मोहने वाली ।
प्रीति – नदी की गागर हो तुम
बच्चों की टीचर मतवाली ।
🌹खुश रहो और खुशियां फैलाती रहो 🌹
🌻🌻🌹🌹🌻🌻
🌹एक अंजू में समाया है समंदर सारा ।
🌹गंभीरता तुम्हारी समंदर से ज्यादा ।
🌹बोली में घुली है मिठास गुड़ – सी ।
🌹व्यवहार में शालीनता कौमुदी – सी
🌹उन्मुक्त गगन में भरो उड़ान ऐसी ।
🌹मंदाकिनी भी लगे प्रभात – सी ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई !
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🌻🌻🌻🌻🌻
मुख पर मुस्कान
मन है शांत ।
तितलियों की तरह
चंचल हैं आप ।
आपके मुख से
छलकता है तेज ।
मन जैसे लिए हो
उमंगे अनेक ।
पूरे हों जीवन में
सभी अरमान ।
आपका हो यह दिन
हमेशा ही ख़ास ।
आपकी मुस्कान में
फूलों – सा एहसास ।
जन्मदिन मुबारक हो
आपको आज ।
🌹🌹🌹🌹🌹
आस्था ईश्वर में, मस्तक तिलक सुसाजे ।
प्रसून मुस्कान आपके मुख पे मलय समीर - सी लागे ।
संस्कारों के मनके बंधे - से दिखते है बातों में ।
आप सभी के साथ है ऐसे जैसे भैया प्यारे ।
🌹🌹🌻🌻🌹🌹
🌻आपसे प्रेषित प्रथम शुभकामना से ,
शुभकामनाओं की बनती पुष्पमाल ।
🌻संदेश शुभ पहुंचाएं आप सभी को,
सूर्य की प्रथम किरण के साथ ।
🌻शालीनता व्यवहार की, शीतलता वाक् की …औषधि स्वरुप है आपकी ।
🌻यही शुभ कामना हमारी ओर से
खुशियों से भरती रहे झोली आपकी ।
🌹🌹जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !🌹🌹
🌹🌹🌻🌻🌹🌹
चेहरे पर मुस्कान, बातों में अंदाज़
आपका आचार पतझड़ में खिलाए बहार
आपको मुबारक… दिन मुबारक आपका
चमन खिलाता रहे जहां आगमन हो आपका ।।
🌹🌹🌻🌻🌹🌹
💐💐🎻🎻💐💐
मनोहर फूलों की महक जैसे
बगिया में खिले चमन के जैसे
आपकी मुस्कान बनी रहे
सूरज की हर किरण के जैसे
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🌹🌹🌹🌹🌹
मुस्कान आपकी सुमन सुरभि समान
वाणी में मां शारदे का वास
व्यवहार में शालीनता विद्यमान
मुख की कांति चंद्र ज्योत्सना समान ।।
यही शुभकामना है… आपके जीवन में रहें खुशियां अपार
🌹🌹🌹🌹🌹
जन्मदिन की हार्दिक बधाई!
चंद्र चांदनी संदेश है लाई ।
खुशियां अविरल बनी रहें।
सुख समृद्धि गागर भरी रहे।
चन्द्र चांदनी चन्द्रकला सी
जन्मदिन की अनंत बधाई !
🌹🌹🌹🌹🌹
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सुरों में सतरंगी झंकार रहे ।
वाणी में गुड़ – सी मिठास रहे ।
खुशियों से भरे जीवन आपका
सदैव वीणापाणि का आशीर्वाद रहे ।
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स्वर्णिम प्रभात कलरव आकाश
आपका व्यक्तित्व आदित्य प्रकाश
सदैव मार्गदर्शक; है प्रतिमान
बुद्धि,विवेक,धैर्य,विनय विद्यमान
स्फूर्ति,जोश,ऊर्जा का करता संचार
आपके आशीर्वाद की सदैव है कामना
अवतरण दिवस की हृदय तल से मंगलकामना ॥
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