Wednesday 17 May 2017

****माँ ! आज तुम्हारी बहुत याद आई****

मेरी ओर से विश्व की सभी माताओं को मातृदिवस की बहुत-बहुत बधाई ||||

माँ की याद में कुछ भाव उमड़ आए
जिन्होंने बीते लम्हे कुछ इस कदर याद दिलाए |||||

*माँ ! आज तुम्हारी
बहुत याद आई
इस तन्हाई ने
यह कैसी पुकार लगाई
माँ आज तुम्हारी
बहुत याद आई

*वो बातें वो लम्हे
वो तेरी ममता का आँचल
सोच कर भर आई अखियाँई
भर आई अखियाँई

*मैं रूठती थी
तो मनाती थी तुम
भूख लगती थी
तो खिलाती थी तुम
दर्द होता था
तो दवा भी लगाती थी तुम
उदास होती थी
तो मुख पर खुशी ले आती थी तुम

*कैसे भूलूँ उन लम्हों को
जो तुम्हारे साथ बिताए थे
खुशी के
आज भी वह ताजा है
आँख नम होती चली आई
आँख नम होती चली आई

*नहीं पता था अपने समय में
क्या होता है यह मातृदिवस
आज सभी को गले लगे देख
भर आई है मेरी आंख
तुम आईं बहुत याद
तुम आईं बहुत याद

*होती गर तुम मेरे पास
तो मैं भी तुमसे करती
वो सभी बातें
कुछ कहती अपने दिल की
कुछ सुनती तुम्हारी बातें

*गले लगाकर तुम्हें देती बधाई
मातृदिवस है आज
तुम रहो हमेशा यूँ ही मेरे साथ
मगर यह पल शायद
ना था मेरी झोली में
बीत गए यूँ ही कई बरस
पलक झपकते ही तुम्हारे बिन दिवाली होली में

*ना तुम आई
ना तुम्हारी आहट ही सुन पाई
आँख खुली तो पाया
तन्हाई के साथ यादों में ही
सिर्फ यादों में ही तुम नज़र आई

*व्यस्तता में दिन
रोज गुजर जाता है
मगर जब आती है
तन्हाई में तुम्हारी याद
तो दिल पर ,ज़ुबा पर
सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र आता है
सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र आता है ||||

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