Thursday 18 May 2017

****दिन है परीक्षा परिणाम का**** बच्चों के साल भर के प्रयास का****


****परीक्षा परिणाम का दिन जब आता है |
*****बच्चों का मन एकदम सहम जाता है |

*बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को डर सताता है |
परीक्षा के बाद परिणाम का डर सभी के दिलों में घर कर जाता है |

*डर समाप्त उस दिन होता है जिस दिन परीक्षा परिणाम आता है |
परिणाम की घोषणा से पहले ही बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को डर सताता है |

*क्या होगा परीक्षा का फल यह ख्याल जब आता है |
बच्चों को अपने पास बुला कर पूछा जाता है |

*क्या आज तुम प्राप्त कर पाओगे ?
क्या सर्टिफिकेट के साथ मां बाप को सम्मान आज दिलवाओगे ?
मां-बाप की बात सुनकर बच्चा उलझ जाता है |

*क्या होगा आज ,उसे भी अब यही डर सताता है ?
सर्टिफिकेट तो नहीं कह सकता माँ !
पर अच्छे अंको से पास हो जाऊँगा |इस बार नहीं गर मिला तो अगले साल सर्टिफिकेट के साथ घर आऊँगा |

*मेहनत तो इस साल भी मैंने ,वैसे ही की थी जैसे हमेशा करता हूँ |
हर साल सर्टिफिकेट के साथ घर में मैं आऊँ यही मनोकामना में रखता हूँ |

*बच्चे की बात सुनकर माँ का दिल पिघल जाता है |
गले लगाकर बच्चे को दुलार वह करती है |
नहीं तोड़ोगे विश्वास मेरा तुम यह दृढ़ विश्वास है मेरा |
अच्छे अंको से सफलता प्राप्त होगी तुम्हें यह आशीर्वाद है मेरा |

*माँ के साथ बच्चा जब विद्यालय जाता है|
कक्षा में पहुँचकर परीक्षा परिणाम जब वह पाता है |

*अध्यापक के मुख से बच्चे की प्रशंसा सुनकर माँ की आँख नम हो जाती है |
वात्सल्य उमड़कर उसके मुखमंडल पर उभर आता है |

*अध्यापक के हाथ से जब बच्चा परीक्षा परिणाम के साथ सर्टिफिकेट पाता है |
माँ का वात्सल्य चरम बिंदु पर पहुँच जाता है |

*गले लगाकर बच्चे का मुख्य मंडल वह चूम लेती है ,साथ ही साथ उसके गुरु को धन्यवाद वह करती है |
और यह कहती है******
आपका पढ़ाया आज रंग लाया है |
गुरु ही ज्ञान और ज्ञानी है यही सत्य नजर आया है |

*इसलिए तो ईश्वर से पहले आदर का पात्र गुरु ही सबसे पहले है ,क्योंकि वह कोरे दीपक में ज्ञान की ज्योति जलाता है |
मूढ़ इंसान को भी वह गूढ़ बनाता है|

*आपका पढ़ाया आज रंग लाया है तभी तो मेरा बच्चा अव्वल आया है |
२० परसेंट ही मैंने ८० परसेंट तो आपसे ही ज्ञान पाया है |

*इसीलिए तो गुरु की महिमा का कोई बखान नहीं है और जिसने गुरु की महिमा को समझ लिया उसके लिए सफलता पाना कोई मुश्किल काम नहीं है |

****सभी छात्रों को देती नीरू यही सीख |दो आदर सम्मान शिक्षकों को भरपूर

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