Monday 26 March 2018

परीक्षा के दिनों का तनाव,
कुछ बातें, कुछ सुझाव।

स्कूल स्तर पर वार्षिक परीक्षाओं के समय जिसे देखो वही तनाव में है। चाहे वह बच्चे हो ,अध्यापक हो, या फिर अभिभावक ।क्योंकि यह तीनों ही एक दूसरे से जुड़ी कड़ी हैं।
यह बात हम सब जानते ही हैं कि "अति सर्वत्र वर्जयेत"।
एक शिक्षक और एक अभिभावक होने के नाते मैं यह कहना चाहती हूं कि केवल नंबर Marks मार्क्स से ही अपने बच्चों की प्रतिभा का आकलन ना करे। जिंदगी बहुत बड़ी है। हमें अपने बच्चों को ज्यादा तनाव नहीं देना चाहिए कि--- "आपने  इतने पर्सेंट नंबर लाने ही हैं चाहे कुछ भी हो जाए'।

हर बच्चे की अपनी क्षमता है, काबिलियत है। हमें उस क्षमता के अनुसार ही उन बच्चों को अभिप्रेरित करना चाहिए। यह बात कटु सत्य है कि हम अभिभावक अपने बच्चों को इतना तनाव दे देते हैं कि उन्हें परीक्षाओं से आसान "मौत" नजर आने लगती है ।चाहे वह खुद की हो या किसी और की। गुरुग्राम का प्रद्युम्न मर्डर केस इस बात का साक्षी है।

एक बार  कल्पना करके देखिए की जिस घर में किसी बच्चे की असामयिक मृत्यु हो जाती है  तो वहां उस परिवार का  क्या हाल होता होगा? यह बात सोच कर ही दिल  सिहर उठता है। भगवान ना करे कि कल को हमारे बच्चे के साथ ऐसा कुछ भी हो। फिर क्या करेंगे हम इन नंबरों का , इन सर्टिफिकेटस का ?

बच्चा ठीक है, जीवित है, खुश है, निरोगी है इससे अधिक और क्या चाहिए। मैं यह भी जानती हूं कि आजकल का जमाना प्रतियोगिता का है ।परंतु उसी के साथ - साथ   आज हर हुनर का भी ज़माना है । यदि आपके  बच्चे  में किसी भी प्रकार का कोई भी हुनर है तो आप उसे अपनी पहचान बना सकते हैं, उससे अपना नाम रोशन कर सकते हैं ,विश्व स्तर तक और अपनी आजीविका भी आसानी से चला सकते हैं ।जरूरत है तो सिर्फ अभिप्रेरणा की, हिम्मत की, सहयोग की और डेडिकेशन की। ईश्वर ने आज तक किसी भी इंसान को ऐसा नहीं बनाया है जिसमें कोई भी खूबी ना हो।

आजकल प्रधानमंत्री जी ने भी  कितनी योजनाएं युवाओं के लिए लॉन्च की है। यकीन मानिए आपका बच्चा भी कुछ ना कुछ अच्छा जरूर कर ही लेगा ।पर आपके लिए उस बच्चे  का  जीवन में बने रहना अत्यावश्यक है।

आजकल की इस दबाव भरी जिंदगी में जहां 80% बच्चे  खुद ही अपने करियर को लेकर इतने एक्टिव हैं, चिंतित हैं, तो हमें यह नहीं करना चाहिए कि हम उन पर और दबाव बनाए। इस विषय पर अभी नरेंद्र मोदी जी ने भी  एक पुस्तक लिखी है तथा विभिन्न प्रकार की सहायक संस्थाएं इस विषय पर काम सक्रियता से कर रहे हैं ।साइकोलॉजिस्ट्स  इन समस्याओं के चलते 24 ×7 की सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं क्योंकि यह समस्या बहुत गंभीर हो चुकी है ।अतः आप सब   इस समस्या को और गंभीर न बनने दें तथा इसमें यथाशक्ति अपना सहयोग प्रदान करें। हम सब लगभग इन सभी  बातों को जानते हैं। फिर भी मैं कुछ सुझाव देना चाहती हूं। शायद इसे अपना कर किसी एक बच्चे की भी  जिंदगी बच जाए तो उससे बढ़कर क्या चीज हो सकती है । "जीवन" से बड़ा कोई उपहार नहीं  हो सकता ।

सुझाव---

1 अत्यधिक प्रेशर ना ले , न हीं बच्चों को दें। बच्चे  जितना अधिक समय  स्वयं के लिए देंगे वही अच्छा है ।

2 दूर से ही मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उनके खानपान  व आराम का ध्यान रखें एवं प्यार से उन्हें  अभिप्रेरित करें।

3 इस समय तक बच्चों ने  बहुत कुछ पढ़ लिया होता है। अत्यधिक नंबरों की होड़ में ना पड़े। जिंदगी सिर्फ नंबरों पर नहीं चलती।आप  अपने  बच्चे को एक अच्छा ज़िम्मेदार नागरिक बना कर भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।

4 हर बच्चा विशेष है और ईश्वर ने सबका भाग्य अलग-अलग लिखा है। अतः केवल कर्म करने  है और इमानदारी मेहनत के बल पर ही जो मिले वही मीठा फल है।

5 जिंदगी रही तो अवसर बहुत मिलेंगे ।

6 हमारा बच्चा, उसका बचपन, उसकी चंचलता, उसका विकास ,उसकी मुस्कान, उसका जीवन संरक्षण ही  हमारा ध्येय होना चाहिए।

7 प्रतियोगिता स्वयं से होनी चाहिए।

8 नैतिक चारित्रिक मानवीय गुणों का विकास करने का प्रयत्न करें।

9 उत्साहवर्धक, अभिप्रेरणात्मक, धार्मिक, नैतिक, चारित्रिक बल बढ़ाने वाली बातों का समावेश दैनिक जीवन में करें ताकि बच्चे अपने आप में एक अद्वितीय शक्ति का संचार महसूस कर सके एवं स्वस्थता एवं स्फूर्ति के साथ परीक्षाओं को मूर्त रूप दे सके।

10 जिस विषय का पेपर हो चुका है चाहे वह कैसा भी हुआ है उस पर अधिक ध्यान ना देते हुए अगले पेपर की तैयारी में लग जाए तो ज्यादा अच्छा है।

11 इन दिनों में बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का प्रयास करें ताकि उन्हें यह लगे कि हमारी तैयारी में हमारे अभिभावक भी पूरी तरह से सहयोगी हैं।

12 बच्चों को मानसिक स्तर पर स्वस्थ रखने का प्रयास करें, खुश रखने का प्रयास करें।

★ मौलिकता का प्रमाण पत्र ★

मैं, नीरू मोहन 'वागीश्वरी'  स्वप्रमाणित करता हूँ कि प्रविष्टि में भेजी रचना नितांत मौलिक हैं, तथा मैं आपके लोकप्रिय व प्रतिष्ठित समाचार पत्र “दैनिक वर्तमान अंकुर” को काव्य रचना को प्रकाशित करने की अनुमति प्रदान करता हूँ, रचना के प्रकाशन से यदि कापीराईट का उल्लंघन होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी।

हाइकु -8


बाग का माली
घर में खुशहाली
हो हरियाली

वन संपदा
प्रकृति सुशोभित
मिले औषधि

वन दोहन
मुरझाई है धरा
जीव बेघर

ये प्रदूषण
हरियाली है नष्ट
श्वास भी कम

वृक्ष बचाओ
चिपको आंदोलन
सफल यत्न

वृक्ष लगाओ
हरियाली फैलाओ
धरा बचाओ

बदले रिश्ते 
युग परिवर्तन
कोई न मीत

नाम के रिश्ते
बने सभी अंजान
मिले न साथ

ये रिश्ते नाते
है झूठे आडंबर
बनाएँ बातें

खोखले मन
दोस्त बने दुश्मन
खेलें षड्यंत्र

है काल चक्र
अपने हुए पराए
राह भी वक्र

प्रेम लगन
राम रतन धन
जिया मगन

अनन्त आशा
जीवन क्षणभर
पलटे पासा

मृत्यु है द्वारे
प्राण उड़े पखेरू
मौन हैं शब्द

तपती धरा
वायु में अग्नि वर्षा
खाली है घड़ा

घर के वृद्ध
वट वृक्ष समृद्ध
कार्य हो सिद्ध

मात दिवस
ससुराल के पाश
बेटी विवश

माँ की ममता
अनमोल खज़ाना
बने नसीब

दर्प सच्चाई
मात छवि दिखाई
मैं परछाई

बेटा या बेटी
समानता का भाव
माँ का दुलार        20

मन तरंग
कुहास से किरण
इंद्रधनुष

अंतर्वेदना
संताप से छलनी
है रक्तश्राव

माँ वसुंधरा
हर क्षण तपती
क्यों है मरती ?

भू पर प्राण
असंभव जीवन
कैसे निर्माण

नील गगन
वसुधा का रक्षक
प्राणी भक्षक

माँ का अंक
धरती का आँचल
समता संग

हरित धरा
पर्यावरण नष्ट
मानुष भ्रष्ट

भूमि संपन्न
करो वृक्षारोपण
मिले पोषण

पृथ्वी जननी
रोको ये प्रदूषण
बनो रक्षक

   

Tuesday 20 March 2018

हिंद विरांगना सम्मान

साहित्य संगम द्वारा नीरू मोहन 'वागीश्वरी जी को हिंद विरांगना सम्मान

बेटी (लघु कथा)

बेटी (लघु कथा)

एक लड़की सकुचाई-सी, घबराई-सी अकेली तन्हा …सड़क पर खड़ी …बस के इंतजार में । कुछ मनचले आते हैं । चारों तरफ लड़की के गाना गाते हैं। कभी लड़की को ऊपर से देखें कभी नीचे से देखें । कोई दुपट्टा खींचे , कोई गाने गाए और कोई भद्दे शब्दों से संबोधित करें । लड़की नीचे मुँह करे बस उनकी हरकतों को नज़रअंदाज करती है । लड़के फिर चारों तरफ घूमे लड़की को छेड़ते हुए पूछते हैं…क्या नाम है तुम्हारा ? लड़की घबराते हुए बड़े धीमे स्वर में बोली………बेटी ????

Sunday 18 March 2018

हाइकु 7

सर्प का डंक
सदैव है विषैला
मृत्यु समक्ष

जो गुणहीन
दर-दर भटके
गति न पाए

दलदल है
राजनैतिक दल
दल ही दल

घुन खा जाता
अनाज,आचरण
थोथा करता

कपटी मित्र
विषैला विषधर
छल करता

परमेश्वर
सृष्टि का रचयिता
पालनहार

दर्द का बीज
खुशहाली न लाता
मान घटाता

गंगा बचाओ
कुछ करो प्रयास
अशुद्ध जल

कटु वचन
शमशीर से तेज़
रिश्ते दमन

है उषाकाल
शिवरात्रि महान
दूध की धार

बेल के पत्र
कनक का प्रसाद
शिव का खास

रात्रि का तम
चंद्रिका सी चाँदनी
मिटते गम

मीत स्मरण
फलक पर चंद्र
प्रदीप्त मन

सुर्ख सूरज
है गगन रक्तिम
डूबता मन

सुंदर मुख
जैसे नभ में चंद्र
नयन तारा

सूनी सी मिश्रा
चंद्र की अगुवाई
लाती है आशा

अंबर तल
श्वेत निहारिकाएँ
निर्मल मन

छूने गगन
चली सागर लहरें
मंज़िल पाएँ

बेटी विदाई
नयन नीर भरे
प्रभात आई

पूनम चाँद
करें अल्हड़पन
सजन संग

नवीन सृष्टि
हुई अमृत वृष्टि
प्रेम की दृष्टि

प्रीत की डोर
प्राण इंद्रधनुषी
मिलेगा छोर

ऋतु स्वच्छंद
प्रकृति सुंदरता
प्रेम के छंद

भीगे नयन
स्मृतियों के वरद
लाएँ शमन

मौन की भाषा
होती है मौन स्पर्श
छू लेती मन

देव स्वरूप
प्रेम है परमात्मा
न दूजा रूप

बिखरे स्वप्न
अधूरी रही निद्रा
स्मृतियाँ बन

अमलतास
स्मृति की चोट पर
है उपचर्या           

चमक उठी
नैनों में बन ज्योति
आस झूठी

पुस्तक कीट
सदैव बना रहता
अक्ल का अंधा

मीठी सुहानी
बचपन की यादें
कहें कहानी

पिता की छाया
वट वृक्ष की भांति
प्रभु की माया

उदास मन
महकाए बसंत
प्रेम पुष्प

प्रीत प्रसंग
मन बजे मृदंग
उर मलंग

मुरझाई कली
अधखिला चमन
सूनी है गली

आया बसंत
चटकी है कलियाँ
खिल चमन

संग रहते
शूल संग फूल
दर्द सहते

कर्म का पथ
है आग का दरिया
जीवन रथ

बसंती लाज
है लाडली समेटे
राह पे आज

मासूम कली
घर आँगन खिली
क्यों गई छली ?

आँगन खिला
लाडो ने पाँव रखा
कुबेर मिला

बेटी चाहती
माँ सी अपनी छवि
दर्प निहारे

रेत के घर
नन्हे बच्चे बनाते
मिले न दर

छिड़ते युद्ध
रुदन चहुँ ओर
हँसते गिद्ध

फूल-सी पली
प्यारी बेटियाँ सभी
फिर क्यों जलीं

उंमुक्त पंछी
नभ में विचरण
मनुज बंदी

जल सी जल
पवित्र कब तक
है जाती छल

ये पतझड़
संग लाई है तनहाई
सूना आँगन

झूमे बसंत
नव कोपल संग
भरे रंगत

फूटी कोपल
नाच उठा आँगन
गूँजा है रव

महकी कली
तितलियों का शोर
बौराए अलि

मस्त मिलिंद
कलिया महक उठीं
ऋतु वसंत

अनंत रंग
है फागुन बसंत
गुलाबी अंग

मन सरस
संग पिया मिलन
फाग बरस

यादों की नदी
उफनती है जब
बदले सदी

पुष्प पंखुड़ी
कोमल रंग-बिरंगी
फूल से झड़ी

मन है तन्हा
लगा सावन झूला
पिया की याद

ऋतु बसंत
पुष्प बहार लाई
धरा प्रसन्न

पिया का साथ
बसंती मुसकान
हाथों में हाथ

मधुर धुनें
प्रेम प्रसंग सर्वत्र
लगे अगन

जिया बहका
पलाश की अगन
मन महका

होली के रंग
लाल 'लता पलाश'
जले हैं अंग

वन की अग्नि
पलाश की सजनी
क्षीर्ण रजनी

निष्ठुर माली
चमन पुष्पकली
मसल डाली

काँटो के संग
सदा हँसता रहता
कोमल पुष्प

नवीन शब्द
साहित्य को सजाते
सम्मान पाते

मुख पे तिल
शोभा सदा बढ़ाता
जैसे हो अलि

नाज़ों से पली
आँगन की लाडली
फूल-सी खिली             

छेड़ फसाना
गाएँ प्रेम तराना
बने बहाना

नवोढ़ा बेल
मसली पैरों तले
भाग का खेल

मंजरी गली
मकरंद सुरूर
भटके अलि

काँटो का दर्द
पुष्प सहता रहा
पाश में हँसा

नवप्रभात
भरपूर उजास
हार न मान

मृदुल बोल
मन महका जाता
शब्द सुमन

स्वर्ण सहर
देते छाया शजर
मस्त भ्रमर

अल्हड़ कली
मनचली संभली
बनी है बलि

स्वतंत्र राष्ट्र
नेता हो धृतराष्ट्र
परास्त राष्ट्र

गौरवान्वित
हिंदी भाषा से हम
करो सम्मान

बाल भवन
लगन स्वर्ण स्वप्न
ज्ञान आँगन

माँ वीणापाणि
बल-बुद्धि दायिनी
विद्या की देवी

माँ वागीश्वरी
ज्ञान धन प्रदाती
हरे दीनता

है मातृभाषा
जन संस्कृतिदायी
मिटे निराशा

लाए उजास
मातृ भाषा का ज्ञान
देश विकास

हैं वटवृक्ष
लगन के संस्कार
फैले प्रकाश

माँ हंसवाहिनी
वाणी है सँवारती
ज्ञान बढ़ाती

मेघ हैं आते
पिया याद दिलाते
पिया न आते

मां आशीर्वाद
नवरात्रि त्योहार
वास आबाद      

सर्वप्रथम
माँ शारदा नमन
अज्ञान खत्म

शिरडी साईं
नैया पार लगाई
खुशियाँ आईँ

श्री गिरधारी
ग्वालिन संग गैया
हैं लीलाधारी

शिव पार्वती
गणेश कार्तिकेय
करें आरती

राम की सीता
सातों वचन संग
वन में जाती

पवन पुत्र
राम के भक्त प्यारे
मन विराजे

शबरी खाती
राम के झूठे बेर
मुक्ति है पाती

है दुर्गा काली
रौंद्र रूप धारिणी
पाप मिटाती

रंगीन पुष्प
तितली मस्तानी
अलि है चुप

निशा का अंत
प्रभात का आगाज़
सूर्य नमन

कोयल गाती
बसंत का तराना
पीत सजाती

मस्त दीवाने
पूछें…क्या तेरा नाम
मैं बोली…बेटी

जड़ पर चोट
न मार ऐ इंसान
मिले न मोक्ष

Friday 9 March 2018

नीरू मोहन जी को 'वीणापाणि' सम्मान से सम्मानित किया गया

साहित्य संगम संस्थान की ओर से महिला दिवस 2018 के सुअवसर पर साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु 'वीणापाणि' सम्मान से सम्मानित किया गया । मैं संस्थान का सहृदय धन्यवाद करती हूँ ।

Thursday 1 March 2018

नाम : पंकज त्रिपाठी
शिक्षा : आचार्य (संस्कृत साहित्य)
विद्यालय: पराग ज्योति पब्लिक          स्कूल, शिव विहार , कराला, दिल्ली 81
निवास स्थान: D 33b , शिव विहार , कराला , दिल्ली 81
दूरभाष संख्या: 8743842591
ईमेल आईडी: pankajtripathi528@gmail.com

नाम-              सरिता गुप्ता
शिक्षा-              एम.ए.बी एंड
स्कूल-              विद्या विहार विद्यालय
                      नवीन शाहदरा
शिक्षिका.          हिंदी, संस्कृत (टी जी टी)
स्थाई पता-        सी-764 एल आई जी फ्लैट
                        शाहदरा दिल्ली
मोबाइल           -09811679001,
                        9958148300
Email.             Sritaguptagmail.com

1. नाम- डाॅ. संदीप सिंघल
2. शिक्षा- बी.ए., बी.एड., एम.ए., पीएच.डी.
2. स्कूल का नाम व पता- प्रिसीडियम स्कूल, अशोक विहार, फेज़ 2, नई दिल्ली
3. घर का पता- wz-313, 191, तिहाड़ गाँव, गुज्जर मार्किट, गली न. 3, नई दिल्ली 110018
4. मोबाइल नंबर-9999096588
5. ई मेल-dr.sandeepaggarwal84@yahoo.in

हिंदुस्तानी भाषा शिक्षक प्रकोष्ठ

1. संतोष कुमारी
एम.ए॰,एम.फ़िल.बी.एड
मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल
सेक्टर ४,द्वारका.नई दिल्ली
घर का पता
मकान संख्या२१३/५A.मुनिरका
डाकघर। जे.एन.यू.
पिन कोड ११००६७
मोबाइल नम्बर ९८७१३८२४४०
ईमेल
ms.santosh1972@rediffmail .com

2. नाम - दीपांजलि वलेचा
शिक्षा - एम. ए , ब. एड
स्कूल - प्रिसिडिम , 16 बी, द्वारका, नई दिल्ली ।
घर का पता - 53, श्री बद्रीनाथ अ्पार्टमेंट्स, सेक्टर 4 , द्वारका
मोबाइल न - 9868157718
ई मेल - deps1975@ yahoo.com

3. नामः कल्पना कौशिक
शिक्षाः एम. ए. बी एड. आयुर्वेद रत्न
स्कूल का नाम व पताः दिल्ली पब्लिक स्कूल वसुंधरा गाजियाबाद सैक्टर 9वसुंधरा
घर का पताः  617 Aमालीवाड़ा गाजियाबाद
मोबाइल नंबरः 9717045628
ई मेलः kalpana.kaushik20@gmail .com

4. नाम - नोरिन शर्मा
विद्यालय का नाम -एहलकॉन पब्लिक
मयूर विहार,फेस-1 दिल्ली-110091
घर का पता-C-4/126, sector-31, Noida (UP)201301
फोन-9868452881
Email-norinsharma@yahoo.co.in

5. नाम - सुश्री राज वर्मा
आयु (जन्मतिथि) - 3 जुलाई 1972 पदनाम - हिंदी शिक्षिका स्कूल का नाम व पता - लायंस पब्लिक स्कूल गुरुग्राम निवास/डाक का पता - A-4 इन्दिरा पुरी निकट जैकबपुरा गुरूग्राम मोबाइल नंबर - 8447165167 ईमेल - rajvermasaraswati@gmail.com 

6. शिक्षिका-शकुंतला मित्तल
विद्यालय-लीलावती विद्या मंदिर
शक्ति नगर
दिल्ली 7
घर का पता-4/10रूप नगर
दिल्ली 7
शिक्षा-हिंदी विषय में स्नातकोत्तर
इन्द्रप्रस्थ महाविद्यालय से
मोबाइल 9910809231
हिंदी  अकादमी  शिक्षक  सम्मान और राज्य शिक्षक सम्मान  से सम्मानित।
हिंदी संबधित किसी भी प्रकार की सेवा में सदैव तत्पर
नौवीं और दसवीं कक्षा में अध्यापन shakunmittal@gmail.com 

शिक्षिका-शकुंतला मित्तल
विद्यालय-लीलावती विद्या मंदिर
शक्ति नगर
दिल्ली 7
घर का पता-4/10रूप नगर
दिल्ली 7
शिक्षा-हिंदी विषय में स्नातकोत्तर
इन्द्रप्रस्थ महाविद्यालय से
मोबाइल 9910809231
हिंदी  अकादमी  शिक्षक  सम्मान और राज्य शिक्षक सम्मान  से सम्मानित।
हिंदी संबधित किसी भी प्रकार की सेवा में सदैव तत्पर
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