Thursday, 18 May 2017

मेरा वतन मेरा चमन


रवि जहाँ से उगता है,
किरणों को फैलाता है|
नई सुबह की खोज में जब,
गगनचुंभि तक जाता है|
नए जोश और नव निर्माण का,
नया उजाला लाता है|
तभी वतन के लोगों में,
नवजोश उत्पन्न हो जाता है|


फूल से फूल मिले तो,
एक नया बाग बन जाता है|
कदम से कदम मिले तो,
एक नया पथ बन जाता है|
ईंट से ईंट मिले तो,
महल नया बन जाता है|
सुर से सुर मिले तो,
राग नया बन जाता है|
हाथ से हाथ मिले तो,
एक नया राष्ट्र बन जाता है|
नवप्रभात के संग मिलकर,
एक नया सवेरा आता है|


संगणक का है जमाना,
तारतम्यता का है फसाना|
अधिन्यासों का है दौर,
भारत की सभ्यता और संस्कृति का है
यह तराना|
अतुल्य भारत को दर्शाने,
आज एकत्र हुआ है|
भारत का हर एक चाहने वाला|
भारत का हर एक चाहने वाला|

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