Thursday 18 May 2017

****’खामोशी’ भी बोलती है*****

*खामोश हूँ,पर
कहना अभी बाकी है बहुत कुछ |
जिंदगी के लम्हे कम है
मगर कहने को बातें अभी बाकी हैं बहुत कुछ |

*दिया जो साथ जिंदगी ने
खामोशी तोड़ दूँगा मैं |
खामोश रहने के लिए
किया है मजबूर
जिन्होंने मुझे आज तक |
उन्हीं के आगे उनकी सच्चाई
खोल दूँगा मैं |

*ना समझना कमजोर मुझे
तू ऐ मेरे मुंसिब |
दोस्ती के खोल में
जो निभाई है तूने दुश्मनी मुझसे |
उसकी सारी परते
एक-एक करके खोल दूँगा मैं|

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