Thursday 18 May 2017

****वैलेंटाइन डे****होता है क्या??????? शायद एक भ्रम

वैलेंटाइन डे का अर्थ आज तक न मुझे समझ आया है |
व्यर्थ के दिनों ने युवाओं को भ्रमित कर अपना बनाया है |

स्लैप डे ,चॉकलेट डे और एनिमी डे,                          ऐसे नामों ने वैलेंटाइन डे पर दूसरा ही रंग चढ़ाया है |चॉकलेट ,उपहार और फूल देकर ,                        लड़के-लड़कियों ने एक-दूसरे का मन बहलाया है |

वेलेंटाइन डे के दूसरे ही दिन एक-दूसरे को भूल जाते हैं |
क्या यही है वैलेंटाइन डे जो देश में सब मनाते हैं ? 

नहीं कुछ भी इस दिन की सार्थकता है |               कितने बागों की उजड़ी हुई - सी व्यथा है |                   फूल से फूल को जुदा किया जाता है ।                         उजाड़ चमन फिर चमन बसाया जाता है।

इस दिन ने युवाओं में दोस्ती को कुछ और ही चोला पहनाया है |                                                    युवाओं में तो क्या स्कूली बच्चों में भी इसका जुनून भर आया है |

वैलेंटाइन डे आने से पहले ही बाजारों में फूलों का बगीचा - सा सजा होता है |                                                कोई देता है किसी को मनाने के लिए और देता है कोई पुरानी दुश्मनी मिटाने के लिए |                             कोई देता है मस्ती भरी अठखेलियों के लिए ।          कोई देता है सच्ची दोस्ती की पहेलियों के लिए |

क्या इस दिन के होने से ही सच्ची दोस्ती दिखती है ?      या दोस्ती से ज्यादा इस दिन की अहमियत होती है ।      जो कुछ फूलों की बलि वेदी से खिलती है ।              पीला ,लाल ,गुलाबी फूल तो मिल जाता है परंतु माँ बाप के विश्वास का रंग उसमें पिघल जाता है |

इंसान फिर क्यों अपना अस्तित्व भूलकर वैलेंटाइन डे के पीछे भागा जाता है ।                                            जिसका न कोई छोर ना ही ठिकाना है ।                  उसे सब पता है… इससे कुछ भी हांसिल नहीं होना है |  बस इस दिन के अगले दिन वही जीवन की सादगी भरी बेला है |

***तो कहती है नीरू ऐसे दिनों से कुछ भी हासिल नहीं होना है |                                                              मां के आंचल की बहार के आगे ऐसे दिनों का बेमतलब होना है ।  

दिन है मौज-मस्ती का ऐसे ही निकल जाएगा |          जाते-जाते यह कुछ भी न देकर जाएगा ।                झूठी यादें,झूठा अहसास और झूठा प्यार ही रह जाएगा ।जो कभी भी तुम्हारे किसी काम नहीं आएगा |

सबसे बड़े वैलेंटाइन (शुभचिंतक) हमारे अभिभावक हैं | 
जिनके होने से हमारा हर साल शुुभ फलदायक है ।    वही हैं सच्चे साथी और सच्चे दोस्त हमारे जीवन में ।      साथ देंगे जीवन में हर कठिन मोड़ पर अडिग होकर ।


  *** किए थे अपने नेत्रदान सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु से पहले ।                                                         दिए नेत्र जेलर की नेत्रहीन बेटी (जैकोबम) को पत्र लिखकर के |                                                  लिखा था अंत में तुम्हारा वैलेंटाइन (शुभचिंतक) हूं बेटी । स्वीकार कर मेरे नेत्र देखो इस दुनिया को ।

इस संत के नाम पर मनाया जाता है यह दिन विश्व भर में निस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है हर घर में
प्यार ,त्याग ,बलिदान और एक उपहार है यह दिन |
जिसको समझ आ जाए उसके लिए वरदान है यह दिन ।

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