Thursday 18 May 2017

* बेटी अब पिया के द्वार चली*

बाबुल की गलियाँ छोड़ के आज
बेटी अब पिया के द्वार चली
मयके की गली को छोड़ के अब
मेरी लाडली रे ससुराल चली
नाजों नखरों से इसे पाला मैंने
ये छोड़ के मेरा यह धाम चली
बाबुल के हाथ को छोड़ के अब
पिया का वो थामें हाथ चली
बाबुल की गलियाँ छोड़ के आज
बेटी अब पीके द्वार चली

जीवन तेरा फूलों से सजे
काँटो का कभी ना ताज मिले
सिर तेरे सदा ही ताज सजे
तुझे ऐसी प्रीत दुलार मिले
माँ बाप की तुझको ना याद आए ससुराल में लाड और प्यार मिले
माँ बाबा के जैसे मात-पिता
बहन-भाई के जैसे साथी मिलें
बाबुल की ना याद सताए तुझे
पिया घर में खिला संसार मिले
बाबुल की गलियाँ छोड़ के आज
बेटी अब पिया के द्वार चली

****बाबुल की गलियाँ छोड़के आज
बेटी अब पिया के द्वार चली

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