**दर्द जो कोई कहता नहीं **सिर्फ सहता**
*माँ के न होने का दर्द
ऐसा होता है ।
जो कोई कहता नहीं
सिर्फ सहता है ।
*यह दर्द तो सिर्फ
वही बता सकता है
जिसने अपनी माँ को खोया है
रोज़ तिल-तिल के मरा
और रो-रो के सोया है ।
*हे भगवान! तूने ये गम क्यों मुझको दिया
जो मेरा था
वो भी मुझसे तूने
जुदा किया ।
*एक माँ दी थी
जो तूने मुझको
दुख में सुख में
जो रहती थी साथ मेरे…
*इतने बरस बीते
न देखी सूरत उसकी
न सुनी बोली भी मैंने उसकी…
*क्यों तूने यह सब
मेरे साथ किया ।
माँ मेरी छीनकर
क्यो मुझे अनाथ किया ।
*किसको मैं अपना कहूँ
यह सब दुख
किसको सुनाऊँ ।
कौन है वह…
जिसके में गले लगकर
अपना गम भुलाऊँ ।
*नहीं है कोई दुनिया में ऐसा
जिसको सुनाऊँ
दुख दर्द अपना मैं…
एक जो थी माँ मेरी
उसको भी तूने
छीन लिया है ।
*उसको अपनी
दुनिया में बुलाके
मेरी इस दुनिया को
तूने क्यों उजाड़ दिया ?
ये सब करके तुझको
क्या कुछ हासिल हुआ ?
*न रो सकी में खुलकर
किसी के सामने…
न दर्द अपना कह सकी
किसी को अपना बनाके…
*मतलबी है यह दुनिया
मतलबी है लोग यहाँ के…
जिसको समझो अपना
वही दे जाता है गम
पराया बनाके…
*तुम ही तो थी
जिसको बताती थी
मैं अपनी हर बात ।
और सुनाती थी
अपने दिल का हर हाल ।
*जिस दिन से गई हो तुम
इस लोक से उस लोक ।
रो-रो कर हर दिन
काटा है मैंने अपना हर रोज़ ।
*माँ तेरी कमी मुझे आज
हर पल महसूस होती है ।
तू नहीं है आज मेरे पास
हर रोज तेरी कमी
मुझे बहुत खलती है ।
*लिख रही हूँ
मगर आज भी मेरी आँखें
बहुत नम हैं ।
किससे कहूँ
अपने दिल की हर बात ?
रोज़ तेरे बिन…
यूँ ही तड़पती हूँ हर क्षण मैं
*शिकायत मुझे सिर्फ
उस भगवान से ही है
जिसने आज अकेला
मुझे इस दुनिया में छोड़ा है ।
कोई नहीं है मेरा यहाँ
सिर्फ़ तेरी यादों का ही बसेरा है ।
*तेरे बिना यहाँ सब कुछ
पराया-सा लगता है ।
तू नहीं है तभी तो यह जग
बेगाना सा लगता है ।
*हे ईश्वर किसी से
उसकी माँ को न जुदा करना तू ।
अगर दे माँ …तो कभी वापस
माँ न उसकी लेना तू ।
कभी वापस माँ…
****न उसकी लेना तू ।
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