Wednesday 18 March 2020

हॉकी के जादूगर… मेजर ध्यानचंद ( कविता )

गिल्ली डंडा, खेल कबड्डी
काना फूसी, पिट्ठू, गिट्टी ।
खेल – खेल में बड़े हुए सब
खेलों से मिल गई तरक्की ।

ध्यानचंद ने नाम कमाया
हॉकी को मशहूर बनाया ।
राष्ट्र के लिए है यही संदेश
हॉकी में वह सबसे श्रेष्ठ ।

हॉकी के जादूगर एक
स्वर्ण पदक पाए अनेक ।
जन्मदिवस इनका सार्थक है
अगस्त २९ ‘खेल दिवस’ है ।

ध्यान सिंह था इनका नाम
चन्द्र ने दिया इनको प्रकाश ।
रात में अकसर खेला खेल
‘ चंद ‘ नाम मित्रों की भेंट।

ध्यानचंद पड़ गया था नाम
एम्स्टर्डम में किया कमाल।
किए थे १४ गोल वहां पर
हॉकी के जादूगर ने ।

हिटलर को दिया कड़ा जवाब
भारत के प्रति रखा मान ।
हिटलर का प्रस्ताव ठुकराया
भारत का सम्मान बढ़ाया ।

Tuesday 17 March 2020

जन्मदिन संदेश

सरल सहृदय, सहयोगी व्यक्तित्व
ज्ञान ज्योति की गागर शीत
बच्चों की प्रिय सदैव
चांदनी को लिए समेट
सार्थक करता आपका नाम
जन्मदिन मुबारक हो आज
🌹🌹जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!🌹🌹

🌻🌻🌻
परियों की जो सुनी कहानी
नानी, दादी, बचपन वाली ।
तुम गुड़िया हो वही सुहानी
प्यारी, कोमल, पारियों वाली ।
मृदुवाणी, सुंदर, कोमल मन
बच्चों का मन मोहने वाली ।
प्रीति – नदी की गागर हो तुम
बच्चों की टीचर मतवाली ।
🌹खुश रहो और खुशियां फैलाती रहो 🌹

🌻🌻🌹🌹🌻🌻
🌹एक अंजू में समाया है समंदर सारा ।
🌹गंभीरता तुम्हारी समंदर से ज्यादा ।
🌹बोली में घुली है मिठास गुड़ – सी ।
🌹व्यवहार में शालीनता कौमुदी – सी
🌹उन्मुक्त गगन में भरो उड़ान ऐसी ।
🌹मंदाकिनी भी लगे प्रभात – सी ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई !
🌹🌹🌹🌹🌹🌹

🌻🌻🌻🌻🌻
मुख पर मुस्कान
मन है शांत ।
तितलियों की तरह
चंचल हैं आप ।

आपके मुख से
छलकता है तेज ।
मन जैसे लिए हो
उमंगे अनेक ।

पूरे हों जीवन में
सभी अरमान ।
आपका हो यह दिन
हमेशा ही ख़ास ।

आपकी मुस्कान में
फूलों – सा एहसास ।
जन्मदिन मुबारक हो
आपको आज ।

🌹🌹🌹🌹🌹

आस्था ईश्वर में, मस्तक तिलक सुसाजे ।

प्रसून मुस्कान आपके मुख पे मलय समीर - सी लागे ।

संस्कारों के मनके बंधे - से दिखते है बातों में ।

आप सभी के साथ है ऐसे जैसे भैया प्यारे ।

🌹🌹🌻🌻🌹🌹
🌻आपसे प्रेषित प्रथम शुभकामना से ,
शुभकामनाओं की बनती पुष्पमाल ।
🌻संदेश शुभ पहुंचाएं आप सभी को,
सूर्य की प्रथम किरण के साथ ।
🌻शालीनता व्यवहार की, शीतलता वाक् की …औषधि स्वरुप है आपकी ।
🌻यही शुभ कामना हमारी ओर से
खुशियों से भरती रहे झोली आपकी ।
🌹🌹जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !🌹🌹

🌹🌹🌻🌻🌹🌹
चेहरे पर मुस्कान, बातों में अंदाज़
आपका आचार पतझड़ में खिलाए बहार
आपको मुबारक… दिन मुबारक आपका
चमन खिलाता रहे जहां आगमन हो आपका ।।
🌹🌹🌻🌻🌹🌹

💐💐🎻🎻💐💐
मनोहर फूलों की महक जैसे
बगिया में खिले चमन के जैसे
आपकी मुस्कान बनी रहे
सूरज की हर किरण के जैसे
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🌹🌹🌹🌹🌹
मुस्कान आपकी सुमन सुरभि समान
वाणी में मां शारदे का वास
व्यवहार में शालीनता विद्यमान
मुख की कांति चंद्र ज्योत्सना समान ।।
यही शुभकामना है… आपके जीवन में रहें खुशियां अपार

🌹🌹🌹🌹🌹
जन्मदिन की हार्दिक बधाई!
चंद्र चांदनी संदेश है लाई ।
खुशियां अविरल बनी रहें।
सुख समृद्धि गागर भरी रहे।
चन्द्र चांदनी चन्द्रकला सी
जन्मदिन की अनंत बधाई !
🌹🌹🌹🌹🌹

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
सुरों में सतरंगी झंकार रहे ।
वाणी में गुड़ – सी मिठास रहे ।
खुशियों से भरे जीवन आपका
सदैव वीणापाणि का आशीर्वाद रहे ।
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वर्णिम प्रभात कलरव आकाश
आपका व्यक्तित्व आदित्य प्रकाश
सदैव मार्गदर्शक; है प्रतिमान
बुद्धि,विवेक,धैर्य,विनय विद्यमान
स्फूर्ति,जोश,ऊर्जा का करता संचार
आपके आशीर्वाद की सदैव है कामना
अवतरण दिवस की हृदय तल से मंगलकामना ॥
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Friday 13 March 2020

बहिष्कार… कोरोना वापिस जाओ

बहिष्कार … कोरोना वापिस जाओ 😊

सरताजों का ताज कोरोना
फैले छूकर हाथ कोरोना
छींक पे भी है इसका ज़ोर
खांसी बन गई इसकी दोस्त

जिसको ये (कोरोना) छू जाता है
घर का वह हो जाता है
दूर भागते देखके इसको
दूर भगाओ कहते इसको

नहीं नज़दीक अब जाना है (किसी भी जन के)
नजदीकी चाहे रिश्ता उससे
पास-पड़ोस कम किया है इसने
 रोना पूरा डाला इसने

चीन में पनपा इटली पहुंचा
घूम देश सब आया है
भारत में पहुंचा है जब से
भय इसने फैलाया है

भय इसका इतना फैला है
हग (गले मिलना)भी कोई नहीं करता है
हाथ मिलाना हुआ ख़त्म है
हाथ जोड़कर हाय ! हेलो! है

इसके भय से स्कूल भी बंद हैं
कारोबार सभी के ठप्प हैं
खोमचे वाले परेशान हैं
मंदी में अब पूरा जग है

चर्चा में सरताज कोरोना
खबरों में बस इसका होना
बूढ़ा, बच्चा, नेता, अफ़सर
बोलें अब तुम जाओ कोरोना

डरना नहीं है इससे हमको
लड़ना होगा इससे हमको
साफ-सफाई रखनी होगी
स्वच्छता हमें बरतनी होगी

मुंह पर मास्क लगाना होगा
सबको यह बतलाना होगा
हाथों को धोना बार-बार है
साबुन रखना अपने पास है 

ठेंगा इसे दिखाना है
बच्चा अब बन जाना है
कोरोना के इस नए भूत को
जड़ से हमें मिटाना है

जन-जन में जारी जागरूकता संदेश

डॉ नीरू मोहन वागीश्वरी

Wednesday 11 March 2020

सुनहरी धूप… संस्कारों की (लघुकथा)

सुनहरी धूप… संस्कारों की 
सुबह के इंतज़ार में निशा पूरी रात करवटें बदलती रही । 4:00 बज गए हैं… माधव ने कहते हुए करवट ली । थोड़ी देर सो भी जाओ, मुझे पता है तुम्हारी नींद कहां उड़ गई है । मैं समझ सकता हूं । मार्च के महीने में तुम्हारी यह बेचैनी हर साल आती है जब से तुम्हारा बेटा विलायत गया है तब से हर साल उसके आने की खुशी में यह बेचैनी तुम्हारे चेहरे पर झलकती है । बातें करते-करते कब उजाला हो गया पता ही नहीं चला । पक्षियों का कलरव वातावरण में मिठास घोलने लगा । प्रभात की पहली किरण मानो नया सवेरा लेकर निशा के अंतर्मन में एक नई उमंग पैदा कर रही है । निशा … उठो माधव नहा धो लो । अरे , क्या निशा .… तुम भी न… गौरव ही तो आ रहा है ; वह भी सिर्फ 1 साल बाद …मजाक उड़ाते हुए रोज तो उससे बात करती हो फिर भी । माधव तुम्हें क्या पता एक बेटे के आने की खुशी एक मां के लिए क्या होती है? हां भई, वो तो सिर्फ तुम्हारा ही बेटा है न । मेरा……तोओओओ… अरे नहीं माधव! मुझे पता है तुम अपनी खुशी और प्यार जाहिर नहीं करते ; मगर मुझसे ज्यादा तुम गौरव से प्यार करते हो । अरे नहीं भई … मैं मां बेटे के प्यार के बीच में नहीं आता । चलो, अब बताओ क्या बना रही हो ? अपने लाड़ले के लिए । महेश… (गौरव का चाचा) अरे भैया आज तो हम सभी को पता है… चाची (राधिका) स्वर से स्वर मिलाकर बोली वही गौरव के सबसे स्पेशल और हमारे भी… दाल - चावल हींग के तड़के वाले और उसके साथ ताजे दूध की रबड़ी मेवा भरी । विलायत में रहकर भी हमारा गौरव पूरा भारतीय है । अपनी सभ्यता संस्कृति और संस्कारों को भूला नहीं है । 

इतने में दरवाजे की घंटी बजती है । घर में गौरव के आने की खुशी, सभी दरवाजे की तरफ दौड़ते हैं और जैसे ही दरवाजा खोलते हैं, दरवाजे पर सीमा (गौरव की चचेरी बहन) अंदर प्रवेश करती है । क्या हुआ? कहते हुए… सभी की बेचैनी और उत्साह भांप लेती है । ओह! गौरव भैया का इंतजार हो रहा है ; उनकी तो फ्लाइट लेट है ; वह भी 6 घंटे । सभी के मुंह से… क्या…… इतने में गौरव कमरे में प्रवेश करता है । सभी की खुशी का ठिकाना नहीं है । गौरव सभी के चरण स्पर्श करता है । दादा - दादी की तस्वीर के समक्ष जाकर उनका आशीर्वाद लेता है इससे पता चलता है कि गौरव विलायत में रहकर भी अपने संस्कारों को नहीं भूला है । पूरा दिन बातें चलती हैं, हंसी मजाक, खाना-पीना बस पूरा परिवार गौरव की यह छुट्टियां भी हर साल की छुट्टियों की तरह यादगार बनाना चाहते हैं । यह परिवार एकता की मिसाल है जहां भाई - भाई से बहुत प्यार करता है । भारतीय संस्कारों की जड़े आज भी इस परिवार में देखी जा सकती हैं ।आज संयुक्त परिवार का उदाहरण है गौरव का परिवार ।रात कब हो जाती है पता ही नहीं चलता । खाने से निपट कर सभी आइसक्रीम का लुफ्त उठाते हैं । आज तो रतजगा है कहते हुए सभी हॉल में ही एक साथ सोने का मन बनाते हैं । बिस्तर बिछाया जाता है एक तरफ गौरव की चाची, मम्मी और चचेरी बहन और दूसरी और गौरव, माधव और मुकेश छह सदस्यों का पूरा वृत्त मानो पूरी पृथ्वी को समेटे हुए एक मिसाल प्रस्तुत कर रहा हो …एकता, सौहार्द, भाईचारे, और प्रेम की । 

गौरव …पापा आपको नहीं लगता अब यह घर छोटा पड़ता है ; क्यों न हम एक नया और बड़ा घर ले लें ? वैसे भी पापा मेरे सभी दोस्तों के घर बड़े हैं । कभी न कभी तो हमें बड़ा घर लेना ही है तो क्यों न हम अभी से इस के बारे में सोचें । माधव बेटे के मुंह से बड़े घर की बात सुनकर भौंचक्का रह जाथा है । सभी गौरव की तरफ देखने लगते हैं । राधिका, निशा और सीमा नि:शब्द एक दूसरे की ओर देखती हैं । माधव पहले मुकेश को देखता है फिर गौरव को और कहता है बेटा गौरव में अपने छोटे भाई से अलग नहीं रह सकता और न ही मैं कभी उसे छोड़ सकता हूं । यह पूरा परिवार तुम्हारे दादा - दादी का सुंदर सपना है और इस सपने को मैं टूटने नहीं दे सकता । गौरव पापा के मुंह से यह बात सुनकर कहता है… पापा मेरा मतलब वह नहीं है जो आप सोच या समझ रहे हैं । जैसे आप चाचू से अलग नहीं रह सकते वैसे ही मैं भी अपने पूरे परिवार के बिना नहीं रह सकता । मैं तो सिर्फ बड़े घर की बात कर रहा था जिसमें हम सभी मिलकर रहेंगे । मैं अलग होने की बात नहीं कर रहा था और न ही कभी कर सकता हूं …आप ही का बेटा हूं पापा । मेरे लिए जैसे आप हैं वैसे ही चाचू स्थान रखते हैं । गौरव की बात सुनकर माधव और मुकेश की आंखों में आंसू छलक आते हैं ; मानो उन्हें दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हों। अपने बच्चों में पोषित होते परिवार के संस्कारों को सुनहरी धूप के उजाले की तरह चमकता देख रहे थे  दोनों । 

आज माधव जैसी परिवार गर हर समाज में स्थापित हो जाए तो संयुक्त परिवार की परंपरा को दोबारा से लाया जा सकता है । जो परंपरा आज आधुनिकता की दौड़ में धूमिल हो गई है , जहां संयुक्त परिवारों ने एकल परिवारों का रूप ले लिया है वहां आज समाज को बदलने के लिए हमारी आने वाली पीढ़ी को ही कोशिश करनी होगी । अगर हम संस्कारों और भावनाओं की इस डोर को मजबूत कर पाए तो समाज में ना ही वृद्ध आश्रम होंगे और ना ही किसी लड़की के साथ कोई गलत व्यवहार करेगा ना ही परिवारों में मनमुटाव होगा और ना ही कोई एक दूसरे से अलग होगा । कहते हैं जिस घर में संस्कार हैं देवता का वास है और जहां देवता का वास है वह घर स्वर्ग के समान है ।

शीर्षक ' लकीर ' कविता

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 कविता का शीर्षक ' लकीर ' 
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पशु और पक्षी से मिली एक सीख 

लकीर

उन्मुक्त गगन में उड़ते पंछी, न जाने बटती सीमा को ।
तभी तो उड़ते फिरते हैं, खुले गगन में यूं बेखौफ ।

नहीं कोई भी सीमा इनकी, खुले गगन में उड़ते हैं ।
पल में पाक तो पल में भारत, नहीं बांधती रेखा इनको ।

कुक्कुर, बिलैय, सर्प, पीपीलिका नहीं बांधती इनको भी ।
न ही तो किसी देश की सीमा, न ही मिट्टी की गंध भी ।

दो देशों के बीच की खाई, पनपी नफ़रत बिछड़े भाई ।
इंसानों में बढ़ती हिंसा, सीमा पर लगता है वीज़ा ।

होतें गर हिन्दू या मुस्लिम, गर होतें मानव जैसे ।
भेदभाव का बीज गर, बोया होता मन में तो ।

लेना होता वीज़ा भी, हर देश में जाने का इनको।
मानव जैसा मन रखते गर, बांट ये देते नभ, जल को ।

दीवारें न लांघ यह पाते, वीज़ा भी लगता इनको ।
कितना अजब ये दृश्य होता, जंतु गर मानव–सा होता ।

सोचो गर ऐसा हो जाए, लग जाए पहरा हर ओर ।
पंछी पशु अरि बन जाएं, धरती हो या नीला व्योम ।

चारों तरफ अफरा–तफरी, नभ भी नहीं उन्मुक्त ही हो ।
रेखा बांट दे नभ को भी, जाल में हो जब अंबर भी ।

सोच के भी ये परे सोच है, भयावह कितना मंजर है ।
सीमाओं में बंट गया है इंसान, नस–नस में विष सम रक्त है ।

करना है ऐसा कुछ हमको, कोई लकीर न खींच सके ।
न ही मन में न ही तन पे, न ही देश की सीमा पे ।

रोष मिटाना होगा हमको, होश में आना होगा हमको ।
प्रेमभाव, सद्भाव से रहना, सीखना होगा खग से हमको ।

Sunday 8 March 2020

सात फेरों के सातों वचन … अटूट बंधन

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***सात फेरों के सातों वचन ***अटूट बंधन***
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*नहीं पूर्ण जिसके बिना
मानव जीवन संपूर्ण ।
वैदिक संस्कृति के अनुसार
विवाह ही है परिपूर्ण ।

*जिसके अर्थ में छिपा है
विशेष उत्तरदायित्व का स्वरूप ।
महत्वपूर्ण जिसका निर्वहन करना है 
पति-पत्नी दोनों को जीवन में जरूर ।

*विवाह है पति पत्नी के बीच
जन्म-जन्मांतरों का साथ ।
अग्नि के सात फेरों से मजबूत
हो जाता है दोनों का अटूट विश्वास ।

*सात फेरों के बाद ही
शादी की रसम पूरी होती है ।
यही साथ विवाह की स्थिरता की
मुख्य कड़ी होती है ।

*पहले वचन में कन्या
वर से वचन ले लेती है ।
मुझे अकेला तुम न कभी छोड़ोगे
हर सफ़र में अपने संग लोगे तुम ।

*व्रत-उपवास ,यज्ञ,अनुष्ठान
अन्य धर्म कार्य जो भी करोगे आप ।
अपने वाम भाग में
अवश्य स्थान देंगे मुझे हमेशा आप ।

*दूसरे वचन में करती है
वह यह माँग हक से ।
अपने माता-पिता के साथ-साथ
मेरे माता-पिता को भी वही सम्मान दोगे 
मन वचन और कर्म से ।

*तीसरे वचन में यह वचन माँगती है ।
हर पल जीवन में तुम
मेरे साथ हमेशा रहोगे ।
जीवन की तीनों अवस्थाओं में
पालनहार मेरे तुम बने रहोगे ।

*चौथे वचन में परिवार की जिम्मेदारी की बात 
कही जाती है।
विवाह बंधन में बँधते ही
परिवार की समस्त आवश्यक्ताओं की पूर्ति 
आपसे ही पूर्ण होती है ।

*पाँचवें वचन में लेती है
कन्या यह वचन वर से ।
किसी भी कार्य से पूर्व
लेनी होगी मेरी मंत्रणा तुम्हें अवश्य से ।

*छठे वचन में अपने
सम्मान की बात वह करती है ।
करोगे नहीं अपमानित मुझे
किसी के भी सम्मुख वचन लेती है ।

*दुर्व्यसनों में फँसकर
गृहस्थ जीवन नहीं करोगे नष्ट ।
कभी कटु वचन नहीं कहोगे
यह वचन भरवा लेती है ।

*अंतिम वचन में अपने भविष्य को 
सुरक्षित रखने का प्रयास करती है ।
पराई स्त्री आकर्षण में पगभ्रष्ट न होंगे 
यह वचन ले लेती है ।

*इन सातों वचनों के बाद
विवाह संपूर्ण हो जाता है ।
पति-पत्नी का साथ
पूर्ण अटूट हो जाता है ।

*जिसको तोड़ न पाती
जीवन की कोई आँधी है ।
दोनों साथ रहते जैसे
दीपक और बाती है ।

*जो इन वचनों की
महत्वता को समझ जाता है ।
एक दूसरे के साथ वह
जीवन मंगलमय बनाता है ।

*जो इन वचनों को
निरर्थक समझता है ।
उनका संपूर्ण जीवन
कलह के तिमिर में बिखरता है । 

*स्त्री और पुरुष
गाड़ी के दो पहिए हैं ।
जो जीवनपर्यंत गाड़ी का
बोझ वहन करते हैं ।

*एक पहिया भी अगर
भ्रमित होता है ।
पूरी गाड़ी (परिवार)
पर असर होता है ।

*विवाह है एक ऐसी
अटूट और मजबूत डोर आज तक ।
जो बाँधे रखती है पूरे परिवार को
पीढ़ी दर पीढ़ी तक ।

Sunday 1 March 2020

हीरक जयंती समारोह केंद्रीय हिंदी निदेशालय

दिनांक : 01-03-2020 रविवार विज्ञान भवन हॉल संख्या 6 केद्रीय हिंदी निदेशालय हीरक जयंती समारोह के सुअवसर पर  अहिंदी भाषी शिक्षण योजना से जुड़े हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी  के शिक्षक सदस्यों को निदेशालय के आमंत्रण पर उपस्थित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ । अकादमी की ओर से #अध्यक्ष #सुधाकर जी, विजय शर्मा जी, राजकुमार श्रेष्ठ जी, पुलकित जी,  डॉ. नीरू मोहन 'वागीश्वरी'(देव समाज मॉडर्न स्कूल नेहरू नगर) वनीता जी (हैप्पी मॉडर्न स्कूल दरिया गंज), शकुंतला जी ( सेवा निवृत लीलावती स्कूल), सरिता जी, विदुषी जी (इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी ), नीरा भार्गव जी ( एमिटी इंटरनेशनल स्कूल  नोएडा ), सुषमा जी, नोरीन जी (सेवानिवृत एहल्काॅन पब्लिक स्कूल ), डॉ तारा गुप्ता जी, सीमा जी आदि उपस्थित रहे । समारोह का प्रथम सत्र ज्ञान वर्धक रहा जिसमें भारत के अनेक राज्यो से पधारें विद्वतजनों के विचारों को सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ । अध्यक्षता प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ( कुलपति महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वर्धा )  स्वागत भाषण प्रो. अवनीश जी ( निदेशक हिंदी निदेशालय ), विशिष्ट अतिथि वक्तव्य प्रो. करुणा शंकर उपाध्याय ( मुंबई विश्वविद्यालय ), प्रो. आर एस सर्राजू ( हैदराबाद विश्वविद्यालय ), प्रो. एस तंकमणी अम्मा ( केरल विश्वविद्यालय ) । दूसरा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम् काव्य गोष्ठी से संबंधित था । केंद्रीय हिंदी निदेशालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को हीरक जयंती समारोह के सफल आयोजन की हार्दिक शुभकामनाएं । निश्चित रूप से निदेशालय के अथक प्रयास हिंदी भाषा प्रसार, प्रचार एवं उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।