Thursday, 9 November 2017

प्रयास

माँ को समर्पित एक बेटी के मन के भाव

शब्दों में गुंफित
सुमन सुरभि लाई हूँ ।
स्वर्णिम अरुण रश्मियों के रंग से सजी इंद्रधनुषी नवप्रभात बन कर आई हूँ ।

रिटायर नहीं हुई हैं आप
दोबारा प्रयास करना है ।
थकना नहीं है आपको
फिर से कौशिश करना है ।

माँ मेरी ममतामयी, करूणामयी,
जलधि, तरंगिणी ।
सेवानिवृत्ति की शुभबेला
नया सवेरा लाई ।

अरुण रश्मियों के साथ
इंद्रधनुषी छटा इसने बिखराई ।
अंत नहीं है यह जीवन का
शुरुआत की शुभग बेला है आई ।

न थकना, न हारना
न बिल्कुल घबराना है ।
रिटायर नहीं है आप
री ट्राई हमेशा करना है ।

थकना नहीं है आपको
फिर से कोशिश करना है ।
जीवन की राह में
फिर से आगे बढ़ना है

निष्ठा और लगन से जीवन अपना
समर्पण किया आपने कार्यक्षेत्र को ।
फक्र से नमन हम सभी करते हैं
आपकी कार्यक्षमता और कर्मठता को ।

ऑफिस की घड़ी, भागम-भाग की जिंदगी पर अब जाकर विराम आया है ।
सालों से इस दौड़ भाग के जीवन में
अब विश्राम का समय आया है ।

थकी नहीं हैं आप मेरी माँ
जीवन की दौड़ जीती है आपने ।
आज आया है वह शुभ समय
हाथ थामकर अब तुम्हारे साथ चलना है ।

बेटियाँ हैं हम तुम्हारी
सौभाग्य हमारा ।
बेटों का भी अब फ़र्ज
अदा करना है ।

थकना नहीं तुम्हें मेरी माँ
बस कोशिश करते रहना है ।
रिटायर नहीं है आप
कैशिश हमेशा करना है ।

अकेली नहीं है आप
बेटों के समान बेटियाँ हैं आपके पास । सोचने से पहले ही पाएँगी
हमेशा हमें अपने पास ।

अब घर आई हो आप
हमारे समय को हमारे हवाले करना है ।
हमारे साथ उठना-बैठना
खेलकूद पूरा करना है ।

जो समय बिता जिम्मेदारियों को पूरा करते-करते आपका मेरी माँ ।
व्यतीत करना है अपना समय खेलकूद करके नाती-नातिन के साथ ।

माँ थकना नहीं है तुम्हें
फिर से कोशिश करना है ।
रिटायर नहीं हुई है आप
कौशिश हमेशा करना है ।

देखते-देखते समय माँ
पंछी बन उड़ गया है ।
सपने पुराने अब मेरी माँ
फिर से तुम्हें बुनना है ।

दब गए जो कई शौक
कर्तव्य बोझ में तुम्हारे मेरी माँ ।
अब उन्हें पूरा करना है
थकना नहीं है मेरी माँ ।

सेवाभाव से तुमने माँ
सेवा सबकी की है ।
हाथ आशीर्वाद का भी
रखा है सिर पर सबके ही ।

काम करती रही सभी
फिर भी घर को संजोकर रखा है तुमने । समय अभाव के कारण भी
समय हमें पूरा दिया है तुमने ।

जो समय न दे पाई हो
अपने आप को स्वयं तुम
अब उसी समय को फिर से
हमारे हवाले करना है ।

नाती-नातिन संग
तितलियों को पकड़ना है ।
रातों को हमारे साथ हँसी ठट्टे करके
अब समय व्यतीत करना है ।

थकना नहीं है तुम्हें मेरी माँ
कोशिश करते रहना है ।
रिटायर नहीं हुई है माँ आप
कौशिश हमेशा करना है ।

पापा के संग बैठकर
बीती बातों को याद करना है ।
सुबह की चाय की प्याली से
पापा के साथ अपना दिन शुरू करना है ।

संजोने हैं सारे सपने फिर से
बीते लम्हों को याद करके हँसना है ।
सुबह की चाय-नाश्ता,
दोपहर में आराम, रात की सैर
अपनी दिनचर्या में शामिल करना है ।

पूरा जीवन समर्पित किया
अपने कार्य क्षेत्र को ।
अब स्वयं के लिए भी
समय व्यतीत करना है ।

यूँ ही अपनी ममता की छाव का आँचल सदैव हम पर रखना है ।
खुशियों की गुल्लक हे ईश्वर !
यूँ ही भरी रखना हमारी ।
हमारी माँ की आँखों की चमक से
रोशन होती रहे हमेशा दुनिया हमारी ।

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