Monday, 6 November 2017

बरनाली

बरनाली आज 12 साल की पूरी हो गई है बुद्धि से प्रखर और प्रवीण बरनाली दुखी और उदास बैठी है । मुकुल आता है बरनाली से पूछता है बरनाली कक्षा में प्रथम आकर भी तुम उदास क्यूं हो तुम्हें तो खुश होना चाहिए बरनाली मुकुल की तरफ देखती फिर अपने पैर की तरफ देखती । मुकुल समझ जाता है मुकुल बरनाली को प्रोत्साहित करता हुआ कहता है । बरनाली तुम किसी से भी कम नहीं हो । देखना एक दिन तुम सफलता की उन ऊँचाइयों को छूओगी जो दो पैर वाले भी नहीं छू पाते । मेरी बात को ध्यान रखना बरनाली तुम जीवन में हर पड़ाव को बड़ी बखूबी और सफलता से प्राप्त करोगी । उदास मत होओ । स्थिति का डटकर सामना करो ।कल क्या मालूम परिस्थितियों के आगे यह स्थिति भी न रहे । वक्त बदलते देर नहीं लगती । समय बीतता है मुकुल शहर पढ़ने चला जाता है ।बरनाली अकेली हो जाती है मगर मुकुल की कही हर बात उसके ज़हन में एक खुशनुमा याद की तरह हमेशा उस का मार्ग प्रशस्त करती रहती है ।आज बरनाली 17 साल की हो गई है और मुकुल की कमी उसे बहुत खलती है  क्योंकि आज बरनाली का बाहरवीं कक्षा का परिणाम आया है और बनाली प्रथम श्रेणी में पास हुई है । स्कूल में शिक्षक उसके सहपाठी सभी उसको बधाई देते हैं । बरनाली इस खुशी के मौके पर भी उदास है क्योंकि उसका प्रिय मित्र मुकुल आज उसके साथ नहीं है । उदास बरनाली स्कूल से घर का रुख करती है और घर पहुँचकर दरवाजा खटखटाती है । दरवाजा खुलते ही मुकुल को सामने पाती है उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है शायद वह आज ईश्वर से कुछ और भी माँगती तो वो भी उसे मिल जाता । मुकुल और बरनाली बैठकर उन पलों को याद करते हैं जो उन्होंने बचपन मैं साथ बिताए थे और उन पलों को भी जो उन्होंने दूर रहकर बिताए थे । कुछ खट्टे कुछ मीठे पल जो उन की यादों के साय में हिचकोले खा रहे थे ।

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