Saturday, 4 November 2017

परिवर्तन

एक सवाल आपसे------

नारी से ही जन्म लेकर
क्यों यह समाज पुरूष प्रधान है ?

अहम किरदार निभाती जन्म से मृत्यु तक नारी ।
फिर क्यों समाज में पुरुष के बाद गिनी जाते हैं ।
योग्यताओं के नजरिए से आंकने पर भी नारी सर्वप्रथम ही नजर आती है ।
फिर क्यों पुरुष प्रधान समाज में नारी हीन भावना की शिकार होते नज़र आती हैं ।

अच्छे संस्कारों को धारण करना नारी ही  सिखाती है ।
घर परिवार और बाहर नारी की करुणा, त्याग और प्रेम की मूरत कही जाती है । फिर क्यों नारी पुरुष प्रधान समाज में ठोकरो में ठुकराई जाती है ।
अपनी ही अस्तित्व को बचाने के लिए मर्दों के आगे स्वयं को झुकाती है ।

उज्जवल भविष्य बनाने में सर्वप्रथम अग्रोंमुख रहती है ।
माँ से अध्यापिका और प्रोफ़ेसर तक का सफर तय करती है ।
नई पीढ़ी में ज्ञान के सागर का अमृत भरती है ।
फिर क्यों नारी पुरुष प्रधान समाज में अज्ञानी जैसा जीवन बसर करते है ।

आज की स्थिति से बिल्कुल विपरीत पौराणिक समाज में महिला को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता था ।
आज के युग में उस पर तेजाब डाला और आग में जलाया जाता है ।
सरेआम निर्वस्त्र कर बेरहमी से मारा जाता है ।
अपनी बहन-बेटियों का आदर और दूसरों की का अनादर किया जाता है

क्या यही समाज है, यही आधुनिकता है और यही क्या यही शील व्यवहार है ।
नहीं नारीत्व का जहाँ सम्मान कैसे बन पाएगा वह देश महान प्रगतिवाद और प्रतिभावान ।
प्रगति की दौड़ में देश पीछे ही रह जाएगा ।
नहीं करेगा नर गर नारी का सम्मान तो महाविनाश जल्द ही अपने करीब पाएगा ।

पुरुषों की हर गलतफहमी को अब मिटाना होगा ।
पुरुष प्रधान समाज का अहम जो उनके अंदर है उसे जड़ से मिटाना होगा।
हमारी नई सोच ही नया सवेरा लाएगी ।
नई सोच ही परिस्थितियों हमारे अनुकूल बनाएगी ।
 
गर बदलना है अपनी स्थिति को तो हर घर की सोच में सास को माँ और बहू को बेटी बनाना होगा ।
अपनी स्थिति को हमें स्वयं ही बदलना होगा ।
नारी को अब नारी का सम्मान करना होगा ।
स्वयं का सम्मान हमें स्वयं से ही हांसिल करना होगा ।

पुरूषों की हर गलतफहमी को दूर करना है ।
नारी कमजोरी नहीं यही विचार उनके मस्तिष्क में भरना है ।
नीरू कहे इस जीवन में नारी का बहुत अहम किरदार है ।
नारी के बिना पुरुष एक अधूरा इंसान है ।

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