नारी है क्या इसलिए अपमान सहती है ? लोगों की गालियाँ, तिरस्कार सहती है । सहन शक्ति है इसमें इतनी..
घर के अंदर भी और बाहर भी सिर्फ सहती है ।
नारी है कमजोर नहीं है इसलिए सिर्फ सहती है ।
दुख दर्द सहकर भी किसी से कुछ न कहती है।
आत्मविश्वास भरपूर है तभी तो हर दर्द को अपने ऊपर लेकर सहती है ।
कमजोर समझने की मत भूल करना ।
दुर्गा, काली सभी इसके अंदर रहती है ।
माँ बाप के होती है,
तो बोझ कही जाती है ।
पति के घर में बहू का फर्ज निभाती,
फिर भी गालियाँ ही खाती है ।
माँ, बहन, बहू, बेटी सभी इस में समाई है । फिर भी इसने तिरस्कार की ही चीदर पाई है ।
दया, करुणा, प्रीत, प्रेम का सागर इसके अंदर बहता है ।
फिर भी मानव इसको मैला करने पर उतारू रहता है ।
नदी की तरह पवित्र होकर भी सबका पाप ढोती है ।
अपना अस्तित्व खोकर भी सिर्फ तिरस्कार ही सहती है ।
सब के बारे में सोचती दुख दर्द सहती है । कार्यस्थलों पर भी अपमानित होती है । सहनशीलता को कायम रखकर दया दृष्टि बनाए रखती है ।
क्योंकि क्षमाशीलता सिर्फ नारी, सिर्फ नारी में ही समाहित होती है ।
'नारी कमजोर नहीं' यही नीरू कहती । तिरस्कृत होकर भी सिर्फ परिवार के और काम के प्रति समर्पित रहती ।
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