Saturday, 10 February 2018

बिटिया की विदाई

** बिटिया की विदाई **

बिटिया की मेहंदी के दिन,
माँ की आँख भर आई है ।

सोच रही बैठी छिपकर,
दो दिन बाद विदाई है ।

आँख  है नम और भारी मन,
पौंछ रही अँखियों का जल ।

बचपन से नाज़ों से पाला,
घड़ी विदाई आई है ।

छोड़ के बाबुल गलियाँ बिटिया,
सूना घर कर जाएगी ।

आँगन सूना-सूना होगा,
छम-छम आवाज़ ना आएगी ।

हँसी ठिठोली उसकी अब मैं,
रोज़ नहीं सुन पाऊँगी ।

रात को याद आएगी उसकी,
जब खाना मैं खाऊँगी ।

शाम की चाय…बिना उसके कैसे,
तन्हा मैं पी पाऊँगी ।

सिर में दर्द होगा जब मेरा,
नहीं समक्ष उसे पाऊँगी ।

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