देश हमारा प्यारा-न्यारा,
प्रभात का फैला है उजियारा ।
गंगा-यमुना इसकी शान,
शीर्ष हिमालय खड़ा महान ।
वृंदावन की गलियाँ न्यारी,
कृष्ण की नगरी धरती सारी ।
हर मौसम की छटा निराली,
शीत, ग्रीष्म, पतझड़ मतवाली ।
फूल खिले नव कोपल आएँ,
बसंत के झूले मलय बहाएँ ।
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