निशा और माधुरी हॉस्टल में एक साथ रहती हैं । निशा को लिखने का बहुत शौक है वह अपने आसपास के माहौल से प्रभावित होकर कोई ना कोई शिक्षाप्रद कहानी या कविता रोज ही रच डालती है और उसे सोशल मीडिया पर प्रकाशित कर देती है । 25 साल की निशा दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है । उसके लेखन को लोग बहुत पसंद करते हैं उसकी तारीफ भी करते हैं मगर कुछ ऐसे भी शुभचिंतक हैं जो उससे मन ही मन जलते हैं चिढ़ते हैं ।
निशा की मां को गुजरे 20 साल हो गए हैं बचपन में ही निशा की मां का देहांत हो गया था । निशा और उसके पापा ही पूरा परिवार हैं । जीवन पथ पर उसे बहुत संघर्षों का सामना करना पड़ा है ।
माधुरी… निशा आज किस विषय पर लिखने का सोचा है । यार माधुरी मैं सोच रही हूं आज मैं अपने उन मित्रों के बारे में लिखूं जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और इतना प्यार करते हैं कि मेरी मेहनत और लगन उन्हें दिखाई नहीं देती है और मैं उनकी इर्ष्या का पात्र बन जाती हूं । मेरी उपलब्धियां उनके मन में प्रतिशोध की ज्वाला उत्पन्न कर देती हैं । सामने से तो अपनापन झलकाते हैं पर पीछे से छुरा घोंपने का मौका ढूंढते हैं ।
मजबूत इरादों और सकारात्मक सोच की धनी निशा हर परिस्थिति को एक चुनौती की तरह लेती है । सोशल मीडिया पर निशा के बहुत ही अच्छे मित्र भी हैं और उन सभी के बीच वह कुछ गिने चुने भी हैं जो निशा से ईर्ष्या का भाव रखते हैं जिन्हें निशा बहुत अच्छी तरह जानती है । निशा जो भी लिखती और पोस्ट करती वह सभी अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया देना नहीं भूलते ।
माधुरी … निशा छोड़ यार ये सब वही होते है जिनमें भावनाएं और संवेदनाएं नहीं होती । किसी रचना की संवेदनाओं को वो ही समझ सकता है जिसको ज्ञान होता है । अज्ञानी तो बिना पढ़े ही अपनी प्रतिक्रिया थंब डाउन करके दर्शा देते हैं ध्यान रखना निशा जिनके पास जो होता है न वो वही देते हैं दूसरे को । तुम्हारे पास ज्ञान है तो ज्ञान बांट रही हो दूसरे के पास सिर्फ़ एक अंगूठा है वो भी नीचे की ओर झुका हुआ हंसती हुई माधुरी निशा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है - निशा तुम युवाओं के लिए प्रेरणा हो, यूं आर दा बेस्ट कहते हुए निशा के मुंह में अपने हाथों से बनाया हुआ हलवा खिलाते हुए एक यादगार सेल्फी खींच लेती है ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर इरादे अच्छे हो तो रास्ते में आए पत्थर भी रास्ता दिखा देते हैं और वही पत्थर मील का पत्थर साबित होते हैं । ईर्ष्या का भाव रखने वाला दूसरों को नहीं स्वयं को हानि पहुंचाता है । अपने मित्रों की उपलब्धियों से खुश होना सीखिए अगर आप किसी को प्रोत्साहित नहीं कर सकते तो अपनी निरर्थक प्रतिक्रिया के माध्यम से किसी को हतोत्साहित भी मत कीजिए ।
धन्यवाद
No comments:
Post a Comment