Tuesday, 26 May 2020

मजदूरों का महानायक …सोनू

मजदूरों का महानायक …सोनू

सोनू मेरा प्यारा बेटा , सभी का प्यारा सोनू , सोनू तू न सबसे प्यारा है और सब को प्यारा । सूरज की पहली किरण को देखकर सोनू को मां की कही यही बातें याद आ रही थीं । सोनू सोच रहा था पूरा देश महामारी से बेहाल है और प्रवासी मजदूरों का तो और भी बुरा हाल है उनके पास तो सिर छिपाने के लिए जगह भी नहीं है अपने शहरों , गावों और अपनो से दूर जहां अब कोई भी उनका अपना नहीं है कैसे रहेंगे । जिन्हें उनके मालिकों ने भी जहां वह करते थे निकाल दिया गया है वह भी बिना कोई पैसे और तनख्वाह दिए । वह सोच रहा था कि कैसे ये अपने घर अपनों के पास पहुंचेंगे और यह भी नहीं पता कि यह स्थिति कब तक रहने वाली है । अगर ये अपने अपने गावों पहुंच जाएंगे तो खेतीबाड़ी तो करके अपना गुजारा पानी कर लेंगे और कहने को अपनी छत भी होगी । अगर सच में मां की बात और विश्वास और अपने नाम के अर्थ को सार्थक करना है तो इस महामारी काल में उन लोगों की मदद की जाए जिनकी सही अर्थों में मदद की जरूरत है।

सोनू अपने घर वालों से बात करता है कि सभी अपनी अपनी तरह से इस स्थिति से उबरने के लिए देश की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं और जरूरतमंदों के लिए राशन और रोटी पानी की व्यवस्था भी कर रहे हैं और बहुत से ऐसे है जो प्रधानमंत्री covid १९ सेवा कोश में अपनी चादर के अनुसार पैसे  जमा कर रहे हैं । 
सोनू कहता है अगर हमें इन प्रवासी मजदूरों की सच्ची मदद करनी है तो क्यों न जितना संभव हो सके हम इनको इनके घर पहुंचा दें जिससे ये अपने आप को सुरक्षित महसूस करें क्योंकि अपनी जन्मदात्री मिट्टी और अपनों का साथ मुसीबत से उबरने की ताकत देता है ।
सोनू तभी फैसला कर लेता है कि वह अपनी सेवा इसी प्रकार देगा और जहां तक संभव हो सकेगा वह इनको घर वापिस भेजने में इन मजदूरों की मदद करेगा । 
बस फिर क्या सोनू अपना मिशन शुरू कर देता है और मजदूरों के लिए वातानुकूलित बसों का इंतजाम, रास्ते के लिए खाने पीने का प्रबंध और सफर में इस्तेमाल होने वाली अवश्य सामग्री का प्रबंधक करवाता है और मजदूरों का मसीहा बन इस सदी के korona वर्ष 2020 के महानायक के रूप में covid १९ कर्मवीर योद्धा की भूमिका में सभी का मन जीत लेता है ।
मजदूरों को रवाना करता हुआ दोस्तों क्या आप सभी से फिर मुलाकात होगी , क्या आप लौटकर आयेंगे ।
सभी मजदूर सोनू का धन्यवाद करते हुए , जहां आप जैसे लोग हो वहां दोबारा आने का मन जरूर करेगा । सोनू बस से नीचे उतरता है सभी को हाथ हिला कर विदा करते हुए जल्दी मिलेंगे दोस्तों… सभी बसे दूर ओझल हुई चली जाती हैं सोनू लबी सांस लेता है और अगले दिन की तैयारी शुरू कर देता है ।
 
यह कहानी हमें संदेश देती है कि दूसरों की सेवा में ही परम सुख की प्राप्ति होती है । 
रचनाकार
डॉ नीरू मोहन ' वागीश्वरी '
शिक्षाविद् / प्रेरक वक्ता/ समाजसेविका / लेखिका/कवयित्री

2 comments:

  1. ब्लॉग अनुसरणकर्ता बटन उपलब्ध करायें। सुन्दर कहानी।

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  2. वाह!सुंदर कहानी 👌

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