थोक के भाव … covid - 19 अवॉर्ड
बिल्कुल फ्री, पहले आओ पहले पाओ …कोविड - 19 बस अब कुछ ही दिनों का है उम्मीद बांधी यही हुई है उसके बाद नहीं मिलेगा मौका । आलू , प्याज , टमाटर , गोभी , धनिया नहीं मिलेगा आज मेरी रेहड़ी पर मिलेगा कोविड 19 कर्मवीर योद्धा, रक्षक, जागरूक अनेकों अवॉर्ड । आइए ले जाइए एक नहीं दो नहीं जितने आप चाहे बिल्कुल फ्री भीकू शहर की गलियों में अपनी रेहड़ी लिए यही आवाज लगा रहा था ।यह तो शहर है यहां तो मुफ़्त की चीज़ के लिए भीड़ लगा ही लेते है लोग । सरकार ने लॉक डाउन 4.0 में छूट क्या दे दी लोग देखो अपने घर छोड़ गलियों और सड़कों पर दिख रहे हैं कुछ ही पल में उसकी रेहड़ी के चारों तरफ भीड़ लग जाती है ।
पहला आदमी - भैया भीकू आज सब्ज़ी तरकारी की जगह ये क्या लेे आए ?
दूसरा आदमी - इसे कोन लेगा , इस कागज़ के टुकड़े का क्या काम ?
तीसरा आदमी - अरे हां भीकू तुम्हें इससे क्या फायदा मुफ़्त में देकर तुम्हें क्या मिलेगा ?
भीकू - साहब केसी बात करते हो इन अवॉर्ड्स के लिए तो लोग तरसते हैं कोविद -19 में इनकी बहुत डिमांड है । इसको फ्रेम कराकर घर पर लगाना फिर देखना लोग बिना कुछ करे कैसे सलाम ठोकते हैं ।
दूसरा आदमी - अरे वाह भीकू ! अच्छा तो चलो मुझे ये कोविड़ योद्धा, कर्मवीर, सेवानिष्ठ , जागरूक और एक कोई भी अपनी पसंद का निकाल दो ।
भीकू - बाबूजी ये अभी नहीं मिलेगा ये तो अभी डिस्प्ले के लिए हैं । अपना नाम, पता, फोन नंबर ,एक सुंदर - सी फोटो काम धंधा सब की जानकारी दे दो । दो चार दिन लगेंगे घर बैठे ही मिल जाएगा ।
पहला आदमी - घर बैठे ही कैसे, तुम्हें सब के घर कैसे पता चलेगी ।
पहली महिला - अरे , पागल बना रहा है ये ।
भीकू - बहन जी पागल क्यों बनाऊंगा ? आपसे कोई पैसे थोड़ी न ले रहा हूं । बिना कुछ सेवा किए आपको अवॉर्ड मिल रहा है और क्या चाहिए । आंखे खोलकर देखो तो हमारे देश में अस्पतालों में डॉक्टर और नर्स , सड़कों पर पुलिस कर्मी , गुरुद्वारों में सच्चे सेवक रात दिन सेवा कर रहे हैं हमारे देश के अन्य सहयोगी वर्ग, समाजसेवी, शिक्षक जो सच्ची सेवा में लगे हैं अवार्ड तो उनको मिलना चाहिए ।
मेरा बस चलता न तो मैं ये सभी अवॉर्ड उन्हीं सच्चे सेवकों को देता ।
तीसरा आदमी - अरे छोड़ो बहनजी लेना है तो लो न , बहस मत करो अभी भीड़ देखकर पुलिस वाले आ जाएंगे । अभी कोरिना ख़तम नहीं हुआ है सिर्फ़ लॉक डाउन में ढील दी गई है ।
दूसरी महिला - अरे भैया ये अवॉर्ड क्या कोई भी के सकता है ।
भीकू - हां बहनजी कोई भी ।
सफेद कोट पहने रेहड़ी से भीड़ को हटाती हुई एक महिला ।
ये क्या यहां भीर क्यों लगा रखी है ? सभी पढ़े - लिखे हो लॉक डाउन 4.0 चल रहा है । तुम सभी को और सतर्क रहना चाहिए । माना सरकार ने बाज़ार खोल दिए हैं मगर सावधानी अपनाने को माना नहीं किया । तुम किसी ने भी मास्क नहीं लगाया और ना ही दस्ताने पहने हैं । और तुम ये रेहड़ी हटाओ । न तुम्हारी रेहड़ी पर सब्ज़ी है न तरकारी न अन्य कोई घरेलू सामान फिर भीड़ किस बात की ।
भीकू - मैडम जी अवॉर्ड हैं आपका भी लिस्ट में नाम लिख दूं ।
सफेद कोट वाली महिला - नहीं भाई मुझे अवॉर्ड देना है तो अपनी रेहड़ी हटा लो बेकार की भीड़ मत इकट्ठी करो । मैं एक नर्स हूं सेवाभाव बिना स्वार्थ के करती हूं यही मेरा कर्म, धर्म दोनों है । मेरे मरीज़ ठीक हो जाएं कोरोना देश से बाहर हो जाए । मेरे लिए यही अवॉर्ड है ।
तुम इन लोगो को ही अवॉर्ड दो जो समझदार होते हुए भी शान से भीड़ लगाए अवॉर्ड पाना चाहते हैं ।
भीकू सफेद कोट वाली मैडम की बात सुनते ही अपनी रेहड़ी को 100 की रफ्तार से लिए चला जा रहा है और सड़क के किनारे एक लकड़ी के बने ऑफिस के पास जाकर रोक देता है ।
ये लो साहब अपने मुफ़्त के अवॉर्ड मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी 200 रुपए की दिहाड़ी का काम । मेरी रेहड़ी पर सब्जी ही बिकती अच्छी लगती है ।
और हां मेरी ओर से एक निवेदन है कि अवॉर्ड उन्हें दीजिए जो इसके सच्चे हकदार हैं कहते हुए भीकू रेहड़ी से सारा सामान उतारकर ऑफिस के बाहर रखकर रेहड़ी लिए आगे बढ़ जाता है ।
संदेश कहानी में ही निहित है कि किसी भी सम्मान का हकदार वही व्यक्ति है जिससे सम्मान संबंधित है । दूसरों को सम्मानित करने की सच्ची भावना तभी सफल है जब सही व्यक्ति को सम्मान मिले ।
देश दे उन कर्मवीरों और सच्चे योद्धाओं को मेरी ओर से सलाम और सम्मान जो दिन - रात सेवाभाव से निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं । जो सही रूप से सच्चे वॉरियर्स हैं । उन सभी को करबद्ध नमन !
डॉ नीरू मोहन ' वागीश्वरी '
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