Wednesday, 6 June 2018

प्रकृति है अनमोल धरोहर

***प्रकृति है अनमोल धरोहर***

पेड़ मरते नहीं मारे जाते हैं ।
पेड़ कटते नहीं काटे जाते हैं ।

दास्तां है बस इतनी यही इनकी
यह उगाए नहीं उजाड़े जाते हैं ।

रहने को नहीं रह गई बाकी अब जमीं इतनी,
अपने आशियाने के लिए अब जंगल उजाड़े जाते हैं ।

जीवों का आशियाना छीन यहाँ महल बनाए जाते हैं ।
पंछी के नीड़ पेड़ों से हटाए जाते हैं ।

नदियों के जल में कारखानों के मल बहाए जाते हैं ।
वायु को प्रदूषित करने वाले यंत्र लगाए जाते हैं ।

ज्ञात होते हुए भी अज्ञात-सा बना रहता है ।
यह मानव ही है जो पर्यावरण प्रदूषित करने में अपना शत्-प्रतिशत् देता है ।

आभास होते ही फिर साल के एक दिन पर्यावरण दिवस को समर्पित कर अत्यंत हर्षित होता है ।

प्रकृति को गर स्वच्छ बनाना है तो हर रोज़ पर्यावरण दिवस मनाना है ।

इसके लिए करने होंगे सार्थक प्रयास
पेड़ों को लगाकर रखना होगा वायु प्रदूषण का ख्याल ।

जंगलों की सुरक्षा का भी रखना होगा ख्याल ।
इन्हीं से ही है वन संपदा अजीवन खुशहाल ।

पानी की बचत का भी रखना होगा पूर्ण ध्यान ।
नदियों की सफ़ाई में भी देना होगा संपूर्ण योगदान ।

यही संदेश जन-जन को पहुँचाना है ।
प्रकृति हमारी अनमोल धरोहर, इसे बचाना है ।

करो ऐसे प्रयत्न कि प्रकृति लगे हर दिन नवल ।

लेखिका /कवयित्री
नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

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