आँख बंद करने पर
सपने नहीं आते हैं ।
खुली आँखों से देखने पर
ओझल हो जाते हैं ।
क्या करें इच्छाएँ, अभिलाषाएँ
कभी कम नहीं होती हैं ।
इनके पूरे होने के दिन
कभी नहीं आते हैं ।
रात की चाँदनी अब
यूँ ही फना होती है ।
यूँ ही सुबह होती
शाम होती है ।
रात की चाँदनी में
आँखें भी नम रहती हैं ।
बच्चों की खुशी में ही अब
अपनी खुशी छिपी रहती है ।
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