Friday, 12 January 2018

तेज़ाब

प्यार एक तरफा था
मेरी क्या ख़ता थी इसमें
तेजाब फेंक कर तूने मुझ पर
शरीर क्यों मेरा फूँक दिया

बहुत अरमान थे दिल में
मां-बाप के सपने जुड़े थे जिसमें
एक पल में ही तूने
रौंदकर तेजाब में सब जला दिए

भगवान के दिए इस रूप को
क्यों तूने बर्बाद किया
जला कर चेहरा मेरा
बदसूरती का यह दाग दिया

सुंदरता पर रीझा था मेरी तू
बिगाड़ चेहरा मेरा तुझे क्या हासिल हुआ । डाल तेज़ाब की धार मुझपे
अंग बर्बाद करके न जाने तू कहाँ गया ।

कौन थामेगा… कौन थामेगा मेरा हाथ
माँ-बाप को गम तांउम्र दे गया ।
बर्बाद करके यह मेरी जिंदगी
तुझको क्या हासिल हुआ ।

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