*मनहरण घनाक्षरी*
8,8,8,7 वर्णों पर यति।
अंत मे लघु गुरु।
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श्वेत हंस के समान,
देश अपना महान,
गुणवान भारतीय
संत तुलनीय हैं।
बगुले भगत बने,
श्वेत रंग रूप तने,
हंस के समान नहीं,
होय पूजनीय हैं।
मात शारदे विमान,
हंस होय दयावान,
चुगते हैं मोती सीप,
जग वंदनीय हैं।
कौए करें काँव-काँव,
उनका न कोई ठाँव,
नोचते हैं माँस नित्य,
कर्म निंदनीय हैं।
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