***भारत देश के वासी हो तुम**इस मिट्टी पर अभिमान करो** कविता
*भारत माँ के लाल हो तुम
इस माता का सम्मान करो
तीन रंग का मान करो
अपमान ना इसका आज करो
*जिस जन्म भूमि पर जन्म लिया
जड़ उसकी न बर्बाद करो
खिली हुई इस बगिया को
करनी अपनी से तुम न शमशान करो
*शिक्षा का मंदिर,जो है कहलाता
वहाँ जाकर तुम सिर्फ ज्ञान भरो
व्यर्थ की बातों को तुम छोड़ो
देश का सिर्फ विकास करो
*अपने ही देश में रहकर के
आतंकवाद का न प्रचार करो
गैरों के लिए मत लड़ो आपस में
भाईचारे को तुम कायम रखो
*किसी और जालिम की खातिर
शहादत शहीदों की न नापाक करो
देश के युवाओं तुम शिक्षित हो
अज्ञानों जैसा न बर्ताव करो
*जेएनयू को क्यों बदल दिया
राजनीति के वृहद अखाड़े में
शिक्षा के इस मंदिर में क्यों
मतभेद हुए आपस वालों में
*क्यों दो पक्षों को दिखलाकर
सच्चाई को झुठलाते हो
सहमत होकर विपक्ष विचारों से
क्यों गद्दारों में नाम लिखवाते हो
*शिक्षा के मंदिर में जाकर
अच्छे विचार, संस्कारों प्राप्त करो
जिससे तुम हर क्षण,हर पल
इस भारत देश का नाम करो
*रहकर अपने ही देश में क्यों
अजनबियों सा बर्ताव करो
भारत माँ के लाल हो तुम
सिर्फ वीरों जैसी बात करो
*गाँधी,सुभाष,टैगोर,तिलक का
रक्त है तुम में बह रहा
फिर क्यों तुम अफज़ल के गुण गाते
अपनों का खून बहाते हो
*जिस देश में तुमने जन्म लिया
क्यों उसको दुश्मन बतलाते हो
भाषा की है ये कैसी आजादी
जो तुम मातृभूमि का अपमान करो
*अभिव्यक्ति का यह रूप है कैसा
जो देश की इज्ज़त यूँ नीलाम करो
अफज़ल को शहीद है कहकर के
देश के वीरों का तुम न अपमान करो
*देश की खातिर जो हुए शहीद
शहादत को उनकी न नीलाम करो
हनुमान थापा जैसे शहीदों का तुम
सिर झुकाकर सम्मान करो
*आतंकवाद के आगे इनके
बलिदानों को न नापाक करो
भारत भूमि पर जन्मे हो तुम
इस जन्मभूमि के लिए लड़ो
*दिया तुम्हें संविधान में जो
अभिव्यक्ति का अधिकार है
जुड़े हैं उसके साथ कर्तव्य
मर्यादा का तुम ध्यान रखो
*व्यक्त करो अपने विचारों को
अधिकारों के तुम लिए लड़ो
कर्तव्यों का ख्याल है रखकर
मर्यादाओं के दायरे में ही रहो
*जिनके लिए हथियार उठाते
उनका मजहब क्या बतलाओगे
अपनी माँ से जंग करके
यह तुम कैसी सत्ता पाओगे
*जिस देश की मिट्टी में पले-बढ़े
दुष्कृत्य और कुकर्मों से तुम अपने
उसका अपमान न आज करो
जिस थाली में खाते हो तुम
उस थाली में न छेद करो
*ऐसा करके तुम कुछ भी
हासिल न कर पाओगे
अपने ही देश में रहकर तुम
सिर्फ काफिर ही कहलाओगे
*तुम ललकारो हम न आएँ
ऐसे बुरे हालात नहीं
भारत को तुम यूँ बर्बाद करो
तिल भर भी तुम्हारी औकात नहीं
इस देश पर बुरी नज़र रखने वालों
तुम भारत माँ के लाल नहीं
जिसके खातिर दंगे करते हो
उसकी अपनी कोई औकात नहीं
*कलम पकड़ने वालों को
हथियार उठाने न पड़ जाए
आतंकवाद का साथ दिया तो
अस्तित्व तुम्हारा न मिट जाए
*जिसने भी डाली बुरी नजर
इस भारत माँ की धरती पर
उठ खड़े हुए हजार भगत,
आजाद,शहीद इस धरती पर
*भारत माँ के लाल हैं हम
आवाज़ दबा देंगे उनकी
उठेगी जिनकी भी आवाज़
इस मातृभूमि के विपरीत यदि
*बुरी नजर डालेगा जो
धर्मों में खाई बढ़ाएगा
एकता खंडित करेगा जो
उपद्रव जो यहाँ मचाएगा
*हस्ती मिटा देंगे उनकी हम
भारत माँ के लाल हैं हम
भारत पर जान गँवा देंगे हम
इस मातृभूमि पर बलिहार है हम
*माना दिल से हम लेते काम
मगर नहीं है हम कमजोर
देश की आन,बान,शान की खातिर
सह सकते हैं सीने पर
हर चोट और वार
*याद रखनी है सिर्फ एक ही बात
इस देश में रहने वाले सब हम
भारत के सब भारतवासी हैं
कौम, धर्म, मजहब के नाम पर
भाईचारे को बाटेंगे न हम
*यह देश हमारा है,
यह देश तुम्हारा है
हम सब इसका सम्मान करें
जिस मिट्टी पर है जन्म लिया
उस पर सदैव अभिमान करें
*जिस मिट्टी पर है जन्म लिया
उस पर सदैव अभिमान करें ||
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