सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप
लेख
सोशल सब कुछ हो रहा
नहीं गुप्त कुछ आज
बात अपनी सब कह रहे
हो करके बेबाक
आज के दौर में सोशल मीडिया जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है ।
यह एक विशाल नेटवर्क है जो कि समूचे विश्व को आपस में जोड़े हुए हैं । यह द्रुतगति से सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है और अपनी सकारात्मक भूमिका बनाए रखने की पूरी कोशिश करता है । सोशल मीडिया के जरिए कई ऐसे विकासात्मक कार्य भी हुए हैं जिनसे लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम संभव हुआ है । इस पंक्ति में हम इंडिया अगेंस्ट करप्शन को देख सकते हैं जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ महाभियान था जिसे सड़कों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर लड़ा गया दूसरी और देखे तो सोशल मीडिया के माध्यम से ही निर्भया को न्याय दिलाने के लिए विशाल जनसंख्या में युवा सड़कों पर आएँ जिससे सरकार पर दबाव पड़ा और सरकार एक प्रभावशाली कानून बनाने में मजबूर हो गई और वहीं 2014 के चुनावों में भी सोशल मीडिया ने आम जनता को जागरूक करने में मुख्य भूमिका निभाई ।
सोशल मीडिया नहीं कहीं से भ्रमित करने का माध्यम,
बुद्धि, विवेक और सही प्रयोग ही
बनाता है सुखवर्धक ।
लोकप्रियता के प्रसार में सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है जहाँ व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने उत्पाद को जन-जन में लोकप्रिय बना सकता है । फिल्मों के ट्रेलर, टेलीविज़न के कार्यक्रमों का प्रसारण इत्यादि सभी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है । दृश्य तथा श्रवण वार्तालाप भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई हैं जिनमें फेसबुक, व्हट्स एप, इंस्टाग्राम, ट्वीटर प्रमुख है । यह जहाँ सकारात्मक भूमिका अदा करता है वहीं कुछ लोग इसका नकारात्मक प्रयोग करते हैं । सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक प्रकार की भ्रामक और अनुपयोगी जानकारी सांझा की जाती है जिससे जनमानस के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है …कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि सरकार सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल करने पर सख़्त हो जाती है और हमने देखा भी है कि सरकार को जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना पड़ा है, मध्य प्रदेश में हुए किसान आंदोलन में भी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि कोई असामाजिक तत्व किसान आंदोलन की आड़ में किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे पाए । बीते कुछ सालों में भारत में सोशल नेटवर्किंग साइटों के इस्तेमाल में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है राजनीतिक दल नेता भी पीछे नहीं हैं , वे भी अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए फेसबुक और ट्वीटर जैसी वेबसाइटों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं । देश में समस्या पैदा करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम का दुरुपयोग हो रहा है । आज सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक की नितांत आवश्यकता है ताकि देश के दुश्मन सोशल साइटों के माध्यम से कोई दंगा व तनाव बढ़ाने में कामयाब न हो सकें ।
सोशल साइट में है सूचनाओं का भंडार । सोशल साइट आपके लिए खोलती सूचनाओं का द्वार ।
आधुनिक तकनीकी का उचित प्रयोग सुगम बनाती रहा ।
सोशल साइट ने उपलब्ध करवाया आपको नया मुकाम ।
न करो इसका अनुचित प्रयोग
पाओ इससे पूरा ज्ञान ।
बच्चों को भी सिखाना है इसका उचित इस्तेमाल ।
तभी बनेगा यह आपके लिए एक अनमोल वरदान ।
सोशल मीडिया दुनिया को समझने और एक दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीके को बदलता है मगर आजकल के बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल फोन पर खर्च करते हैं और माता-पिता भी अपने छोटे बच्चों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बड़ी गौरवान्वित प्रतिक्रिया प्रस्तुत करते हैं उन्हें यह क्यों नहीं समझ आता कि छोटे बच्चों के लिए कम उम्र में इसका इस्तेमाल कितना घातक सिद्ध हो सकता है । आज छोट-छोटेे बच्चे स्मार्ट फोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ खेलते हैं सोशल मीडिया आज किशोरों के जीवन का एक सक्रिय हिस्सा है हालांकि माता-पिता को यह जानकारी अवश्य रखनी होगी कि इन सब का उनके बच्चों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है । बीते समय सोशल मीडिया पर 'ब्लू व्हेल' नाम के गेम ने कितने ही मासूम बच्चों की जान ले ली और आज भी 'मोमो' जैसा इसी प्रकार का गेम बच्चों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है हमें सावधान रहने की जरूरत है । अपने बच्चों पर निगरानी रखने की जरूरत है कि वह इन चीजों का सही इस्तेमाल कर रहे हैं या गलत, उन्हें हर कदम पर मार्गदर्शन की जरूरत है सोशल मीडिया कोई गलत तकनीकी नहीं है; अगर इसका उचित और सही प्रयोग किया जाए तो यह जीवन में बदलाव ला सकती है, हमारी सोच को बदल सकती है, हमें प्रगति के पथ पर ले जा सकती है, हमारा ज्ञान बढ़ा सकती है । ज़रूरत है सावधानी और उचित प्रयोग की ।
हाल ही में हुए एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि जो बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं उनके मन में जीवन के प्रति असंतुष्टि का भाव ज्यादा रहता है साथ-ही-साथ जो बच्चे सोशल मीडिया पर जितना समय बिताते हैं उसी अनुपात में अपने घर परिवार, स्कूल और जीवन के प्रति असंतुष्ट हैं । जो बच्चे सोशल मीडिया पर कम समय बिताते हैं वे जीवन के दूसरे पहलुओं पर सबसे ज्यादा संतुष्ट नजर आए । सोशल मीडिया पर कम समय व्यतीत करने वालों को अपना स्कूल और माता-पिता ज्यादा पसंद हैं । एक और दिलचस्प बात कि सोशल मीडिया का उपयोग करने का असर लड़कों की तुलना में लड़कियों पर जाता है कारण है कि लड़कियाँ ज्यादा भावुक होती हैं और इसी कारण से साईबर बुलिंग और अन्य कुंठाओं की शिकार हो जाती हैं । भारत में नेट कनेक्टीविटी और स्मार्ट फोन की चाह ही बच्चों में हिलता की ग्रंथी पैदा कर देती है जो बच्चे संसाधन हीन होते हैं या जिनके पास इतना पैसा नहीं होता कि वह यह सारी सुविधाओं को पा सके उनके मन में एक अलग तरह की ग्रंथी का विकास हो जाती है वह यह कि उन्हें लगता है कि वह जीवन के कई आधारभूत संसाधनों से वंचित हैं और दूसरों से निम्न है । हमें बच्चों की इस बदलती सोच को बदलना है और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करना है उन्हें समझाना है "प्रयोग करना गलत नहीं है; मगर अति प्रयोग नुकसानदायक है "। तकनीकी का सही प्रयोग हमें दिशा प्रदान कर सकता है वरन दिशाहीन बनाकर अंधे कुएँ में धकेलने की भी पूर्ण क्षमता रखता है ।
सोशल साइट का सही प्रयोग
होगा जब चारों ओर
तभी सुनिश्चित होगी
समाज में जागरूकता चहुँ ओर
इसलिए करो सार्थक प्रयास
पाओ इससे सार्थक और समृद्ध ज्ञान ।।
नीरू मोहन 'वागेश्वरी'
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