पुलवामा आतंकी हमला
'मर्म की चीख'
जम्मू कश्मीर पुलवामा में आतंकी हमले में सी आर पी एफ के 48 जवान शहीद हुए अनगिनत देशभक्त जवान घायल है और कुछ लापता हैं ।
अभी भी चैन-ओ-अमन कहां है ?
सत्ताधारी का कहा वादा कहां है ?
सीमा सुरक्षा की बात तो किया करते थे ।
पुलवामा में आतंकी हमला क्यों हुआ है ?
शहीद हुए हैं जवान भारतीय हमारे
अब कांग्रेसी / बीजेपी के सभी नेता कहां है ?
चुनावों के लिए रैलियां तो खूब कराई तुमने
शहीदों के घरों में चिराग तो जलाओ जाके
आज देश जिस शोक में डूबा हुआ है इसकी भरपाई कैसे की जा सकती है ? क्या भारत के शहीदों को इंसाफ मिल पाएगा या फिर चुनावी रोटियां हीं सैकी जाएंगी । आज बहुत से प्रश्न सभी के जहन में जद्दोजहद कर रहे होंगे शहीदों की परिवार वालों की मार्मिक चीख सत्ताधारी तक कभी नहीं पहुंच पाएगी । अगर पहुंच पाती तो ऐसे हैवानों के लिए जिन्होंने अपना कुकर्म कुबूल लिया है कोई कार्यवाही नहीं की जाती क्या ? सरकार और सत्ताधारी सुप्त अवस्था में है । मीडिया शहीदों के घर परिवार वालों के घरों में जाकर प्रश्न पूछ रही है कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है ? उनकी सरकार से क्या गुहार है ? क्या सरकार को नहीं पता ? क्या सत्ताधारियों को संज्ञान नहीं कि जिनके घर के चिराग बुझ गए हैं उनके लिए उन्हें क्या करना चाहिए । देश के शहीद, मात्रभूमि की रक्षा करने वाले, देश पर अपनी जान न्योछावर करने वालों के लिए देश क्या कर सकता है इसकी भी जानकारी क्या उनके परिवारवाले देंगे ।
ऐसे समय पर उनसे प्रश्न पूछने की बजाए कदम उठाए जाएं । अगर देश के वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करनी है तो सरकार को खून के बदले खून और मौत के बदले मौत देनी चाहिए । वो जमाना नहीं है कि एक गाल पर कोई थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दिया जाए । आज देश वीर सैनिकों की शहादत का सवाल है । उरी कांड से सरकार को सीख लेनी चाहिए थी यह आतंकी हमला इसीलिए हुआ है कि उस समय सख्त कार्यवाही नहीं की गई जिसके कारण आज उरी से भी ज्यादा भयानक और मार्मिक दृश्य सामने प्रस्तुत हुआ है । वीर शहीदों की संख्या 19 से 48 / 50 के करीब गई है । सरकार किस सोच में डूबी है । इतना सब होने के बाद किस चीज का इंतजार कर रही है आज हम सभी को इसका जवाब चाहिए ।
डॉ. नीरू मोहन ' वागीश्वरी '
No comments:
Post a Comment