Wednesday 7 November 2018

खुशियों वाली दिवाली

अनुरोध पत्र

संदेश

खुशियों वाली दिवाली
दीपों की आवली

धूम-धड़ाका नहीं करेंगे
धरा सुरक्षित सभी करेंगे

दीपावली पर्व की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं !  इस वर्ष और आने वाले प्रत्येक वर्ष की दीपावली सभी के घरों में मंगल प्रवेश, मंगल मिलन के साथ मित्रों के मन में मिठास घोले साथ ही साथ सभी के सहयोग से इस धरा पर खुशहाली का वास हो । यह तभी संभव है जब हम स्वयं इस चीज के लिए कर्तव्यबद्ध हों ।

जी हां मित्रों, आप सभी मेरी बात समझ ही गए होंगे कि मैं आप सभी का ध्यान किस ओर आकर्षित करना चाहती हूं । ईश्वर ने धरा रूपी घर हम सभी को समान रूप से प्रदान किया है जिस की सुरक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है हमारी इस धरा रूपी घर में सभी  मिलजुल कर रहे, भेदभाव और असमानता का कहीं भी वास न हो , मन और पर्यावरण प्रदूषण रहित बना रहे हम सभी की यही सुखदकामना बनी रहे ।
जिस प्रकार मन में खटास और भेद आने से मन और विचार प्रदूषित हो जाते हैं उसी प्रकार हमारी धरा भी हमारी कुछ ऐसी क्रियाओं द्वारा प्रदूषित हो जाती है जिसके परिणाम हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं ।

आज दीपावली का पावन पर्व है । आप सभी से  अपनी और शुभकामना चाहने वालों की ओर से अनुरोध करती हूं कि आप सभी दीपावली पर्व को खुशियों से खुशहाल बनाए न कि बम-पटाखे और आतिशबाजी के प्रदूषण से बदहाल बनाएं । बम-पटाखे जलाने से कुछ पल के लिए आपको उत्साह, उल्लास और खुशी का अनुभव हो सकता है मगर यह खुशी कुछ ही देर की होगी क्योंकि इन बम-पटाखों से होने वाला प्रदूषण पूरी धरा को पता नहीं कितने दिनों या सालों तक प्रभाव में रखेगा । जब धरा प्रदूषित होगी तो यकीनन वायु, जल, प्रकृति, पेड़-पौधे, वन्यजीव और मनुष्यों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । हम सबको इस बात का अंदाजा भी है फिर भी हम सभी एक दूसरे की देखा देखी त्योहारों, शादी-ब्याह और अन्य उत्सव पर बम पटाखों का प्रयोग करते हैं । हमें स्वयं यह दृढ़ संकल्प लेना होगा कि जिन पदार्थों से प्रकृति का दोहन या प्रदूषण होता है उसको न ही खरीदें और न ही प्रयोग करें । हम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत कुछ तो नहीं कुछ तो छोड़ सके और उन्हें भी ऐसे कार्य करते हुए संदेश और शिक्षित करें कि प्रकृति हमारी अनमोल धरोहर है और उसका बचाव हमारे स्वयं के हाथ में है ।

जिस प्रकार हमारे बड़े बूढ़े हमारे लिए घर, जमा-पूंजी छोड़कर जाते हैं और जब हम उसका उचित प्रयोग करके उसे दोगुना बना दें तो कहते हैं कि हमारे बड़े हम से बहुत खुश हैं क्योंकि हम उनकी दी हुई संपदा का उचित प्रयोग कर रहे हैं और अगर दूसरी तरफ हम उसी दी हुई धरोहर को नष्ट कर दें गलत कार्यों में लगा दे तो वह एक दिन समाप्त हो जाती है और हमारे आने वाली पीढ़ी रोज दरिद्रता का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो जाती है । जिस प्रकार पुरखों की दी हुई धरोहर, परंपरा, संस्कृति को हम अपनी पीढ़ी के लिए संभालते हैं उसी प्रकार ईश्वर द्वारा प्रदत्त धरा रूपी धरोहर की रक्षा और सुरक्षा हमारा परम कर्तव्य है क्योंकि यह धरा ईश द्वारा प्रत्येक जीव को समान रूप से प्रदत है और ईश्वर की दी हुई इस धरोहर को हमें संभाल कर रखना है इसका दोहन नहीं करना है जिस से आने वाली पीढ़ी इसका प्रयोग कर सके और आने वाली पीढ़ी के लिए भी यही संदेश देना है कि वह भी इस धरा को प्रदूषण रहित बनाकर सजा संजो कर रखें ।

इसीलिए…

दीपों से जग रोशन करना
बम पटाखों का प्रयोग न करना
खाकर खूब मिठाई पकवान
मिलकर गले मित्रों से आज
दीपों का त्योहार मनाना
दीपावली प्रदूषण रहित बनाना
बम-पटाखे त्यज दो आज
दीपों से करो प्रदीप्त गृह द्वार
बम-पटाखे न करेंगे लाभ
इससे होता पर्यावरण खराब
इसीलिए करो अभी से प्राण
बम-पटाखे न रखोगे संग
धूम-धड़ाका नहीं करोगे
धरा सुरक्षित सभी करोगे ।।

नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

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