“ बूँद–बूँद सागर” साहित्यकारा नीरू मोहन 'वागीश्वरी' का प्रथम हाइकु-संग्रह है। इसमें उनके ८०० से अधिक हाइकु संगृहीत हैं । उनकी रचनाओं का फॉर्म और कंटेंट, दोनों ही पूरी तरह हाइकु कलेवर के अनुरूप हैं । मेरा मानना है कि हाइकु लिखना तलवार की धार पर चलने जैसा है , जरा सी चूक हुई तो सब खत्म । यह न तो सरल है और न साहित्य का कोई शॉर्टकट ...यह 5-7-5 का कोई खेल नहीं है ....दोहा और शेर की दो पंक्तिया अपने में बहुत कुछ समेटे रहते हैं , हाइकु तो और भी लघुकाय है अत: भाव और भाषा का संयम इसकी प्रथम और अंतिम अनिवार्यता है ..5-7-5 को आधार मान कर लाखों हाइकु लिखे गए होंगे लेकिन महत्वपूर्ण ये है कि उनमें से कितने हाइकु पढ़ने वालो को संवेदित करते हैं ।
मेरी नज़र में अभी तक डॉ कुंअर बेचैन , ज्योत्स्ना प्रदीप , हरकीरत हीर , कमल कपूर , भावना कुंअर और भी 2-3 नाम हैं जिनके द्वारा रचित हाइकु पाठकों के दिल की गहराईयों तक पहुँचते हैं ..अभी फरीदाबाद के डॉ महेंद्र शर्मा ‘मधुकर ‘ ने तेज़ी से राष्ट्रीय स्तर पर हाइकु लेखन में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज़ कराई है और वे हाइकु विधा में अनेक रचनाकारों के लिए प्रेरणा-स्रोत की भूमिका का सफल निर्वहन कर रहे हैं इसी श्रेणी में साहित्यकारा नीरू मोहन 'वागीश्वरी' जी भी बहुत लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं । वह मनोभावों को अपने लेखन में हीरे की तरह तराशती हैं । यह अभी तक का प्रथम ऐसा संग्रह है जिसमें काव्य लेखन में प्रयुक्त कठिन शब्दों के अर्थों को भी शामिल किया गया है जो अपने आप में अनुपम है और रचनाकार की रचनाधर्मिता को प्रदर्शित करता है ।
नीरू मोहन का प्रथम हाइकु संग्रह ‘बूँद-बूँद सागर ‘ नदी के शीतल जल और सागर की गहराई के जैसा है । उनके समस्त हाइकु उनके ह्रदय की विशालता का परिचय देते हैं । अपने लेखन में भावपूर्ण अभिव्यक्ति और ओजस्वी गुणों के कारण साहित्यकारा नीरू मोहन जी को उनके पाठकों, शुभचिंतकों और अनेक साहित्यिक मंचों ने उन्हें 'वागीश्वरी' नाम से आलंकृत किया जिसका अर्थ है वाणी की देवी 'माँ शारदा' । उनके लेखन से यह सिद्ध भी हो जाता है कि वह साक्षात् वीणापाणी हैं । उनका लेखन सच्चाई को दर्शाता हुआ समाज का आईना प्रस्तुत करता है । मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि ये संग्रह साहित्यकारा नीरू मोहन 'वागीश्वरी' की साहित्यिक यात्रा का एक ऐसा पड़ाव है जो उनके भावी सफ़र को एक नए मुकाम तक ले जाएगा । मुझे पूरा यकीन है कि आने वाले समय में साहित्यकारा नीरू मोहन 'वागीश्वरी' हाइकु को और अधिक ऊँचाई देंगी ।
शुभकामनाओं सहित
पवन जैन
संस्थापक एवं संपादक ‘आगमन’
No comments:
Post a Comment