Wednesday, 18 April 2018

राजनीति राजनेताओं का खिलौना

राजनीति राजनेताओं का खिलौना…खेलों और छोड़ो ????

आज भ्रष्टाचार अपने चरम बिंदु पर है । देश के विकास के नाम पर मानो सट्टा खेला जा रहा है । गरीबी का स्तर निम्न से निम्नतर होता जा रहा है ऐसे विकास और प्रगति का कोई अर्थ नहीं जो लाखों करोड़ों लोगों की शैय्या पर खड़ी हो या फिर यूँ कहिए कि लोगों को बेरोजगार करके उनसे जीने का हक छीन लेना उन्नति नहीं देश की अवनति दर्शाता है । अगर हम देखें तो आज देश में महिलाओं से लेकर छोटी-छोटी बच्चियाँ महफूज़ नहीं हैं । वहशी दरिंदे खुलेआम आवारा अलि की तरह सड़कों पर मँडराते रहते हैं । राजनीति और राजनेताओं की बात करें तो 'सफेदपोश में काले तन और मन' की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि कहते हैं ना कि जिस देश का शासन और सत्ता लालची और कपटी लोग संभालेंगे तो शासन नहीं कुशासन ही होगा । आज तक कोई भी ऐसा नेता नहीं दिखा जो सच्चाई और ईमानदारी से देश को सुधारना चाहता है । राजनीति में या तो परिवारवाद है या भाई भतीजावाद है । जो पार्टी सत्ता में आती है उसके नेता देश- विदेश की यात्राओं में ही समय व्यर्थ करते हैं । जो वादे करके यहाँ तक आए हैं उन्हें भूल कर मजे उड़ाते हैं । वादे करके मुँह फेर लेना तो मानो इन राजनेताओं का धंधा बन गया हो । विकास के नाम पर आज स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को सुधारने की जगह स्विमिंग पूल बनाए जाते हैं अब आप बताएँ कि स्कूलों में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आएँगे या तैराकी सीखने… सोचने की बात है । आज देश में जितनी समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं उनका कारण केवल और केवल प्रखर व्यक्तित्व और नेतृत्व का ना मिल पाना है । रणनीति तो सभी बना लेते हैं परंतु उसको क्रियांवित नहीं कर पाते केवल स्वार्थी बने रहते हैं । आज देश के बाहरी रूप को सँवारने से ज्यादा जरूरी आंतरिक रुप को सँवारने की आवश्यकता है।

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