** नारी है शक्ति **
मैं नारी हूँ…
हाँ, मैं नारी हूँ ।
वह नारी जो बदलाव ला सकती है ।
वह नारी जो घर सजा सकती है ।
वह नारी जो घर जला भी सकती है ।
वह नारी जो परिवार का पेट पाल सकती है ।
वह नारी जो अपने कार्यों और बुद्धि से अर्थ कमा सकती है ।
हाँ, वह नारी जो बच्चों को संस्कार से पोषित कर सकती है ।
वह नारी जो देश चला सकती है ।
वह नारी जो विमान उड़ा सकती है ।
वह नारी जो अंतरिक्ष तक जा सकती है ।
हाँ, मैं वो नारी हूँ जो दुख सहकर खुशी से
सबका दुख बाँट सकती है ।
हाँ, मैं हूँ…मैं यही सोचती हूँ…कि मैं हूँ ।
मैं वो हूँ जो नर को सृष्टि पर ला सकती है ।
फिर भी पाती हूँ लोगों के ताने
सब कुछ सहती, सहजती
अपने मर्म को अपने ही भीतर संजोती हूं कभी समाज के द्वारा बुरी कही जाती तो कभी डायन, कुलटा कही जाती हूँ ।
फिर भी सहती हूँ कुछ नहीं कहती हूँ ।
नीरू कहती…तुम जो भी सोचो
यह तुम्हारी सोच है ।
तुम मुझे समझो या न समझो
यह तुम्हारा अपना कर्मयोग है ।
मैं शक्ति…शक्ति का भंडार हूँ ।
इस धरा पर ईश का अवतार हूँ ।
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