बालसाहित्य
समर्पण
बाल साहित्य बाल मन की झलक होता है । यह एक आईना है जिसमें हमें स्वयं अपना बचपन नज़र आता है । अपनी इस पुस्तक का हर शब्द विश्व के प्रत्येक बच्चे, बड़े और अपने बेटे प्रतीक मोहन और बेटी दीपांक्षी मोहन को समर्पित करती हूँ क्योंकि बचपन सभी के जीवन में आता है बचपन हर व्यक्ति की प्रथम अवस्था है इसलिए पुस्तक का हर शब्द हर जन के लिए समर्पित …
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