शिक्षा संस्थान हो या शासकीय संस्थान
इन कार्य स्थलों पर नारी भी काम करती है ।
कैसे कहे यह बात की नारी ही नारी का अपमान करती है ।
एक औरत दूसरी औरत की तरक्की न देख पाती है ।
बिना बात ही अपनी सहकर्मी को षड्यंत्र में फंसाती है ।
देकर झूठी दलीलें अधिकारी को उसकी माफीनामा तक उससे लिखवाती है । जरूरत पड़ने पर काम से भी उसको निष्काषित करवाती है ।
अपने पद का पूरा फायदा उठाती है ।
अपने से नीचे काम कर रही अपनी ही बहनों को नीचा दिखाती है ।
नहीं शर्म आती उसको सब के बीच में तमाशा बनाती है ।
अपनी सहकर्मी को सरेआम जली-कटी सुनाती है ।
जब आती अपने पर बात तो झूठे इल्ज़ाम लगाती है ।
अपनी गलती को बड़ी सफाई से छिपाती है ।
अपनी बात को रख ऊपर सच को
झुठलाती है ।
मालिक के आगे स्वयं को बुद्धिमान दर्शाती है ।
ऐसी भी होती हैं कुछ औरतें जो औरत की तरक्की ना देख पाती हैं ।
अपने से आगे किसी और औरत को कभी न आने दे पाती हैं ।
हर जगह का यही हाल है औरत ,औरत के षड्यंत्र का शिकार है ।
यहाँ औरत ने ही औरत को दी हर बार मात है ।
इस बात का फायदा उठाता है सामने वाला भी पूरा ।
दो औरतों को लड़वाकर आपस में
मौके का लाभ उठाता है पूरा ।
हमें स्वयं के मनोभावों को बदलना होगा ।
सुधार लाना है तो एक दूसरे का सम्मान करना होगा ।
नारी जब देगी सम्मान नारी को भरपूर ।
तभी देश और परिवार का उद्धार संभव है नीरू ।
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