Wednesday, 8 November 2017

मैं भी औरत हूं

मैं भी तो एक औरत लोगों
मैं भी चाहती मान-सम्मान
मैं भी चाहती घर परिवार
बेटा-बेटी घर संसार
क्यों तू मेरा सौदा करता
मुझको देता यह संसार
कोठे पर मुझको पहुँचाता
बाज़ार में मुझे तू बैठाता
तू भी है किसी माँ का सूत
क्यों करता निर्लज करतूत

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