Saturday, 4 November 2017

समीक्षा

गुरु नानक देव जी के जन्मदिन और गंगा स्नान के पावन शुभ अवसर पर समीक्षा का जो अवसर साहित्य संगम परिवार की तरफ से मुझे प्राप्त हुआ है उसके लिए मैं हार्दिक धन्यवाद करती हूँ और सभी विशिष्ट / शिष्टजन को नमन करते हुए आज की समीक्षा प्रेषित रखती हूँ ।

दिनांक - ४ नवंबर २०१७
दिन - शनिवार
आज का विशेष - गंगा
समीक्षाकर्ता - नीरू मोहन
स्थान - दिल्ली
द्वितीय पाली की समीक्षा

१. प्रथम काव्य सृजन इंदु सूची बहन का प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने गंगा के स्पर्श मात्र से पापी को अपने पापों से तरने की बात अति उत्तम भाव प्रदर्शित कर रही है सही कहा गंगा नाम से मन पावन हो जाता है
अति उत्तम सृजन हेतु हार्दिक बधाई

२. द्वितीय रचना ऋतु बहन की कुंडलियां छंद के रूप में प्राप्त हुई ।आपने सही कहा ऋतु बहन गंगा हमारे पाप धोते-धोते मैली हो गई है और इसे स्वच्छ रखना हमारा परम कर्तव्य है । यह नीर नहीं अमृत है ।
अति उत्तम सृजन के लिए हार्दिक बधाई

३. तीसरी रचना रोहित भाई जी की प्राप्ति गंगा मां का दर्द बखूबी बताया है इस निष्ठुर मानव को सही पाठ पढ़ाया है ।पूर्ण शिक्षात्मक संदेश आपके काव्य सृजन को अलंकृत कर रहा है। गंगा माँ को मैला न करने का संदेश सभी को दे रहा है ।
अति उत्तम सृजन भाई जी हार्दिक बधाई

४. चौथी रचना मुक्तक के रूप में अनीता बहन की प्राप्त हुई । जो गंगा माँ की लाचारी और दर्द बताती नजर आई । उनकी रचना में अपने इस हाल पर स्वयं भागीरथी रोती नजर आईं ।
अति उत्तम प्रयास करुणा से भरपूर संवेदनाओ से भरा शिक्षाप्रद संदेश ।
उत्तम सृजन हेतु हार्दिक बधाई

५. पांचवी रचना चंचल भाई जी की प्राप्त हुई अति उत्तम और अलंकृत शब्दों से छंद में चार चाँद लगा दिए हैं चंचल भाई जी ने आपकी लेखनी को प्रणाम आपके द्वारा लिखित शब्दों में भाव और शिक्षा दोनों ही विद्यमान है ।
उत्तम लेखनी के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

६. छठी रचना आशीष भाई जी की प्राप्त हुई । अपनी काव्यात्मक रचना में भोले शंकर को पुकारते नजर आए । इस संसार में पापों का नाश जरूरी है मानव को सत्य मार्ग पर लाने के लिए, लोभ लालच को मिटाने के लिए, नारी की पीड़ा को बताते हुए भोले शंकर को पुकारते नजर आए । आशीष भाई ने अपनी रचना में सभी बातों को उजागर किया है पाप से लेकर पुण्य तक का सफर तय किया है ।
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

७. सातवीं रचना राजलक्ष्मी बहन की प्राप्त हुई । अपने लेख के माध्यम से नदियों का महत्व बताते गंगा माँ की कहानी कह डाली है । हरिद्वार से लेकर इलाहाबाद तक की सैर हमें घर बैठे ही करवा डाली है । अपने लेख में मानव के फरेब की भी गाथा सहजता से कह डाली है ।
अति उत्तम बहन हार्दिक बधाई

८. रानी बहन की रचना अति उत्तम शीर्षक धारण करती हुई उन लोगों की कहानी दर्शा रही है जो गंगा घाट पर भीड़ और कोहराम का शिकार हो जाते हैं ।पाप धोने आते हैं आप परिवार के साथ कुछ तो सकुशल पहुँच जाते हैं वापिस अपने धाम पर कुछ अनाथ होते हैं या कर जाते हैं अनाथ । पकड़कर उंगली आते हैं जो अपने छोटे कंधों पर अपने माँ-बाप की शैय्या का भार उठाते हैं । मार्मिक करूणादायी चित्रण रानी सोनी बहन इस रचना में इतनी करूणा है मैं सिर्फ नमन कर सकती हूँ और पुष्प अर्पित कर सकती हूँ ।तालियों से ज्यादा मेरी श्रद्धा समर्पित है ।
उत्तर सृजन के लिए नमन और हार्दिक बधाई

९. नौवीं रचना राम प्रसाद दुबे भाई की प्राप्त हुई जिन्होंने हिमालय से लेकर सागर तट मंदिर से लेकर मरघट तक जल की महत्तवता का वर्णन किया है और गंगा को जीवनदायिनी बताया है ।
अतिउत्तम रचना हार्दिक बधाई रामप्रसाद भाई

१०. दसवीं रचना तेजवीर सिंह भाई की कुंडलिया छंद प्राप्त हुई जिन्होंने गंगा को पाप विनाशिनी बताते हुए सुख समृद्धि और सर्व सिद्धि दात्री कहा है ।
अति उत्तम सृजन के लिए हार्दिक बधाई दीजिए भाई जी ।

११. ग्यारहवीं रचना मुरारी भाई जी की चौपाई छंद के रूप में प्राप्त हुई । अलंकारों से युक्त भाव बिखेरती अति उत्तम शब्दो का समावेश करती रचना । स्वर्ग लोक से धरती पर अवतरित गंगा का गुणगान और अंत में आरती द्वारा पूजा अर्चना का विधान बताते हुए समाप्त हुई। उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई

१२. बारहवीं रचना राजवीर सिंह भाई की  पापों को धोती गंगा बहती जा रही है । अच्छा संदेश देती हुई स्वच्छता अभियान के द्वारा गंगा को स्वच्छ करने का संदेश अति श्लाघनीय ।
उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई

१३. तेरहवी रचना गंगा विषय पर कुंडलियां जोगेश्वरी भाई की प्राप्त हुई । जोगेश्वरी भाई ने दो तरह की गंगा की बात कही है एक जग को सींचती है और भारत का अस्तित्व बनाती है और दूसरी कछु न कर पाती है ।जगदीश भाई बहुत अच्छी कुंडलियाँ कही ।
अति उत्तम  सृजन के लिए हार्दिक बधाई

आज गंगा विषय पर सभी ने अपनी लेखनी चलाई । अपने भावों और शब्दों के माध्यम से गंगा की पवित्रता और स्वच्छता की ओर ध्यान देते हुए गंगा को शुभ फलदायिनी और पापविनाशिनी कहा है ।
गंगा माँ की संतान होने के नाते हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हम अपनी माँ के आंचल को कभी मैला न होने दें उसकी स्वच्छता का ध्यान रखें और कूड़ा करकट फैंक कर उसको अस्वच्छ न करें । आप सभी की रचनाओं के और इस पावन पटल के माध्यम से यह संदेश पूरे देश तक पहुँच पा रहा है । मैं आप सभी को बधाई देती हूँ और उत्तम विषय हेतु पटल को नमन करती हूँ ।
जल ही जीवन है
याद यही रखना है
गंगा न मैली हो
प्रयास यही करना है ।।

साहित्य संगम संस्थान मंच पर समीक्षाकर्ता के रूप में प्रथम प्रयास । त्रुटि हेतु क्षमायाचना स्वीकार करें ।
**यदि किसी भाई / बहन की समीक्षा रह गई है तो पटल पर सूचित करें उनकी रचना की समीक्षा शीघ्र हो जाएगी ।
प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाई ।
धन्यवाद
नीरू मोहन
शुभरात्रि

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