रानी देखो क्या है बाहर
धुआं -धुआं ही है बस आज
सांस नहीं ली जाती है
आँखें भी जलन मचीती हैं
दीदी सच में आज धुआं है
पर्यावरण खराब हुआ है
दिवाली के बम बारूद ने
वात को कितना दुषित किया है
पक्षी भी नहीं चहक रहे हैं
पौधे भी मुरझा से गए हैं
मम्मी ने घर के खिड़की पट
सुबह से ही बंद किए हुए हैं
दीदी यह प्रण करना होगा
पर्यावरण संरक्षण करना होगा
पृथ्वी को बचाना है गर
पटाखे नहीं जलाना है अब
दीपों से जग रोशन करना
पटाखों का प्रयोग नहीं अब करना
यही संदेश है सबको आज
दीपोत्सव करना दीपों के साथ
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