दिनांक - 2 नवंबर 2017
दिन - बृहस्पतिवार
आज का विशेष - क्रोध
समीक्षाकर्ता - नीरू मोहन
स्थान - दिल्ली
आज की समीक्षा
1. प्रथम रचना सरोज दीदी की प्राप्त हुई क्रोध को मन का प्रतिकार बताते हुए क्रोध के बहिष्कार की बात की है ।सरोज दीदी आपने सही कहा क्रोधी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति से प्यार कोसों दूर चला जाता है और वह तन्हा रह जाता है ।
उत्तम रचना दीदी हार्दिक बधाई
2. दूसरी रचना स्वाति दीदी की थी ।आपने सही कहा दीदी क्रोध पर काबू न रखा जाए तो मान व शान प्राप्त नहीं होती और क्रोध की स्थिति में हम सोच समझ नहीं पाते ।
उत्तम रचना के लिए बधाई
3. तीसरी रचना सूची दीदी की प्राप्त हुई जिन्होंने क्रोध रूपी बीमारी को त्यागने की बात कही है उनके शीर्षक ने सब कुछ कह दिया है सच दीदी क्रोध घातक आवृति ही है अंतिम पंक्ति से 'झुककर स्वयं को ही बड़ा सबसे बना लेवेे रे' मैं जो शिक्षा छिपी है उसका जवाब नहीं आपने लाजवाब शब्दों का प्रयोग कर कविता में अति उत्तम भाव बिखेर दिए हैं आप की रचना क्रोधी व्यक्ति पढ़े तो कभी क्रोध न करें । वाह ! दीदी
सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई
4. चौथी रचना क्रोध एक विकार अंजू दीदी की प्राप्त हुई जिन्होंने सही कहा कि क्रोध हित और अहित का भेद नहीं कर पाता क्रोध के कारण बहुत से रिश्तों में खटास आ जाती है ।क्रोध के कारण मनुष्य कुछ नहीं सोच पाता और स्वयं का अहित कर लेता है दीदी ने क्रोध को नियंत्रित करने का बहुत ही अच्छा और सरल उपाय बताया है और अाध्यात्म पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा है आपने अपनी लेखनी में शिक्षाप्रद बातें कहीं जिन्हें जीवन में अपना कर खुद पर और क्रोध पर काबू पाया जा सकता है ।
सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
5. पांचवी रचना रति बहन की प्राप्त हुई जिन्होंने अपनी रचना में माँ और बेटे के बीच क्रोध की स्थिति होने पर बेटी का आग्रह करने का अंदाज दर्शाया है और माँ के क्रोध को शांत करने के लिए बेटा दुनिया की हर खुशी माँ पर न्यौछावर करता पाया गया है वैसे भी कहा गया है माँ बच्चों से ज्यादा देर तक ख़फा नहीं रह सकती और न ज्यादा क्रोध में रह सकती यह एक माँ का स्वभाव ही है ।
सुंदर और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
6. छठी रचना कुमुद बहन की कहानी के रुप में प्राप्त हुई जो सच्ची घटना पर आधारित है आपने सही कहा कुमुद बहन क्रोध अज्ञानता ही दर्शाता है और इसका धारण करने वाले हमेशा हानि और दुख ही पाता है ।
श्रेष्ठ सृजन के लिए बधाई
7. सातवी रचना श्री कृष्णा बहन की प्राप्त हुई जिन्होंने क्रोध को ऐसा तीर बताया है जो एक बार निकल जाए तो संबंधों की डोर को भेद ही देता है ।आप ने सही कहा कि वाणी अगर संयमित है तभी संबंध क़ायम है ।
सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
8. आठवीं रचना ऋतु दीदी की प्राप्त हुई उर्दू शायरी की झलक दर्शाती रचना शब्दों का रस उड़ रही है । सुंदर परिष्कृत शब्दों का चयन रचना की सुंदरता में चार चाँद लगा रहा है ।
सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई
9. नौवीं रचना रानी बहन की प्राप्त हुई । सही कहा कि समझदार और अबोध दोनों पर क्रोध का साया हमेशा रहता है । हमें प्रत्येक परिस्थिती में संयम बनाए रखना चाहिए । आपने क्रोध को एक तेज धारदार तलवार की संज्ञा दी है यह सत्य है क्रोध रिश्तों के कच्चे और कोमल धागों को तोड़ देता है दीदी आपने सही कहा क्रोध का इलाज जरुरी है तभी हम रिश्तों की मिठास को कायम रख सकते हैं और अपने रिश्तो को टूटने से बचा सकते हैं ।
अति उत्तम कुंडलियाँ ।
उत्तम सूजन के लिए हार्दिक बधाई
संगम सुवास : नारी मंच पर समीक्षाकर्ता के रूप में प्रथम प्रयास । त्रुटि हेतु क्षमा याचना स्वीकार करें ।
**यदि किसी बहन की समीक्षा रह गई है तो पटल पर सूचित करें उनकी रचना की समीक्षा शीघ्र हो जाएगी ।
धन्यवाद
नीरू मोहन
शुभसंध्या
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