क्यों बनाया हृदय मेरा
फूल-सा कोमल… हे ईश्वर !
मसलकर कोई भी चला जाता है।
पत्थर दिल दुनिया में मुझे रोते
यूं ही तन्हा छोड़ जाता है ।
भाव सबके लिए रखती हूँ
प्यार वाले दिल में …
फिर भी प्यार की जगह…
तीर धारवाले दिल के पार कर जाता है ।
पता नहीं वो संग दिल
कहाँ से आता है…
और कहा चला जाता है ।
सिर्फ दर्द का एहसास
इस दिल पर छोड़ जाता है ।
पता है मुझे…
यूँ ही गम सहना है ।
अकेले ही हर जख्म का मरहम
खुद ही बनना है ।
नहीं आएगा कोई सहलाने
और जख्मों पर मरहम लगाने …
मुझे रिस्ते घाव को
यूँ ही खुला रखना है ।।
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