Thursday, 25 January 2018

हिंदी

हर जन हिंदी बोले,
हर मन हिंदी बोले,
शुद्ध शब्द उच्चारण,
शुद्ध लेखन और वाचन,
यही ध्येय हमारा है,
हिंदी भाषा और हिंदी शिक्षक को गौरवान्वित और सिरमौर बनाना है ।
हिंदी भाषा अकादमीे ने इसी दिशा में कदम बढ़ाया है ।
शिक्षक प्रकोष्ठ बनाने का एक नन्हा स्वप्न सजाया है ।

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के द्वारा हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु 'शिक्षक प्रकोष्ठ' का गठन सराहनीय कार्य है । शिक्षक वह सेतु और स्तंभ है जो हमारी भावी युवा पीढ़ी में भाषा के प्रति सम्मान और आदर पैदा कर सकता है । भारत एक हिंदी भाषी देश है और हिंदी आम जन समुदाय की भाषा है ।
मगर आज भाषा का स्वरूप भ्रष्ट होता प्रतीत हो रहा है क्योंकि देखा जाए तो वक्ता न तो पूर्ण हिंदी बोलता है और न ही पूर्ण इंग्लिश बोलता है उसने इन दोनों भाषाओं को मिलाकर एक नई भाषा को जन्म दे दिया है जो हिंग्लिश बनकर हमारे सामने प्रस्तुत है । आज देश के 80% लोग इसी भाषा को दैनिक जीवन में अपनाते हैं । हिंदी भाषा का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है इसका मुख्य कारण विद्यार्थियों की हिंदी भाषा के प्रति उदासीनता देखी गई है । आज वह हिंदी लिखने और पढ़ने से दूर भागते हैं । जहाँ तक मैंने अनुभव किया है हमारे समय में हिंदी मीडियम स्कूल ज्यादा होते थे जिनमें सभी विषय हिंदी में पढ़ाए जाते थे सिर्फ इंग्लिश भाषा का एक पीरियड होता था ।
आज इंग्लिश मीडियम स्कूल हो गए हैं सभी विषय इंग्लिश में ही पढ़ाए जाते हैं और सिर्फ एक भाषा का विषय होता है जो हिंदी है । दूसरा कारण यह है कि बच्चों के अभिभावक भी अपने आप को तब गर्वित महसूस करते हैं जब बच्चा इंग्लिश बोलता है और हिंदी बोलने वाले को हीन भावना से देखा जाता है । मेरा मानना है कि हमें हिंदी भाषा का वर्चस्व बनाए रखने के लिए हमें स्कूलों से और घरों से शुरुआत करनी होगी । आज के युवा वर्ग में हिंदी भाषा के प्रति रूचि उत्पन्न करनी होगी । स्कूलों में हम ज्यादा से ज्यादा हिंदी से संबंधित प्रतियोगिताएँ संपन्न करवा सकते हैं जैसे निबंध प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कविता गायन इत्यादि ।
आज का युग विकास और विज्ञान का युग है ।भावी पीढ़ी के बच्चे बहुत जोश और बुद्धि से परिपूर्ण है और बच्चों के माता- पिता भी शिक्षित हैं तथा अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत ही चिंतित हैं । वह बच्चों को सभी प्रकार के सुख और उच्च शिक्षा देने में भी समर्थ हैं और चाहते भी हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर डॉक्टर इंजीनियर साइंटिस्ट इत्यादि बने ।
आज शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है और अभिभावक भी यही मंशा रखते हैं कि उनका बच्चा अंग्रेजी बोलने-लिखने में प्रवीण हो जाए क्योंकि बिना अंग्रेजी ज्ञान के नौकरी मिलने में परेशानी होती है जिसके कारण हमारी मातृभाषा का स्तर गिरता जा रहा है । विद्यार्थी हिंदी पढ़ने- लिखने से कतराते हैं । आज की स्थिति ऐसी है कि सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी के विद्यार्थी भी हिंदी लेखन और वाचन में अक्षम हैं क्योंकि उन्हें मात्राओं का ज्ञान नहीं होता, व्याकरण के ज्ञान की कमी। इसका मुख्य कारण विद्यालय में तो कुशल हिंदी शिक्षकों की कमी है या फिर प्राथमिक स्तर पर अध्यापकों का विषय संबंधी ज्ञान न होना है क्योंकि प्राथमिक स्तर पर सभी कक्षाओं में 'मदर टीचिंग' होती है अर्थात कक्षा अध्यापिका ही समस्त विषयों को पढ़ाती है जहां तक मेरा मानना है और अनुभव है एक शिक्षक सभी विषयों में समान रुप से प्रवीण नहीं हो सकता उसे एक या दो क्षेत्रों में प्रवीणता प्राप्त हो सकती है परंतु सभी क्षेत्रों में प्रवीणता आना असंभव है क्योंकि आज की पीढ़ी के भी अध्यापकों ने भी उसी पाठ्यक्रम का अनुकरण किया है जो आजकल के स्कूल में विद्यमान है अर्थात अंग्रेजी माध्यम जिसके कारण वह भी हिंदी भाषा के को पढ़ने-लिखने में अक्षम रहते हैं । विश्व के अधिकतर देशों में प्रारंभिक शिक्षा विदेशी भाषा में नहीं होती भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर विदेशी भाषा को अपनाया गया है जो उचित नहीं है आज हिंदी भाषा के संरक्षण की आवश्यकता है ।

वर्तमान में अंग्रेजी का बोलबाला है भारत को आज विश्व का सिरमौर बनाना है तो हमें हिंदी के माध्यम से देश का विकास करना होगा क्योंकि अंग्रेजी तो मात्र कुछ प्रतिशत लोगों का विकास करती हैं और हिंदी 90% लोगों की भाषा है इसलिए इसका प्रयोग 90% लोगो के विकास को दर्शाता है । हिंदी की प्रतिष्ठा कायम करके ही हम देश का विकास कर सकते हैं ।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हिंदी भाषा अकादमी ने एक छोटा -सा कदम आगे बढ़ाया है जिसका उद्देश्य ……
* हिंदी को सर्वोपरि बनाना है और दिन प्रतिदिन उसके बिगड़ते स्वरूप को संवारना है अर्थात हिंग्लिश को हिंदी में परिवर्तित करना है इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए देश के शिक्षक ही मील का पत्थर बन सकते हैं ।
*हिंदी शिक्षक इस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं इसके लिए हिंदी भाषा अकादमी ने एक शिक्षक प्रकोष्ठ बनाने की योजना बनाई है जिसमें……
*'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी भाषा के प्रचार-प्रसार संबंधी योजनाओं में गति देने के उद्द्येश्य से "हिंदुस्तानी भाषा अकादमी शिक्षक प्रकोष्ठ' का गठन करने के लिए प्रयासरत है ।
*हमारा मानना है कि शिक्षक ही वह सेतु और स्तंभ है जो हमारी नई पीढ़ी में भाषा के प्रति सम्मान पैदा कर सकते हैं ।
शिक्षक प्रकोष्ठ का उद्देश्य
*भाषा के सभी शिक्षकों को जोड़ना ।
*उन्हें अकादमी की गतिविधियों में सम्मलित करना ।
*उनके लेखन को प्रोत्साहित और सम्मानित करना ।
*उनकी उपलब्धियों को समाज और सरकार तक पहुँचाना आदि कुछ मुख्य बिंदु हैं जिन्हें इसमें सम्मलित किया जाएगा । अगर सभी सम्मानित भाषा शिक्षक एकजुट होंगे तो अपनी बात प्रभावशाली ढंग से संस्था के माध्यम से संबंधित संस्था/व्यक्ति तक पहुँचा पाएँगे । *अकादमी भाषा शिक्षकों के लिए 'सम्मान समारोह' और भाषा/व्याकरण के विशिष्ट वक्ताओं के द्वारा कार्यशालाओं का आयोजन की योजना पर कार्य कर रही है ।
शिक्षक प्रकोष्ठ में प्रदेश के अधिक से अधिक हिंदी भाषा के शिक्षकों को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है । संपूर्ण सत्र में 100-100 शिक्षकों के 12 समूह बनाए जाने की संभावना है अर्थात 1200 हिंदी शिक्षकों का संघ शिक्षक प्रकोष्ठ के रूप में उभरकर हमारे समक्ष प्रस्तुत होगा । अकादमीे ने 1 वर्ष में 12 कार्यशालाओं की योजना का प्रारूप तैयार किया है हर महीने एक कार्यशाला महीने के चयनित किसी भी एक रविवार को दिल्ली के प्रतिष्ठित सभागार में संपन्न होगी । शिक्षक प्रकोष्ठ के अंतर्गत बनाए गए प्रत्येक समूह को क्रमश: इस कार्यशाला के लिए आमंत्रित किया जाएगा । साल में 12 कार्यशालाओं के अंतर्गत बनाए गए प्रत्येक समूह को भागीदारी का अवसर दिया जाएगा । कार्यशालाओं का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा व्याकरण संबंधी ज्ञान उपलब्ध कराना होगा । कार्यशाला में हिंदी व्याकरण की संपूर्ण और सटीक जानकारी प्रदेश के विशिष्ट हिंदी विद्वानों और उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षकों द्वारा संपन्न होगी । यह कार्यशालाएँ निशुल्क होंगी । किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा । इसका संपूर्ण संचालन ऐर कार्यभार अकादमी स्वयं के खर्चे से करेगी । यह कार्य पैसा या नाम कमाने के लिए नहीं बल्कि हिंदी भाषा प्रचार, प्रसार और विस्तार हेतु होगा जिसके लिए संस्था कृतसंकल्प है । दिल्ली सरकार की ओर से कोई सहयोग किया जाता है तो अकादमी सहर्ष इसको स्वीकार करेगी ।  यह हमारा सौभाग्य होगा कि हमारे कार्य को सरकार की तरफ से अगर किसी भी रुप में कोई भी प्रोत्साहन मिलता है और इसके लिए हम सदैव दिल्ली सरकार के आभारी रहेंगे ।
इस शैक्षणिक कार्य में शिक्षकों की सक्रियता, लगनशीलता, कर्मठता के लिए उनको उनके इस कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सभी सदस्य शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा । जिससे कार्य के प्रति, शिक्षण के प्रति और हिंदी शिक्षक होने के प्रति वह अपने को गौरवान्वित महसूस कर सके क्योंकि अक्सर देखा गया है कि प्राइवेट स्कूलों में शिक्षक की मेहनत, लगन और कर्मठता के लिए उन्हें सम्मानित नहीं किया जाता है । यह श्रेय कुछ गिने चुने शिक्षकों को ही दिया जाता है जो या तो पुराने होते है या फिर विद्यालय प्रबंध के नज़दीकी ऐसे स्थिती में जो शिक्षक अपने कार्यों के प्रति कर्मठ रहते है या मेहनती होते है अपने कार्य का उचित पुरस्कार नहीं प्राप्त कर पाते करते हैं । इससे कार्य के प्रति अभिरुचि कम हो जाती है इसलिए हमारे शिक्षक प्रकोष्ठ का मुख्य उद्देश्य यही है कि जो प्रदेश के स्कूलों में अच्छे शिक्षक हैं जो भाषा के विकास हेतु कुछ करना चाहते हैं और हिंदी को केवल हिंद तक नहीं विश्व स्तर की भाषा बनाने में कदम से कदम मिलाकर साथ चलना चाहते हैं उनको इस शिक्षक प्रकोष्ठ का अंग बनाया जाए जिससे हम और हमारी आने वाली पीढ़ी भी शान से कहे कि हम हिंदीभाषी भारतीय हैं । हमें अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व है और इसे पाकर हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं । हिंदी भाषा का उद्देश्य मातृभाषा विकास करना और भावी पीढ़ी में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और सम्मान उत्पन्न करना है । आज की युवा पीढ़ी को और आने वाली पीढ़ी को हिंदी बोलने में शर्म महसूस  होती है क्योंकि अंग्रेज़ियत का बोलबाला है । कहते हैं न कि…जब जागो तभी सवेरा तो जाग जाओ अपनी मातृभाषा हिंदी को आगे बढ़ाने में हमारी मदद करो अगर हमें हिंदी को उच्च और सर्वोच्च शिखर पर देखना है तो हमें पहले की तरह विद्यालयों में हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों का चलन अवश्य करना होगा जिससे विद्यार्थी चयन कर सके कि उसे किस माध्यम में पढ़ना है आजकल प्राइवेट स्कूलों में हिंदी माध्यम में शिक्षणऔर प्रशिक्षण बिल्कुल नहीं है सिर्फ़ अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण को ही अपनाया गया है जिसके फलस्वरुप बच्चा हिंदी पढ़ने में असमर्थ रहता है अगर हम इंग्लिश और हिंदी माध्यम दोनों ही तरह के माध्यम स्कूलों में प्रचलित कर दें तो शायद कुछ हद तक हम हिंदी भाषा का वर्चस्व कायम करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
हिंदी को प्रतिष्ठित करना देश का विकास करना है । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए …
*अंग्रेजी की अनिवार्यता को कम कर हिंदी को अंग्रेजी का विकल्प बनाया जाना चाहिए ।
*हिंदी को ज्ञान-विज्ञान तथा तकनीकी विषयों के शिक्षण का माध्यम बनाया जाना चाहिए ताकि हिंदी ज्ञान और रोजगार की भाषा बन सके ।
*उच्च शिक्षा जैसे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग इत्यादि के शोध कार्य हिंदी में मान्य करना ।
* केवल अंग्रेजी में कार्य करने को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए अगर अंग्रेजी में कार्य किया जाता है तो उसका हिंदी विकल्प भी अनिवार्य रूप से होना चाहिए ।
*सभी सरकारी कार्यालयों में हिंदी भाषा में ही कार्य संपन्न होना चाहिए । *अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में हिंदी का प्रयोग हो जिससे भारतीय अस्मिता को कायम किया जा सके ।
*हिंदी साहित्य को बढ़ावा देना, हिंदी के मानक रूप को बनाए रखना, हिंदी माध्यम से शिक्षण और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना तथा हिंदी शिक्षकों और हिंदी भाषा में काम करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करना ।
यह छोटा सा कदम है जिसके माध्यम से हम हाथ से हाथ और कदम से कदम मिलाकर चले तो हिंदी भाषा के उत्थान में हम सभी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं अपनी मातृभाषा के वर्चस्व को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना और उसको विश्व का सिरमोर बनाना हमारा ध्येय और लक्ष्य है । जो हिंदी अंग्रेजी में मिलकर हिंग्लिश बन गई है उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ हिंदी रूप प्रदान करना लक्ष्य है ।
हिंदी है जन-जन की भाषा
हिंदी मेरे हिंद की भाषा
हिंदी का सम्मान करो तुम
हिंदी पर अभिमान करो तुम ।।

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