तम नाशक
चाँद और सितारे
नभ के प्यारे
चाँद, चाँदनी
निहारिका बरसे
श्वेत अंबर
बच्चों के प्यारे
चंदा मामा हमारे
पुए खिलाएँ
सूरज कर
नभ पर छा जाएँ
उषा फैलाएँ
लाल गुलाब
प्रेम की अभिलाषा
प्रीत सैलाब
वीर शहीद
पुष्प की अभिलाषा
नमन हिंद
मुर्झाया फूल
अभिलाषा सहित
मिले शूल
मौन की भाषा
समझ से बाहर
मिले निराशा
अंतकरण
है उड़ा चला जाता
आस बंधाता
पंख लगाए
मानस अभिलाषा
उड़ती जाए
कठिन राह
मुट्ठी भर है आशा
अधिक चाह
भाग्य विधाता
दुख पार लगाओ
जगाओ आशा
तुच्छ लालसा
मर्यादा उल्लंघन
मिले कलंक
चंद्र तारक
हैं आशा के दीपक
तमनाशक
आस का दीप
है सिम्त प्रकाशित
सागर सीप
न हो निराश
अभिलाषित दीप
करें प्रकाश
आशा-निराशा
सिक्के के दो पहलू
मिलेगी दिशा
खुशी से भरा
बीज का अंकुरण
हरित धरा
उर अचला
नव आशा अंकुर
जगत खिला
करुण भाव
अनुपम प्रकाश
हृदय राव
परिभाषाएँ
करती प्रकाशित
अभिलाषाएँ
अभिलाषाएँ
कल्पना की उड़ान
हो पूर्ण स्वप्न
चाँद के पास
न जल न आहार
रोटी की आस
मन दर्पण
पथ हो आलोकित
तन अर्पण
अप्रिय सत्य
सच्चाई का महत्व
क्या हो कर्तव्य
ये अहंकार
विनाश का है मूल
नष्ट संसार
पक्षी सिखाते
श्रम, लग्नशीलता
मेल कराते
निर्दिष्ट दिशा
पथ हो प्रकाशित
समाप्त निशा
नव रश्मियाँ
आलोकित करती
उर का तम
विश्व का पथ
तू नन्हा-सा पथिक
चलना सीख
मनोकामना
धरा स्वर्ग बनाऊँ
शांति फैलाऊँ
ईश निर्माता
मंगलवर दाता
ज्ञान बढ़ाता
ईश की स्तुति
मंगलमय पथ
इच्छा की पूर्ति
काया कुरूप
सज्जन व्यवहार
शील स्वरुप
सत्यवादिता
है कड़वी सदैव
लोग नाराज़
प्रयत्नशील
मानव श्रमशील
भ्रमणशील
क्रोधित स्वर
शमन न करते
विरोधी ज्वर
वर्षा का जल
नदियों ने निगला
हरित थल
मरी लताएँ
झड़ते कंद फूल
मृद शाखाएँ
सलिल बहा
दर्प नदी का टूटा
जल है कहाँ
धैर्य साहस
संकट के समय
भय परास्त
दीन बेबस
आँखों में तितलियाँ
अनाज कहाँ
लगाएँ घात
सीमा पर दुश्मन
कटे न रात
पेट की भूख
हैं आँखें ललचाई
दीनता दुख
वन के पंछी
आसमान है घर
लोभ न पाप
उन्मुक्त नाभ
सीमा-हीन गगन
उड़ते सब
पक्षी का कर्म
निर्भय विचरण
हित हो धर्म
निर्जन वन
बेल, पत्र, लताएँ
भरा है धन
नन्हा-सा पात
मुख करता लाल
पान कमाल
वर्षा में खुश
सूखे में मुरझाती
माता धरती
लेटलतीफ
मेहमान का आना
कभी ना भाता
असीम नभ
अभिलाषित पर
उत्साह नम
होली त्योहार
बने सद्भाव प्यार
रंग बहार
होलिका दाह
गुझिया की मिठास
फाग का माह
फाग में होली
बन रही है टोली
मीठी है बोली
रंग अबीर
मन रंग-रंगीला
मची है होली
रंगों का खेल
पानी भरे गुब्बारे
कराएँ मेल
होली उमंग
गुलाल,अबीर,रंग
भांग के संग
होली के रंग
रहना सावधान
बचाना अंग
मदिरापान
पर्व प्रमोद कहाँ
घटे सम्मान
भाल तिलक
है अबीर गुलाल
होली मिलन
होली खेले रे
मथुरा बरसाने
कान्हा मेरे रे
भीगी गलियाँ
रंग भरी दीवारें
मचे हु-हल्ला
होली त्योहार
सीमा सुरक्षित
डटे हैं वीर
भास्कर प्रभा
प्रकृति सुनहरी
रंगीन धरा
फाल्गुनी रंग
अन्तकरण संग
गुलाबी अंग
जली होलिका
नष्ट हुए दुष्कर्म
जीते सद्कर्म
गोपियाँ संग
कान्हा पिचकारी रंग
राधिका अंग
प्रीत में रंगी
आँगन में फाल्गुन
पिया की संगी
मन उमंग
होली के रंग,भंग
भीगे है अंग
फागुन आया
होली संग प्रेम रंग
निखर आया
प्रीत की वृष्टि
होली मनभावन
रंगीन सृष्टि
रंगीन धरा
होली हठखेलियाँ
रंग गहरा
होली के रंग
दीनहीनता संग
मुस्कान भंग
होली गुलाल
रंग अबीर लाल
महके गुलाब
मन हरते
रंग,अबीर फाग
जीवन ख़्वाब
होली त्योहार
प्रेम प्रीत फुहार
रंगे बौछार
ढोल मजीरे
रंग संग उमंग
मस्ताना फाग
आशा के संग
भरें प्राण उमंग
होली के रंग
जाति-पाति क्यों?
बंधन है बनाती
वंश मिटाती
सुभाष चंद्र
है जीवन कुर्बान
सच्ची संतान
आजाद हिंद
व्यर्थ न बलिदान
खुला आकाश
सुभाष चंद्र
सुखों की दी कुर्बानी
मिली आजादी
शोले जलते
उत्साही मतवाला
वीर सिपाही
नव पल्लव
बसंत मधुमास
पीली है धरा
नाचे मयूर
हरियाली है छाई
वृष्टि भी आई
मुस्काई धरा
पीत पल्लव सजा
मनवा हरा
खिला चमन
कलियाँ हैं चटकी
मन मगन
धरा श्रृंगार
पलाश चहुँ ओर
मन बहार
सृष्टि के संग
भरे नव उमंग
केसरी रंग
नव कोपन
प्रकृति है सम्पन्न
प्रत्येक पल
नव निर्माण
पंछी मधुर गान
गूंजे आकाश 91
नवल रश्मि
है पथ आलोकित
तम हरती
परोपकार
आनंद अनुभूति
मिटा संताप
आँखों का तारा
मां-बाप का सहारा
श्रवण प्यारा
कपटी मित्र
है आस्तीन का साँप
देता संताप
टका जवाब
नहीं मन को भाता
भेद बढ़ाता
झाँसी की रानी
अंग्रेज भयभीत
सच्ची कहानी
सद् व्यवहार
मन संतुष्टि पाता
मान बढ़ाता
ऐतिहासिक
ईमारतें, संस्कृति
हैं धरोहर
मधुर वाणी
औषधि कहलाती
पीड़ा घटाती
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