Thursday, 7 June 2018

आत्म अभिव्यक्ति हाइकु

आत्म अभिव्यक्ति

अपने भावों और विचारों को कम से कम शब्दों में व्यक्त करना बहुत कठिन कार्य होता है किसी विषय को 17 वर्णों में परिभाषित करना अपने आप में ही एक कला है । इन 17 वर्णों को क्रमश: 5-7-5 क्रम में तीन पंक्तियों में लिखने की उत्कृष्ट कला को हाइकु के नाम से जाना जाता है । हिंदी साहित्य की अनेकानेक विधाओं में हाइकु नवीन विद्या है । हाइकु मूलतः जापानी साहित्य की प्रमुख विधा है । हाइकु को काव्य-विद्या के रूप में प्रतिष्ठा प्रदान मात्सुओ बाशो ने (1644 -1694) में प्रदान की । हाइकु आज विश्व साहित्य की निधि बन चुका है ।

अनुभूत क्षण प्रत्येक कला के लिए अनिवार्य है । हाइकु अनुभूति के चरम क्षण की कविता है जिसमें सौंदर्य अनुभूति और भावना अनुभूति के चरम क्षण की अवस्था में विचार, चिंतन और निष्कर्ष आदि क्रियाओं के भेद मिट जाते हैं । बाशो कहते हैं …जिसने जीवन में तीन से पाँच हाइकु रच डाले वह हाइकु कवि है और जिसने दस हाइकु की रचना कर डाली वह महाकवि है। कहते हैं हाइकु साधना की कविता है । किसी क्षण विशेष की अनुभूति और कलात्मक प्रस्तुति हाइकु है । वाक्य को तोड़-मरोड़कर 5-7-5 का क्रम दे देना हाइकु नहीं है । हाइकु काव्य एक शिल्प है जिसमें प्रत्येक शब्द अपने क्रम में विशिष्ट अर्थ का धोतक होकर एक समन्वित प्रभाव की सृष्टि में सार्थक होता है । हाइकु में एक भी शब्द व्यर्थ नहीं होता किसी भी शब्द को उसके स्थान से हटाकर अन्यत्र रखने से भावबोध नष्ट हो जाता है । हाइकु का प्रत्येक शब्द एक साक्षात अनुभव है । कविता के अंतिम शब्द तक पहुँचते ही एक पूर्ण बिंब सजीव हो उठता है । इस पुस्तक का प्रत्येक हाइकु गंभीरता से लिखा गया है तथा पुस्तक में प्रकृति से लेकर राजनीति तक सभी विषयों का समावेश है । मूलत: हाइकु प्रकृति पर आधारित होते हैं परंतु आजकल हाइकु सभी विषयों पर लिखें जा रहे हैं । हाइकु लेखन के लिए गंभीर चिंतन और एकाग्रता अनिवार्य है ।

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