काव्यात्मक स्वरूप में हिंदी व्याकरण बोध को सरल सुगम बनाने का प्रयास ||
**पाठ - २
****** वर्ण विचार ******
*भाषा की सबसे छोटी इकाई कहलाती ध्वनि के नाम से संबोधित की जाती है जिसके खंड किए न जाते
भाषा में वर्ण वही कहलाते ||
*******वर्णमाला********
* व्यवस्थित समूह वर्णों का वर्णमाला है कहलाता
स्वरों और व्यंजनों के मोतियों से सजाया यह जाता
मानक स्वर ग्यारह होते हैं
तैंतीस व्यंजन संग लिए होते हैं
पंचम वर्ण भी साथ में आते
वर्गों को संपूर्ण कराते
अंत:स्थ,उष्म,संयुक्त व्यंजन
जब जुड़ जाते
वर्णमाला को पूर्ण बनाते ||
* आगत वर्ण अॉ ज़् फ़् कहलाते
अंग्रेजी, अरबी, फारसी प्रभाव दर्शाते
ड़, ढ़ विकसित वर्ण माने हैं जाते शब्दों के बीच और अंत में प्रयोग में लाए जाते
शुरू नहीं होता इनसे शब्द
संस्कृत में अपनाएं नहीं जाते ||
* ड्.और ञ् स्वतंत्र प्रयोग में लाए नहीं जाते
अं अनुस्वार और अः विसर्ग
ही कहे जाते
स्वरों के बाद तत्सम शब्दों में होता इनका प्रयोग
हिंदी व्याकरण में अपना स्थान यह पाते
एक से ज्यादा ध्वनियों से मिलकर
क्ष त्र ज्ञ श्र संयुक्त व्यंजन कहलाते ||
******* लिपि *******
* मौखिक ध्वनियों के लिखने के चिह्न लिपि है कहलाते
देवनागरी लिपि में हिंदी का ज्ञान कराते इक् प्रत्यय से हुआ सृजन
जिसका है अर्थ 'लिखित अक्षर' लिखने का ढंग लिपि कहलाया
मौखिक का लिखित भाषा रूप पाया ध्वनि चिह्न सब साथ मिले जब देवनागरी लिपि में हिंदी भाषा का स्वरूप उभर आया
******** बोली *******
*'बोली' सीमित क्षेत्र में बोली जाती लिखित रूप और साहित्य में जो
पाई नहीं जाती बोली वही है कहलाती वृहद क्षेत्र में उपभाषा प्रयोग में आती साहित्य रचना भी इसमें की जाती
अनेक बोलियों को लेकर साथ
उपभाषा समकक्ष है आती
******* व्याकरण *******
* शुद्ध लिखने, बोलने और पढ़ने का बोध कराता
नियमबद्ध भाषाशास्त्र व्याकरण कहलाता तीन भाग में बांटा जाता
वर्ण विचार, वाक्य विचार
और शब्द विचार इसमें समाता
'वर्ण विचार' अब हुआ खत्म
देखो कितना लगे सरल ||||
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