साइबर अपराध… क्यों नहीं रोकथाम
सब कुछ हो गया सोशल
दिल्ली या हो भूगोल
नहीं कहीं प्रमोशन
बुलिंग, एब्यूज, इमोशन
रोज हो रहा शोषण
माना कि स्त्रियां पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है फिर भी दया, करुणा, ममता, त्याग और प्रेम की मूरत समझी जाने वाली नारी आज भी समाज में वह दर्जा नहीं प्राप्त कर पाई है जो उसे मिलना चाहिए था । राजनीति से लेकर ग्लैमर की दुनिया तक नारी शोषण की शिकार होती आई है और हो रही है । आज भी अभिनेत्री बनने के लिए एक लड़की को कास्टिंग काउच का शिकार होना पड़ता है। सरकार की तरफ से हर एक कदम पर सुधार की प्रक्रिया चल रही है और वह चलती रहेगी । लड़कियों पर हो रहे साइबर अपराध, अत्याचार और उनका शोषण यही बता रहा है कि अभी भी कहीं न कहीं समाज में स्त्रियों की दशा में सुधार की आवश्यकता है और जब तक सरकार की तरफ से कोई सख्त कानून नहीं बनता तब तक स्थिति स्थिर ही बनी रहेगी । आज भी स्त्री का यौन शोषण करने वाले खुलेआम शान से चलते हैं और सिर उठा कर जीते हैं ऐसे लोगों के लिए सख्त कानून नहीं होगा तो नारियों की दशा में सुधार आना मुश्किल है । प्राय: देखा गया है कि रोज़ सोशल मीडिया पर बच्चियों के साथ यहाँ तक की बालिग और नाबालिग लड़कियों के साथ ऐसी घटनाएँ घटती रहती है परंतु सरकार की सुप्त अवस्था वाली प्रतिक्रिया बनी रहती है । मानो देख कर भी अनदेखा और सुन कर भी अनसुना कर दिया गया हो । आज भी घर से बाहर काम करने वाली महिलाएँ पुरुषों के दवाब में जी रही हैं । कहने की बात है… स्त्री स्वाबलंबी हो गई है परंतु आईना यह बताता है कि आज भी लैंगिक भेदभाव होता है । लड़कियों को पैदा कर यूँ ही सड़कों पर कूड़े के डिब्बे में छोड़ दिया जाता है । बस इसलिए क्योंकि वह बेटी है समाज यह क्यों नहीं समझता कि बेटी ने ही इस समस्त जीवलोक को रचा है और अगर ऐसे ही इसका शोषण होगा तो यह धरा भी नहीं बच पायेगी । मनुष्य का अस्तित्व ही नष्ट हो जाएगा ।
आज फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, किसी से अछूते नहीं हैं । महिलाओं से लेकर बच्चे सभी सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं एक समय था जब घरों में भी फोन नहीं हुआ करते थे पूरे मोहल्ले में एक या दो घरों में फोन की सुविधा थी; वह भी उनके पास जो आर्थिक रूप से संपन्न होते थे । जैसे-जैसे तकनीकी विकास की दिशा तेज़ हुई वैसे-वैसे रहन-सहन खान-पान आदि में भी परिवर्तन होता गया । लोगों के व्यवहार में तो अंतर आया ही उनके आचरण, उठने-बैठने के तरीके सभी में अंतर प्रदर्शित हुआ । इंटरनेट और मोबाइल के आते ही लोग एक दूसरे से दूर होते गए नज़दीकियां दूरियों में बदल गई और दूरियां पास कभी नहीं हुई । कहते हैं न कि हर चीज का अच्छा भी प्रयोग होता है और बुरा भी । लोगों ने नई तकनीक के आते ही उसका गलत प्रयोग करना आरंभ कर दिया । तकनीकी विकास दर्शाती है मगर जब तकनीकी का गलत प्रयोग होने लगे तो उन्नति अवनति में परिवर्तित हो जाती है ।
आज की स्थिति की बात करें तो साइबर अपराध राजधानी दिल्ली में आम बात हो गई है । इसका शिकार महिलाएं, बच्चे और युवा लड़कियां हो रही हैं । साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल हैं । किसी कंप्यूटर का अपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना, किसी की निजी जानकारी को प्राप्त कर उसका गलत प्रयोग करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है । साइबर अपराध भी कई प्रकार के होते हैं :- जैसे कि वायरस डालना, ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, किसी की जानकारी ऑनलाइन से प्राप्त कर उस पर नजर रखना इत्यादि । साइबर बुलिंग आजकल महिलाओं के लिए बहुत ही दुविधा या मुश्किल में डाल देने वाली एक ऐसा समस्या है जिससे बचाव मुश्किल हो गया है । साइबर बुलिंग अर्थात इंटरनेट पर गंदी भाषा का प्रयोग, महिलाओं और लड़कियों को गंदी तस्वीरों या धमकियों से परेशान करना आज आम बात होती जा रही है । फेक आईडी एक बड़ी समस्या है । फेक आईडी के जरिए संदिग्ध व्यक्ति अन्य लोगो को जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल होती हैं उन्हें सेक्स से जुड़े मैसेज भेजते हैं या फिर बहुत खराब भाषा का इस्तेमाल करते हुए धमकी भेजते हैं । फेसबुक पर अधिकतर पेज ऐसे हैं जिन पर सभी धर्मों और उनके देवी-देवताओं पर अशोभनीय विचार किए या कमेंट डाले जाते हैं इन सभी को साइबर बुलिंग ही कहा जाता हैं । इससे बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति पुलिस को जानकारी दें और या फेसबुक पर 'रिपोर्ट एब्यूज' पर रिपोर्ट की जा सकती है । अत्यंत गंभीर मामले के चलते पुलिस को सूचित करना आवश्यक है ।
सोशल सामाजिक नेटवर्क पॉर्नोग्राफी की बात करें तो महिलाओं की रुचि पोर्नोग्राफी देखने में ज्यादा नहीं होती कई बार यह तर्क भी दिया जाता है कि जो पोर्नोग्राफी बाजार में है वह केवल पुरुषों को तृप्त करने के लिए बनाई जाती है जिसमें महिला एक वस्तु की तरह इस्तेमाल की जाती है देखा जाए तो इसमें महिलाओं का दमन और शोषण प्रदर्शित किया जाता है कई बार तो ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसमें ऐसी पॉर्नोग्राफी सामग्री को बनाने के प्रयास किए गए हैं जो महिलाओं द्वारा ही लिखी गई स्क्रिप्ट महिला प्रोड्यूसर द्वारा ही फिल्माई गई है । पोर्नोग्राफी व्यापार करने के माध्यम से महिलाओं का शोषण करना कहां तक सही है वैसे भी इस प्रकार के व्यापार घाटे में ही रहते हैं और इस तरह के कंटेंट परोसने वाली साइट्स या तो बंद हो जाती हैं या फिर उन पर तले लग जाते हैं । वर्तमान में साइबर स्टॉकिंग एक आम बात सी हो गई है ।
आज बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं और अधिकतर समय फोन पर या ऑनलाइन व्यतीत करते हैं साइबर स्टॉकिंग की समस्या का सबसे अधिक और आसान शिकार बच्चे या महिलाएं बनती हैं क्योंकि यह वर्ग सबसे अधिक सुभेद्य होता है । ऑनलाइन माध्यम से की गई छेड़खानी को साइबर स्टॉकिंग कहा जाता है । जब ऑनलाइन माध्यम का प्रयोग करके किसी को परेशान करने के लिए ईमेल या मैसेज भेजा जाता है तो उसे साइबर स्टॉकिंग कहा जाता है एक आंकड़े के अनुसार साइबर स्टॉकिंग की समस्या से पीड़ित बच्चों की संख्या भारत में सर्वाधिक है ऐसा नहीं है कि साइबर स्टॉकिंग का शिकार केवल बच्चे या महिलाएं ही बनती है बल्कि पुरुष भी इसकी लपेट में आ जाते हैं । साइबर स्टॉकिंग को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए 354 के तहत अपराध घोषित किया गया है दिल्ली में साइबर अपराध की तुलना की जाए तो वर्तमान परिदृश्य में राजधानी दिल्ली एनसीआर में प्रत्येक 10 मिनट में एक साइबर अपराध सामने आता है । वर्ष 2017 में जनवरी से जून तक 22,782 से भी अधिक मामले सामने आए थे ।
वर्तमान पीढ़ी को सिखाना होगा
सही तकनीकी ज्ञान ।
सही प्रयोग से ही होगा
उनका और देश का उत्थान ।
नेटवर्किंग का प्रयोग करना
नहीं कोई अपराध ।
बस गलत प्रयोग न हो
यही समझाना है उन्हें हर बार ।
साइबर अपराध करने वाले अधिकतर लोग युवा और कॉलेज छात्र होते हैं । वर्तमान में पांचवी, छठी कक्षा के छात्र भी पासवर्ड बनाना और हैक करना चाहते हैं ऑनलाइन नेट का प्रयोग आज छोटे-छोटे बच्चे को भी आता है । आज अगर बच्चों के हाथ से मोबाइल फोन छीन लिया जाए तो उनकी स्थिति ऐसी हो जाती है मानो किसी ने उन्हें किसी अंधे कुएं में धकेल दिया है । आज वर्तमान परिदृश्य में स्मार्टफोन एक ऐसी चीज हो गया है मानो अगर जिसके पास स्मार्टफोन नहीं है वह बहुत ही दयनीय स्थिति में या गरीब स्थिति में है ।आज मां-बाप छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन देते हुए भी नहीं घबराते हालांकि उनको पता है कि इसके प्रयोग से उनके बच्चे को कितना नुकसान हो सकता है । इन वस्तुओं का अधिकतम प्रयोग शरीर पर , मस्तिष्क पर , आंखों बहुत बुरा प्रभाव डालता है । साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं सलाहकार रक्षित टंडन साइबर अपराध की रोकथाम हेतु दिल्ली एनसीआर के अनेक विद्यालयों में कार्यशालाएं आयोजित करते हैं । बाल भवन पब्लिक स्कूल मयूर विहार फेस- २ में माह दिसंबर में रक्षित टंडन द्वारा साइबर कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें उन्होंने साइबर अपराध से जुड़ी प्रत्येक जानकारी को बच्चों से सांझा किया और इससे कैसे बचा जा सकता है जानकारी उपलब्ध कराई साथ ही साथ विद्यार्थियों को इसके सही प्रयोग के लिए दिशानिर्देश किया ।
साइबर क्राइम को कंप्यूटर क्राइम या इंटरनेट क्राइम के नाम से भी जाना जाता है जिसके द्वारा हम दूर बैठकर भी किसी के भी सरकारी या कारोबारी या फिर बैंक के दस्तावेजों को चुरा सकते हैं । इसमें गैर धन अपराध भी शामिल है । जैसे कि ईमेल के माध्यम से स्पैम करना, वायरस को मेल के माध्यम से बढ़ाना, ग्रुप चैट पर गलत कार्यों को अंजाम देना, पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा देना इत्यादि । वर्तमान में राजधानी दिल्ली में साइबर अपराध चरम पर है आए दिन हजारों मामले सामने आते हैं हमें इससे बचने के लिए स्वयं सतर्क होना है ।
अगर हम स्वयं महिलाएं जागरूक नहीं होंगी तो साइबर अपराध को कम नहीं किया जा सकता । दिन-ब-दिन इसमें इजाफा ही होगा क्योंकि डर के आगे कभी जीत नहीं होती । अगर डर को मन से निकालना है तो सामना करना जरूरी है । राजधानी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ इस बढ़ते हुए साइबर अपराध को रोकना आवश्यक है । साइबर बुलिंग, साइबर हैकिंग सोशल नेटवर्किंग क्राइम, पोर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग के माध्यम से महिलाओं का शोषण निरंतर हो रहा है। इसके खिलाफ आवाज स्वयं पीड़ित व्यक्ति को ही उठानी चाहिए चाहे वह महिला है , लड़कियां हैं या पुरुष है साइबर अपराध को रोकने के लिए तुरंत इसकी जानकारी या तो 'फेसबुक एब्यूजिंग' पर रिपोर्ट दर्ज करवाएं या फिर सीधे पुलिस में मामला दर्ज करवाएं । दिल्ली में साइबर अपराध का आंकड़ा 2005 से लेकर 2018 तक बड़ा ही हैं घटा नहीं है ।
अगर साइबर अपराध से बचना है
तो सामना करना जरूरी है ।
हार नहीं मानना है
डटकर मुकाबला करना जरूरी है ।
प्रयोग सही सिखाना होगा
तकनीकी का लोगों को आज ।
साइबर अपराध नहीं कभी होगा
अगर सीख जाएगा इंसान करना मान सम्मान ।
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