Tuesday, 19 September 2017

आज भी तुझको याद करता हूँ

****गज़ल****

आज भी तुझको याद करता हूँ
हर घड़ी इंतजार करता हूँ

देखने को भी आज तुझको में
हर घड़ी बेकरार रहता हूँ

क्या बीती मुझपे तेरे जाने के बाद
तूने मुड़कर भी न ली ख़ैर मेरी

आज भी तुझको याद करता हूँ
हर घर इंतजार करता हूँ

करके दस्तक कोई देगा पैगाम
नजरें ढूंढे तुझे झरोखों से आज

तेरी खुशबू है फैली महफिल में
रस्ते-रास्ते पे निगाह ठहरी है

आज भी तुझको याद करता हूँ
हर घड़ी इंतजार करता हूँ

किया है रुसवा तूने आज मुझे महफिल में
आने का वादा किया न आके तोड़ा उसे

किस से शिकवे करूँ शिकायत मैं
तूने नीलाम सरेआम आज मुझको किया

आज भी तुझको याद करता हूँ
हर घड़ी इंतजार करता हूँ ।


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