रास्ते में उसे अपनी स्कूली दिनों की याद आती है जो उसने अपने भाई भोलानाथ के साथ बिताए थे।
गांव की पगडंडियों से होते हुए दोनों भाई स्कूल की ओर जाते हुए मन ही मन सोच रहे हैं कि आज सही समय पर स्कूल पहुंचना है नहीं तो मास्टर जी श्रीधर पिताजी को सब कुछ बता देंगे आज संयोग से दोनों भाई समय पर स्कूल पहुंच गए पहले घंटी बजते ही श्रीधर चरण जो विद्यालय में पांचवी कक्षा से दसवीं कक्षा तक हिंदी अंग्रेजी और इतिहास पढ़ाते हैं प्रवेश करते हैं भोलानाथ और रामानुज कक्षा 9 में है।
श्रीधर चरण अध्यापक - मेरे दो अनमोल रतन राम लखन की जोड़ी आज तो समय पर कक्षा में बैठी है क्या बात है?
भोलानाथ - जी मास्टर जी हम तो रोज ही समय पर आ जाए । ये रामानुज है न तो जल्दी सोता है और ना ही जल्दी उठता है तभी तो हमें देर हो जाती है नहीं तो हम तो समय पर स्कूल पहुंच जाए । रोज मुझे इसी की वजह से डांट खानी पड़ती है।
श्रीधर चरण अध्यापकहां - मुझे पता है मेरे होनहार भोला पिछले 2 साल से तुम्हारे बहाने सुनता आ रहा हूं । अब कितने और साल एक ही कक्षा में रहने का इरादा है ।सीखो… अपने छोटे भाई रामानुज से पढ़ाई और संस्कार दोनों में ही अव्वल है।
भोलानाथ - मास्टर जी ऐसा नहीं है मैं भी किसी से कम नहीं अपने छोटे भाई का साथ देने के लिए पिछले 2 साल से जानबूझकर फेल हो रहा था ।
देखो… देखो अब ना कहिएगा कि पिताजी से शिकायत कर दूंगा।
श्रीधर चरण अध्यापक - भोलानाथ अब बातों में समय मत बिताओ, कल का काम दिखाओ ।
भोलानाथ - मास्टर जी कल हमारे घर में बिजली नहीं थी इसलिए काम नहीं कर पाया ।
श्रीधर चरण अध्यापक - रामानुज तुम अपनी कॉपी दिखाओ ।
रामानुज - जी मास्टर जी… दिखाते हुए ।
श्रीधर चरण अध्यापक - भोलानाथ तुम दोनों एक ही घर में रहते हो तो रामानुज ने काम कैसे किया
भोलानाथ - मुझे क्या पता मास्टर जी इसी से पूछ लीजिए ना ।
श्रीधर चरण - ऐसे नहीं बताओगे तुम । चलो… हाथ पकड़ते हुए ।
भोलानाथ - कहां मास्टर जी कहां ले जा रहे हैं मुझे …
श्रीधर चरण अध्यापक - प्रधानाचार्य के पास वहीं बताओगे तुम ।
प्रधानाचार्य के कक्ष के बाहर
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