एक ध्रुवतारा अमर… प्रकाश था अलौकिक,
छिप गया है बदलों की ओट में ।
अटल था वाणी से, कर्तव्यों से न डिगा था ,
कर्मयोगी था वह …कलम का पुजारी ।
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कलम के पुजारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को संपूर्ण विश्व की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि !
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नीरू मोहन 'वागीश्वरी'
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