Wednesday, 1 May 2019

song

बेटियां होती सच्ची
मां की होती हैं प्यारी
प्यार लुटाती अपना सब पर
बन जाती हैं न्यारी
तभी तो कहते बेटी होती
आंगन की किलकारी
रोते हुए मां बाबा को
पल में हंसना हैं सिखलाती
कभी तो लाठी बनकर
घर की छत का धर्म निभाती
राजदुलारी सबकी बन
ममता का शहर बसाती
लड़की है तो क्या ग़म है
लड़का बनकर दिखलाती
काम सभी कर जाती
अव्वल लड़कों से है आती
बेटियां होती हैं सच्ची
ग़म में हंसना सिखलातीं
दवा खिलाती, चोट सहलातीं
बेटे का फर्ज़ निभाती
एक आंख गर बेटा बनता
बेटी दुजी बन जाती
दोनों आंखों के तारे

फिर क्यों … फिर क्यों
बेटियां कोख़ में मारी जातीं
मारी जातीं

लहर उठी बदलाव की अब है
बंद कभी न होगी
बेटियां जन्मेंगी अब सारी
कोख़ में न दम तोड़ेगी
बदलाव यही बदलेंगे जमाना
बेटियों को हमने है बचना
बेटियों को हमने है बचना












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