Monday, 4 June 2018

**हिंदी भाषा…भावों का समंदर

**हिंदी भाषा…भावों का समंदर

अपनी भाषा में एक एहसास है ।
हिंदी देश का स्वाभिमान है ।

हिंदी से भविष्य और वर्तमान है ।
हिंदी भावों का महाजाल है ।

भावों का समंदर रहता है इसमें ।
एहसास से गुथा एक धागा है जिसमें ।

जोड़ देता है मन से मन को पल में कहीं भी ।
टूटते दिलों को जोड़ देता है दूर से ही ।

भावनाओं की भाषा  सौहार्द बनाती है ।
लिपि भाषा को  लिखना सिखाती है ।

भाषा से ही ज्ञान समृद्ध, विशाल मुमकिन है ।
भाषा नहीं तो शब्दों का महाजाल बुनना मुश्किल है ।

देश विदेश में भी इसका परचम लहराया है ।
सबने हिंदी को मन से अपनाया सौभाग्य हमारा है ।

अभिमान है हमें…हम हिंदुस्तानी हैं।
गौरवान्वित हैं हम… कि हम हिंदी भाषी हैं ।

कवयित्री
नीरू मोहन 'वागीश्वरी

No comments:

Post a Comment