Wednesday, 24 January 2018

आज भी हम गुलाम हैं

यह मेरा देश भारत महान है ।
कृषि प्रधान पुरातन आर्यव्रत नाम है ।

सोने की चिड़िया पहचान बनाए था ।
राजा दुष्यंत के पुत्र…
भारत का नाम पाया था ।

हिमालय से निकली शुद्ध निर्मल जल की धारा है ।
असंख्य खनिज पदार्थों को अपनी गोदी में उतारा है ।

कश्मीर जैसे…
प्राकृतिक रमणीय स्थल ने इसे
स्वर्ग-सा सुंदर बनाया है ।
गंगा, यमुना जैसी नदियों ने शीतल जल पहुँचाया है ।

हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है ।
वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत के रूप में
हमने पाया है ।

जन-गण-मन ने गौरव बढ़ाया है ।
तीन रंग का तिरंगा नभ में फहराया है ।

यह देश की मिट्टी की सोंधी खुशबू का असर है …कि हमारे संस्कारों में गुरु ने भगवान का दर्जा पाया है ।
माता के चरणों में स्वर्ग है यही हमारी संस्कृति ने बताया है ।

मेहमान को हमने जान से प्यारा बनाया है ।
अतिथि देवो भव: यही हमें देश ने सिखाया है ।

हम अपने वतन को सलाम करते हैं ।
जिसके एक किनारे पर अंडमान निकोबार और दूसरे पर हिमालय सुशोभित होते हैं ।

तिरंगा देश की शान है ।
सीमा का हर सैनिक हमारा स्वाभिमान है । 

तरक्की की राह खुली है,
मेट्रो का जमाना है यहाँ ।
आसमान में अनुसंधान जारी है,
फिर भी परेशान हर इंसान है यहाँ ।

असमानता धन से नजर आती है ।
गरीब को दिन-ब-दिन और दीन बना जाती है ।

अमीरी का परचम अमीर ही फहराता है ।
गरीब तो हर हाल में फांकों में ही दिन बिताता है ।

देश की बेटियाँ महफूज़ नहीं आज भी यहाँ ।
सहमी-सहमी सी रहती हैं अपने घरौंदों में यहाँ ।

नारी को आज भी अबला कहा जाता है । पुरुष प्रधान समाज आज भी उसे नीचा दिखाता है ।

स्त्री …स्त्री से ही मात खाती हैं ।
ननद और भाभी आज भी सामंजस्य नहीं बैठा पाती हैं ।

भाई…भाई के खून का प्यासा है ।
जाति-पाति, ऊँच-नीच का भेदभाव अभी भी देखा जाता है ।

शिक्षा के लिए अभी भी तरसती हैं बेटियाँ।
बेटों को आज भी मन्नतों से मांगा जाता है ।

बूढ़े …माँ-बाप आज भी बेसहारा है ।
अंतिम क्षण जीवन के वृद्ध आश्रम ही सहारा है ।

स्वतंत्रता के सत्तर वर्ष बाद आज भी वही खड़ा है जमाना ।
गुलाम नहीं …फिर भी बंधनों के पाश में बंधा है जमाना ।

अपने संकीर्ण विचारों और सोच की बेड़ियों को बाँधे हुए है ।
आँखों पर काला चश्मा और कानों में पर्दा लगाए हुए है ।

न तो सुनाई… न दिखाई देता है,
अपनी नासमझी का दोष देश के सिर मड़ता है ।

जब तक न बदलेगा इंसान सोच को अपनी,
तरक्की की राह, विकास का स्तर निम्न रहेगा तब तक ही……

सोच ले… सोच ले वक्त रहते ही,
बदल अपने आपको
ज़माना बदलेगा तभी।।

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