1 मई हम मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं|
क्यों हम एक ही दिन मजदूरों के सम्मान को दिलाते हैं ?
क्या वह सब एक ही दिन के हकदार है ?
या फिर साल के हर दिन उनका सम्मान है |
क्यों हम उनके हर एहसान को भूल जाते हैं ?
जो रोटी हम खाते हैं वह उन्हीं से तो पाते हैं ?
जो भरते हैं हमारा पेट क्यों वह भूखे पेट ही मर जाते हैं ?
क्या हममें से किसी ने इस बारे में सोचा है ?
क्यों नहीं हमने उनके दुख और दर्द को समझा सोचा है ?
जो बनाते हैं ऊँची-ऊँची इमारतें हमारे ऐशोआराम के लिए
क्यों एक दिन उन्हीं इमारतों की गहराई में दफन हो जाते हैं ?
घरों से दूर रहकर परिवार अपना परदेश में बनाते हैं |
और वहाँ सिर्फ दिहाड़ीदार ही कहलाते हैं |
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